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बलिया : जहां एक तरफ़ बलिया सदर विधायक नारद राय को दोबारा कैबिनेट मंत्री बनाए जाने को लेकर उनके समर्थकों में खुशी व जश्न का माहौल है, वहीं उत्तर प्रदेश की सामाजिक संगठन रिहाई मंच ने इसे सपा सरकार द्वारा भ्रष्टाचारियों का मनोबल बढ़ाने वाला और दलित विरोधी मानसिकता का उदाहरण वाला क़दम बताया है.
मंच ने चेतावनी देते हुए कहा है कि बलिया सदर अस्पताल को अपनी लूट का अड्डा बना देने और दलितों के घर जलवाने के पुरस्कार के बतौर नारद राय को मंत्री पद दिया जाना सपा को विधानसभा चुनाव में महंगा पड़ेगा.
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के बलिया इकाई के अध्यक्ष डॉ. अहमद कमाल और सचिव मंजूर आलम ने कहा है कि नारद राय को फिर से मंत्री बनाकर अखिलेश यादव ने साबित कर दिया है कि उन्हें दलितों और आदिवासियों के घर फुंकवाने वाले अपराधी तत्व कितने प्रिय हैं.
इन दोनों नेताओं ने आरोप लगाया कि 27 मार्च 2016 की रात को शिवपुर दीयर के गोंड़, पासी, पासवान और खरवार बिरादरी के 60 रिहाईशी झोपड़ियों को नारद राय के क़रीबी सजातीय अपराधियों ने न सिर्फ पूरी तरह जला दिया, बल्कि लोगों पर जानलेवा हमला भी किया. लेकिन विधायक होने के बावजूद नारद राय ने घटनास्थल का दौरा नहीं किया और पुलिस पर दबाव डालकर अपने सजातीय दबंगों को बचाने का काम किया.
नेताओं ने कहा कि इस घटना के खिलाफ़ चलाए गए हस्ताक्षर अभियान में सदर क्षेत्र के हज़ारों लोगों ने हस्ताक्षर कर नारद राय की भूमिका की जांच की मांग की थी. जिसकी शिकायत कई बार पीड़ितों और मंच ने ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री से भी की गयी थी.