अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मशावरत के सचिव मुजतबा फ़ारूक़ ने मोदी सरकार के दो साल के कामकाज पर निराशा और नाउम्मीदी बयान की है.
TwoCircles.net के साथ एक बातचीत में उन्होंने बताया कि चुनाव से लेकर अब तक के दो सालों में किए गए मोदी सरकार के उन तमाम वादों को याद दिलाया जो सिर्फ़ बयानों व कागज़ों में ही सिमट कर रह गए.
मुजतबा फ़ारूक़ बताते हैं कि सबका साथ–सबका विकास का नारा खोखला साबित हुआ है. पिछले दो सालों में साम्प्रदायिक सदभाव को हिलाने वाली एक के बाद एक ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जिन्हें सत्ता का समर्थन प्राप्त है.
वे बताते हैं, ‘मोदी जी के पार्टी के लोगों ने जो रवैया अख़्तियार किया और उस पर पीएम मोदी की जो ख़ामोशी है, उससे मुल्क के मुसलमानों में कई अंदेशे पनपे हैं. मोदी जी की ख़ामोश ताईद नफ़रत का ही पैग़ाम दे रही है.’
मुजतबा फ़ारूक़ बताते हैं, ‘मोदी जी को विकास पुरूष के तौर पर देखा गया था. लेकिन देखा जाए तो पिछले दो सालों में सिर्फ़ बिजनेस ग्रुप का ही विकास हुआ है. देश में जिस तेज़ी से महंगाई बढ़ रही है, उससे मुल्क के ग़रीब तबक़े में काफी बेचैनी है.’
इन तमाम तथ्यों के बावजूद मुजतबा फ़ारूक़ बातचीत में यक़ीन रखते हैं. उन्होंने बताया कि मशावरत जल्द ही एक डेलीगेशन के साथ मोदी से मुलाक़ात करेगी. यदि ऐसा होता है तो यह मशावरत की प्रधानमंत्री मोदी से यह पहली मुलाक़ात होगी. इस डेलीगेशन में दूसरी तंज़ीमों के नामचीन मुस्लिम रहनुमा भी शामिल किए जाएंगे.
वे बताते हैं, ‘मुशावरत के अध्यक्ष नवेद हामिद के साथ लोग सम्पर्क में हैं. मेरे सम्पर्क में भी कुछ लोग हैं. इन लोगों के संपर्क भाजपा और मोदी के साथ भी हैं और उनकी इच्छा है कि दोनों पक्षों की मुलाक़ात हो. लेकिन हम चाहते हैं कि बड़ी जमातों के लीडरों के साथ बैठकर पहले यह तय किया जाए कि मुलाक़ात का एजेंडा क्या होगा? ये एजेंडा तय करने के बाद ही फिर हम मुलाक़ात करेंगे.’
मुसलमानों के अहम एजेंडे के बारे में पूछने पर वो बताते हैं, ‘इस समय सबसे अहम एजेंडा मुसलमानों की सुरक्षा का है. मुस्लिम नौजवानों की गिरफ़्तारियां फिर से होनी शुरू हो गई हैं. और हमारा दूसरा बड़ा एजेंडा सोशल जस्टिस का है.’
हालांकि मशावरत के पहले भी कई मुस्लिम समूह नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात कर चुके हैं. इन मुलाकातों के बारे में फ़ारूक़ बताते हैं, ‘मुसलमानों के असल लीडरशीप अभी भी मोदी की पहुंच में नहीं है. कुछ लोग अपने निजी फ़ायदे को लेकर मिले हैं. उधर मोदी जी भी ने उनसे मुलाक़ात करके यह साबित करने की कोशिश की है कि मुसलमान उनके साथ है. लेकिन इस पैग़ाम का सरकार को फ़ायदा कम और नुक़सान ज़्यादा हुआ है. सूफी कांफ्रेंस से भी मैसेज गलत ही गया है कि मोदी सरकार मुसलमानों को फ़िरक़ों में बांटना चाहते हैं.’
मुसलमानों के एकता को ओर तौक़ीर रज़ा की कोशिश को मजतबा फ़ारूक़ ने एक क़ाबिल-ए-तारीफ़ क़दम बताया है.
मुजतबा फ़ारूक़ से TwoCircles.net ने और भी कई मुद्दों पर बात की, जिन्हें आप नीचे वीडियो में देख सकते हैं :