मुसलमान-दलित एकता के साथ शुरू हो भगदड़ और मौत में ख़त्म हुई मायावती की रैली

सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net

लखनऊ: बसपा के संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि के अवसर पर आज लखनऊ में रैली का आयोजन हुआ. और इसी रैली के मंच पर से बसपा सुप्रीमो मायावती ने खुले मंच से कांग्रेस, भाजपा और सपा पर हमला किया. मायावती का भाषण देखकर यह साफ़ था कि वे चुनाव में पूरी तैयारी के साथ उतरने वाली हैं और ‘दलित-मुस्लिम भाई-भाई’ के समीकरण को लागू करने की फ़िराक में हैं. लेकिन इस रैली की शुरुआत में मायावती का जोश जितना जबरदस्त था, वह इस रैली में मची भगदड़ और मौत के साथ ठंडा पड़ गया.


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Mayawati Rally 9 October

इस भगदड़ में अभी तक तीन लोगों के मारे जाने की खबर है और इसके साथ ही लगभग 22 लोग घायल हुए हैं. कांशीराम स्मारक स्थल के गेट संख्या 1 से भारी भीड़ के भीतर घुसने के कारण ऐसा हुआ. घायलों और मृतकों की संख्या के बारे में अभी कोई पुष्टिकरण नहीं हो सका है.

अपनी रैली में मायावती ने कहा, ‘मुसलमान यदि सपा या कांग्रेस को वोट देते हैं तो इससे भाजपा को फायदा होगा क्योंकि ऐसे भाजपाविरोधी वोटों का बंटवारा हो जाएगा.’ ऐसा कहकर मायावती ने यह साफ़ कर दिया कि वे वोट के लिए समीकरणों को भी सामने रखने से नहीं चूकेंगी.

उन्होंने आगे कहा कि यदि मुसलमान और दलित साथ आ जाते हैं तो उत्तर प्रदेश में भाजपा को हारने से कोई बचा नहीं सकता है.

मायावती ने कहा कि मोदी राज में मुसलमानों और दलितों के खिलाफ गौ-रक्षकों द्वारा हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं. इस समय सभी असुरक्षित हैं.

मायावती ने सर्जिकल स्ट्राइक पर बात शुरू की. उन्होंने इस कार्रवाई की प्रशंसा तो की लेकिन साथ में यह भी कहा कि देश में और भी मुद्दे हैं, जिनकी ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए. साथ यह भी कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक की है. भारत ऐसा पहले से करता आया है. उन्होंने इसे सरकार की ‘नाटकबाजी’ करार दिया.

उन्होंने भाजपा के ‘हिन्दू राष्ट्र’ के एजेंडे को आड़े हाथों लिया और कहा कि मोदी इन सपनों के क्षेत्र में फेल हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अपने चुनावी वादों पर भी फेल हो रहे हैं.

मायावती ने भाजपा पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाया और कहा कि अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को साधने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है.

लेकिन 11.30 बजते-बजते रैली स्थल पर भगदड़ मच गयी, जिसके साथ ही रैली धराशायी हो गयी.

मायावती की रैली में उमड़ी भीड़ पार्टी द्वारा किए गए दावों के आसपास थी. बसपा की रैली में अन्य पार्टियों की रैलियों की अपेक्षा एक बड़ी बात सामने आती है. बसपा की रैलियों में महिला समर्थकों की संख्या अच्छीखासी होती है. इस रैली में भी यही था. महिलाओं के गुट कई-कई जगहों पर दिख रहे थे. पार्टियों की रैलियों में बसपा के बाद कांग्रेस का नंबर आता है, जिसकी रैलियों में महिलाएं प्रमुखता से दिखती हैं.

बहरहाल यह रैली दलितों को जुटाकर मुस्लिम मतदाताओं को साधने के प्रयास के तौर पर देखी जा रही है. हो सकता है कि यदि भगदड़ और मौतें न हुई होतीं, तो शायद कोई और समीकरण निकाला जा सकता था. लेकिन अभी बस इतना ही.

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