सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net
लखनऊ/ वाराणसी : आज पूरे देश में दशहरा मनाया जा रहा है. इसे आम बोलचाल की भाषा में ‘बुराई पर अच्छाई की जीत’ के पर्व के रूप में देखा जाता है. लेकिन इस बार दशहरा जैसे पर्व का पूरा परिप्रेक्ष्य और पूरा मतलब ही राजनीतिक कर दिया गया है, ऐसा लगता है. कम से कम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दशहरा तो ऐसा ही लगता है.
लखनऊ के ऐशबाग रामलीला में भाग लेने आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आज के भाषण और उनकी कार्रवाईयों पर गौर करें तो लगता है कि आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिक उपयोग करने के बाद भाजपा ने विजयादशमी का भी राजनीतिक उपयोग कर डाला है.
इस सन्दर्भ में सबसे रोचक बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी का भाषण ‘जय श्रीराम’ से शुरू होता है और जाकर ‘जय श्रीराम’ पर ख़त्म भी होता है.
यह बात भी रोचक है कि भाषण ख़त्म करते हुए मोदी ने जब ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाया तो उन्हें भीड़ की ओर से अच्छा रिस्पांस नहीं मिला तो उन्होंने कहा कि और जोर से कहिए. इसके बाद भीड़ खड़ी हो गयी और ‘जय श्रीराम’ का नारा फिर से लगाया गया.
‘जय श्रीराम’ का नारा अकेली कोई प्रभावी चीज़ नहीं है, लेकिन यह साफ़ है कि लखनऊ अयोध्या-फैजाबाद से महज़ डेढ़ घंटों की दूरी पर है. ऐसे में इस नारे को लगाए जाने को एक संदिग्ध नज़र से देखा जा सकता है. अयोध्या के कारसेवा के दिनों और रोजाना के माहौल को छोड़ दें तो पूरे उत्तर प्रदेश में ‘जय श्रीराम’ का नारा चलन में नहीं है. साथ में मौजूद पत्रकार साथी के मुताबिक़ यह नारा लगता देख उन्हें बाबरी मस्जिद विध्वंस के दिनों की याद हो आई.
जय श्रीराम का नारा एक विवादित नारा है. इस नारे के साथ कई सारी स्मृतियां जुडी हुई हैं, जिनमें हिंसा है, खून है, बलवा और बलात्कार है. ‘सियापति रामचंद्र की जय’ और ‘जय सियाराम’ नहीं, जय श्रीराम. अयोध्या वाला ‘जय श्रीराम’.
और देश के प्रधानमंत्री द्वारा हर साल दिल्ली में दशहरा मनाने का सिलसिला इस साल उत्तर प्रदेश की राजधानी में जाकर ख़त्म होता है. ऐसे में उत्तर प्रदेश चुनावों की तैयारी को लेकर भाजपा की तैयारी कलई कुछ खुल जाती है.
कैराना, दादरी और आजमगढ़ जैसे मुद्दों को देखें तो भाजपा इन चुनावों में अपनी कट्टरपंथी छवि को साथ लेकर आगे चलना चाह रही है. देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह – जो आज प्रधानमंत्री मोदी के साथ लखनऊ में मौजूद थे – कैराना में जल्द ही एक रैली करने वाले हैं. कैराना के आसपास के जिलों में कथित ‘विस्थापन’ के मुद्दे को लेकर सर्वे कराया जा रहा है और पार्टी सूत्रों की मानें तो अपने सर्वे को लेकर भाजपा मजबूती से खड़ी भी है और इसे एक प्रमुख मुद्दा बनाने की कोशिश जारी है.
कैच न्यूज़ की खबर के मुताबिक लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा ने कहा है, प्रधानमंत्री के लखनऊ स्थित ऐशबाग के अत्यंत प्राचीन ऐतिहासिक दशहरा मेले में शामिल होने के पीछे ना तो कोई राजनीति है और ना ही कोई मंतव्य. यह मोदी की श्रद्धा और अस्था का प्रतीक है. गंगा जमुनी सभ्यता के प्रतीक स्थल के प्रति नमन का भाव है.’
बहरहाल मोदी ने आज कन्या भ्रूण ह्त्या पर भी बात की. उन्होंने पहले आतंकरोधी किरदार के रूप में जटायु का ज़िक्र किया. पाठकों को बताते चलें कि मिथकीय चरित्र जटायु का ज़िक्र रामायण में आता है, जिसने सीता का अपहरण कर ले जाते रावण से युद्ध किया था. प्रधानमंत्री मोदी ने भ्रूण में पल रही बेटियों को सीता करार दिया और हर जगह फैले आतंकवाद को जड़ से मिटाने की बात की.
पूरी तरह से हिन्दू धर्मं के जटिल राजनीतिक स्वरुप के आसपास फैले मोदी के भाषण से दो प्रश्न तो ज़रूर उठते हैं. एक, मोदी के लिए बेटियां सीता ही क्यों हैं और दो, मोदी के लिए आतंकवाद की ‘जड़’ क्या है?