सीआरपीएफ RTI मामला : मुश्किल में फंसे आरटीआई आवेदक शम्स तबरेज़

TwoCircles.net Staff Reporter

इलाहाबाद – सीआरपीएफ में नियुक्ति को लेकर दायर किए गए आरटीआई आवेदन के विवादास्पद जवाब का मामला और गहराता जा रहा है. इस मामले में सीआरपीएफ के जनसूचना अधिकारी का कथित जवाब खासा विवादित रहा. लेकिन अब इस मामले में नयी सचाई सामने आ रही है.


Support TwoCircles

आरटीआई आवेदक शम्स तबरेज़ अब सीआरपीएफ के जवाब में तोड़मरोड़ करने के आरोप में फंस चुके हैं. सीआरपीएफ इलाहाबाद केंद्र के डीआईजी डीके त्रिपाठी की तहरीर पर शम्स तबरेज़ के खिलाफ़ थरवई थाने में मुक़दमा दर्ज किया गया है.

कल गुरुवार को गाजीपुर के उसिया गांव के निवासी शम्स तबरेज़ ने दिलदारनगर थाने में डीके त्रिपाठी के खिलाफ जब एफआईआर दर्ज कराने पहुंचे तो पुलिस अधिकारियों ने मुकदमा दर्ज करने से इनकार कर दिया. अधिकारियों ने शम्स से यह कहा कि वे या तो अधिकारियों से संपर्क करें या अदालत में मामला दर्ज कराएं.

सीआरपीएफ RTI मामला : मुश्किल में फंसे आरटीआई  आवेदक शम्स तबरेज़

शम्स धार्मिक भावनाएं आहत करने, साम्प्रदायिक द्वेष फैलाने, धार्मिक आधार पर भेदभाव करने और साक्ष्य मिटाने की शिकायत लेकर दिलदारनगर थाने पहुंचे तो थानाध्यक्ष शिवकुमार मिश्रा ने शम्स का शिकायती पत्र लौटाते हुए उन्हें किसी अधिवक्ता से संपर्क करने की सलाह दी. थानाध्यक्ष शिवकुमार मिश्रा ने बताया कि शम्स ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने की भी मांग की थी.

जानकारी के लिए बता दें कि शम्स तबरेज़ ने 2010 में सीआरपीएफ की भर्ती प्रक्रिया में हिस्सा लिया था. बकौल शम्स, सारे टेस्ट पास करने के बाद मेडिकल टेस्ट में वे सफल नहीं हो सके. शम्स इस परिणाम को लेकर संतुष्ट नहीं थे तो उन्होंने इसे लेकर इलाहाबाद सीआरपीएफ में एक आरटीआई दायर कर दी. उन्होंने मेडिकल जांच के रिपोर्ट की सत्यापित प्रति मांगी थी.

इस आरटीआई आवेदन के जवाब में उन्हें 4 फरवरी को इलाहाबाद सीआरपीएफ के ग्रुप ज़ोन के केन्द्रीय जनसूचना अधिकारी डीके त्रिपाठी की ओर से जवाब मिला. इस जवाब की जो प्रति मीडिया को शम्स तबरेज़ द्वारा मुहैया कराई गयी उसमें डीके त्रिपाठी का जवाब पढ़कर कोई भी हैरान हो सकता है.

जनसूचना अधिकारी डीके त्रिपाठी ने लिखा – आपको अवगत कराया जाता है कि आप मुस्लिम समुदाय से सम्बंधित हैं जो आतंकियों का धर्म है अतः जन सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के सेक्शन 8(1)(क) के तहत सुरक्षा कारणों से सूचना/ दस्तावेज़ नहीं दिया जा सकता.

जवाब में यह भी लिखा गया कि आरटीआई एक्ट 2005 के अध्याय 6 के सेक्शन 24(1) के तहत उनके विभाग को इस तरह की सूचनाएं सार्वजनिक करने से मुक्त रखा गया है.

जब यह पत्र सोशल मीडिया पर आया तो तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आयीं. मीडिया ने इस मामले को प्रमुखता से उठाना शुरू किया तो सीआरपीएफ ने मामले को संज्ञान में लेते हुए इस खबर का खंडन किया. सीआरपीएफ ने आधिकारिक पत्र में छेड़छाड़ कर उसे मीडिया में प्रसारित करने के आरोप में शम्स के खिलाफ थरवई थाने मुकदमा दर्ज करा दिया है.

इस मामले पर हमने शम्स से बात की तो उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ साक्ष्यों और मूलपत्र के साथ खिलवाड़ कर रही है. शम्स ने कहा, ‘आरटीआई का जवाब मुझे बंद लिफ़ाफ़े में मिला था और उस मैंने ठीक-ठीक वैसे ही शेयर कर दिया था. सीआरपीएफ अपनी साख बचाने के लिए ऐसा कर रही है.’

शम्स ने आगे कहा, ‘लोग कह रहे हैं कि पब्लिसिटी पाने के लिए मैंने ऐसा किया. जबकि मैंने गृह मंत्रालय, अल्पसंख्यक विभाग और मानवाधिकार कमीशन को भी इस मामले की जानकारी दी है, सिर्फ सोशल मीडिया पर नहीं. लोग मेरे परिवार के बारे में तमाम किस्म की बातें कर रहे हैं कि मैं बहुत संपन्न परिवार से ताल्लुक रखता हूं लेकिन जानकारी के लिए बता दूं कि मेरे पिता चतुर्थ श्रेणी के राज्य कर्मचारी हैं. संसाधनों की कमी की वजह से मेरे भाई की पढ़ाई बीच में ही रुक गयी है. संसाधनों के अभाव के कारण मैं न्यायिक प्रक्रिया का खर्च उठाने में अक्षम हूं, फिर भी विचार चल रहा है.’

इस मामले में सीआरपीएफ ने भी एक पत्र जारी किया है, जो सीआरपीएफ का सच है. शम्स तबरेज़ का पत्र उनका अपना सच है. लेकिन मूल सच सामने आए इसके लिए न्यायालय की निगरानी के अधीन मुक्त जांच दरकार है.

इस मामले पर पढ़ें – CRPF – आप आतंकियों के धर्म से ताल्लुक रखते हैं, लिहाज़ा आपको सूचना नहीं दी जा सकती है

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE