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लुधियाना : ‘केन्द्र सरकार शरीयत में दख़लअंदाजी की कोशिश न करे, क्योंकि मुसलमान अपने धर्म में हस्तक्षेप करने वाले किसी भी क़ानून को नहीं मानेगा.’
यह बातें सोमवार को लुधियाना (पंजाब) के जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने एक पब्लिक मीटिंग के दौरान कहीं.
शाही इमाम ने आगे कहा कि –‘सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के विषय में हो रही सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से दायर किया गया जवाब भारत के 26 करोड़ मुसलमानों की भावनाओं के खिलाफ़ है, जिसे मुसलमान किसी भी क़ीमत पर स्वीकार नहीं करेगा.’
उन्होंने कहा कि –‘भारत का संविधान प्रत्येक भारतीय को अपने धर्म के मुताबिक़ जीवन व्यतीत करने का अधिकार देता है और केन्द्र सरकार संविधान के इस भाग को भूल चुकी है. मुसलमानों को अपने शादी-विवाह और तलाक के विषय में किसी सरकारी सुझाव की ज़रूरत नहीं. कुरआन शरीफ़ में अल्लाह ताआला ने एक मुक्म्मल दस्तूर हमें दिया जो कि हर लिहाज़ से पूरा है.’
शाही इमाम ने आगे कहा कि –‘कुछ लोग मुस्लिम पर्सनल लॉ को लेकर सियासी रोटियां सेंकने में लगे हैं, ऐसे लोगों ने दरअसल कुरआन को पढ़ा ही नहीं है. कुरआन शरीफ़ में मर्द के साथ-साथ औरत को भी पूरा हक़ दिया गया है.’
शाही इमाम मौलाना हबीब मोदी सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि –‘मोदी सरकार को चाहिए कि वो धर्म के नाम राजनीति करना छोड़े और विकास की ओर ध्यान दे. लोगों को अमन-शांति, भाईचारे और अच्छे दिनों की ज़रूरत है ना कि मन की बातें करके जनता का ध्यान भटकाएं.’
शाही इमाम ने यह भी कहा कि भारत के सभी मुसलमान अपने अधिकारों के लिए एकजुट है, वह किसी भी काले क़ानून को नहीं मानेगें. इसलिए केन्द्र सरकार में बैठे मुस्लिम प्रतिनिधियों को चाहिए कि वह चमचागिरी छोड़ें और सरकार को मुसलमानों की भावनाओं से अवगत करवाएं.’
आख़िर में उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ को लेकर अगर ज़रूरत हुई तो दिल्ली में भारत की सभी मुस्लिम संस्थाएं एकजूट होकर सरकार के सामने अपनी बात रखेंगी. क्योंकि शरीयत मुसलमानों की रूह है और दुनिया की कोई भी ताक़त उसे बदल नहीं सकती.