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इलाहाबाद: दो दिनों पहले यानी शनिवार रात को इलाहाबाद के उमरपुर में मुहर्रम की मजलिस थी. तभी भीड़ के बीच में किसी बुर्केधारी महिला को पीटे जाने का शोर होने लगा. कुछ ही देर में जब धुंधलका साफ़ हुआ तब पता चला कि बुर्के में महिला नहीं बल्कि एक पुरुष था, जो यहां महिलाओं के साथ छेड़खानी को अंजाम दे रहा था.
यह पता लगते देर नहीं लगी कि पिटता बुर्काधारी कोई और नहीं बल्कि विश्व हिन्दू परिषद् का नेता अभिषेक यादव था. खबर है कि अभिषेक यादव वहां कुछ और लोगों के साथ भी गए थे, लेकिन अभिषेक यादव को पिटता देख बाकी लोग वहां से गायब हो गए.
मामला और भी ज़्यादा संगीन हो जाता है जब पता चलता है कि जिला स्तर के विहिप नेता अभिषेक यादव शादीशुदा हैं और उनकी पत्नी भाजपा की जिला पंचायत सदस्य भी हैं.
पुलिस ने अभिषेक यादव के खिलाफ मुक़दमा दर्ज कर लिया है और ज़ाहिर है कि अभिषेक के घरवाले पूरे मामले को झूठा और मनगढ़ंत करार दे रहे हैं. लेकिन अभिषेक के बुर्का पहनने के सवाल पर उनके घर वाले चुप्पी साध जा रहे हैं.
अभिषेक के खिलाफ मुक़दमा दर्ज कराने वाले मुकिमुद्दीन के मुताबिक अभिषेक मजलिस के औरतों वाले हिस्से में छिपकर बैठा था और औरतों को छेड़ रहा था. मुकिमुद्दीन ने कहा है कि अभिषेक की नीयत दंगा फैलाने की है.
पोस्टर बैनर में खुद को भाजपा नेता ‘हिंदू अभिषेक यादव’ लिखने वाला अभिषेक इसके पहले दंगा व सांप्रदायिक विवाद भड़काने में जेल भी जा चुका है. उसने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भी जेल में रहते हुए जीता था.
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर हल्ला मच गया और हर जगह शोर उठने लगा. अभिषेक यादव द्वारा छपवाए गए विहिप के पोस्टर भी तेज़ी से सर्कुलेट हो रहे हैं. लेकिन इस मामले का रोचक पहलू इस मामले की रिपोर्टिंग है. इस मामले की रिपोर्टिंग में सबसे पहले कुछेक वैकल्पिक मीडिया संगठन सामने आए. उसके बाद एक दिन तक मामला वायरल हुआ तो एनडीटीवी पर खबर को चलाया गया और उसके बाद जहां-जहां इस खबर को चलाया गया हर उस जगह को इस खबर को प्राथमिकता नहीं दी गयी.
इसी इलाके के मोहम्मद शाहिद कहते हैं कि हमने कुछ लोगों को वाट्सऐप पर फोटो और खबरें भी भेजी थीं, लेकिन कुछ को छोड़कर बाकी किसी ने भी खबर को अहमियत नहीं दी. शाहिद ने कहा कि मीडिया के लिए कैराना मुद्दा है तो इलाहाबाद कहाँ से हो जाएगा. ऐसा कहना शाहिदा और मुन्ना खां का भी है.
अभिषेक यादव द्वारा बनवाए और लगवाए हुए पोस्टरों पर अभिषेक यादव का नंबर भी चस्पा है. इस नंबर पर फ़ोन करने पर फोन घटना के बाद से ऑफ बता रहा है.
यह सही है कि मीडिया में यह खबर बेहद देर से उठायी गयी. जिन मीडिया संस्थानों का काम करने का तरीका वैकल्पिक मीडिया सरीखा है, उनके यहां यह खबर सबसे पहले दिख गयी. लेकिन मेनस्ट्रीम मीडिया ने इस खबर को बेहद देर से उठाया है.