TwoCircles.net News Desk
पटना : जदयू के बाद अब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने भी इस बार के बजट की निंदा की है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिहार राज्य सचिवमंडल के मुताबिक़ इस बजट में बिहार के साथ खासा अन्याय किया गया है. बजट में बिहार जैसे पिछड़े राज्यों को उठाकर सामान्य स्तर पर लाने का कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया है. विशेष राज्य का दर्जा देने की बात तो क्या, बिहार में कोई भी बड़ी परियोजना देने का प्रावधान नहीं किया गया है.
इस सचिव मंडल ने आज जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि –‘ग्रामीण क्षेत्रों और कृषि तथा सिंचाई पर आवंटन में बढ़ोतरी का ढि़ंढोरा पीटा जा रहा है. लेकिन उससे पता नहीं चलता कि कृषि पर निर्भर और देश के सबसे ज्यादा बाढ़ग्रस्त राज्य बिहार को क्या फायदा होगा? मिसाल के लिए, बिहार बाढ़ की समस्या के स्थायी निदान के लिए कोई प्रावधान नहीं है. गंडक प्रोजेक्ट दशकों से अधूरा पड़ा है. इसकी वजह से इस परियोजना के क्षेत्र में 7 लाख एकड़ जमीन जल जमाव के कारण बेकार हो गयी, जबकि इससे उत्तर बिहार के 24 जिलों में 28 लाख एकड़ की सिंचाई होनी थी, बाढ़ से छुटकारा मिलना था और पनबिजली भी बननी थी. बजट में बिहार की ऐसी किसी भी परियोजना के लिए कोई प्रावधान नहीं है.’
इस सचिवमंडल ने इस बार के बजट की निंदा करते हुए कहा कि –‘जो बजट इस बार पेश किया गया है, उसमें लफ्फाजी ज्यादा और आम आदमी के हित की बातें नगण्य हैं.’
भाकपा के सचिवमंडल के मुताबिक़ आम आदमी जिन समस्याओं से सबसे ज्यादा परेशान हैं, वे है कमरतोड़ महंगाई, भीषण बेरोज़गारी और असह्य गरीबी. लेकिन बजट में इन समस्याओं के समाधान का कोई रास्ता दिखाई नहीं देता. उल्टे सेवा कर, रेडीमेड कपड़े और कई अन्य चीजों पर अप्रत्यक्ष करों में बढ़ोतरी की गयी है, जिससे महंगाई और बढ़ेगी. यहां तक कि भविष्य निधि से कर्मियों द्वारा निकाले जाने वाली रक़म को भी आयकर के दायरे में घसीट लिया गया है. यह कारपोरेट घरानों की थैली भरने और आर्थिक संकट का बोझ आम आदमी पर डालने वाला बजट है.
भाकपा का कहना है कि –‘नरेन्द्र मोदी सरकार ने पिछले साल ही कारपोरेट घरानों के आयकर को 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने की घोषणा की थी. इस साल के बजट में उसको लागू करने की प्रक्रिया शुरू की गयी है. जब कारपोरेट टैक्स 30 प्रतिशत था, तब कारपोरेट घराने 25 प्रतिशत से भी कम कर चुकाते थे. अब यह दर 25 प्रतिशत होगी, तब वे 20 प्रतिशत से भी कम चुकाएंगे. यह नरेन्द्र मोदी सरकार की ओर से कारपोरेट घरानों को दिया जानेवाला एक बड़ा तोहफा है. इससे सरकार के ख़जाने में जो घाटा होगा, उसकी भरपाई अप्रत्यक्ष करों के रूप में जनता पर करों का बोझ बढ़ाकर की जाएगी.’