अमेरिकी संस्था IMRC ने बिहार व झारखंड के 600 परिवारों में बांटा इफ़्तार किट

TwoCricles.net Staff Reporter

बिहार/ झारखंड : रमज़ान के पाक महीने का इंतज़ार दुनिया के हर मुसलमान को बेसब्री से रहता है. जहां मुल्क के अमीर मुसलमान एक महीने पहले से इस रमज़ान की तैयारी शुरू कर देते हैं, वहीं गरीब इस सोच में डूब जाते हैं कि इस महीने में कम से कम इफ़्तार व सेहरी का इंतज़ाम कैसे होगा. बच्चे जब इफ़्तार व सेहरी मांगेगे तो उन्हें क्या दिया जाएगा.


Support TwoCircles

गरीबों के इसी समस्या का हल निकालने के लिए अमेरिका स्थित संस्था इन्डियन मुस्लिम रिलीफ़ और चैरिटीज़ (आईएमआरसी) हर माह-ए-रमज़ान के पहले एक विशेष कार्यक्रम चलाती है, जिसके तहत ग़रीब और ज़रूरतमंद लोगों को अनाज और इफ़्तार किट रमज़ान के दौरान दिए जाते हैं. इस कार्यक्रम के तहत IMRC गांवों और झुग्गियों तक पहुँचती है, ताकि हरेक ज़रूरतमंद परिवार रमज़ान के दौरान अपनी सेहरी और इफ़्तार की ज़रुरत को पूरा कर सके.

IMRC

बिहार व झारखंड के लिए आईएमआरसी से जुड़े वाहिद नदवी बताते हैं कि हमने झारखंड के चतरा व पलामू ज़िला के घोरीघाट, रहड़िया, प्रतापपुर, लोलिया, विश्रामपुर जैसे गांव और बिहार के गया ज़िला के इमामगंज व डुमरिया, कोठी, पोखरी इलाक़े के साथ फुलवारीशरीफ़ पटना के ईसापुर, खलीलपुर आदि में 600 गरीब व ज़रूरतमंद परिवारों की पहचान करके उनके बीच इफ़्तार किट तक़्सीम किया गया है.

वो बताते हैं कि एक इफ़्तार किट पर तक़रीबन 1300 रूपये का खर्च आया है. हालांकि इस इफ़्तार किट के सहारे पूरा रमज़ान नहीं काटा जा सकता है, लेकिन इतना तो ज़रूर है कि इन ज़रूरतमंदों व गरीबों का आधा रोज़ा इस इफ़्तार किट के सहारे कट ही जाएगा.

IMRC

संस्था के निदेशक मंज़ूर ग़ौरी बताते हैं, ‘हमारी हमेशा से कोशिश रही है कि हम किसी भी प्रकार गरीबों व ज़रूरतमंदों की मदद कर सकें. इसी कोशिश के तहत हमारा यह कार्यक्रम हर साल चलता है. इस रमज़ान में भी हमारी कोशिश है कि हम अधिक से अधिक ज़रूरतमंदों को मदद कर सकें ताकि ईद की खुशी में वो भी हमारे साथ पूरी खुशी के साथ शामिल हो सकें.’

वो बताते है कि –‘ आईएमआरसी पेट भरने की ज़रूरतों से ऊपर उठकर गरीब परिवारों को ईद पर नए कपड़ों के लिए भी हज़ार रुपये का सहायत करती है, ताकि हरेक गरीब के घर में भी ईद पूरी शान के साथ मनाई जा सके.’

IMRC

स्पष्ट रहे कि 1981 में शुरू हुई आईएमआरसी 100 से अधिक संगठनों के साथ मिलकर कई तरह के कार्यक्रम पूरे देशभर में चलाती है. इस संस्था का प्रमुख उद्देश्य ज़रूरतमंदों को शिक्षा, ज़रुरत के वक़्त मेडिकल केयर, दवाइयां, भोजन और कानूनी मदद मुहैया कराना है. 2014 की कश्मीर बाढ़, 2013 के मुज़फ्फरनगर दंगे, 2012 के असम दंगे और इस तरह की कई आपदाओं के तहत अपने रिलीफ़ कार्यक्रमों के ज़रिए आईएमआरसी ने एक शिखर स्थापित किया है.

IMRC की अपील है कि जो भी इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहते हैं और चाहते हैं कि उनके छोटे-से योगदान से समाज के बड़े वंचित हिस्से को खाना मिल सके तो आप http://www.imrcusa.org पर जाकर योगदान कर सकते हैं.

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE