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बलिया : मुज़फ़्फ़रनगर साम्प्रदायिक हिंसा की चौथी बरसी पर उत्तर प्रदेश की सामाजिक संस्था रिहाई मंच ने ज़िलाधिकारी के माध्यम से आज मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर पीड़ितों को न्याय दिलाने और दोषियों को जेल भेजने की मांग की है.
बलिया कलेक्टिरी में ज्ञापन सौंपने से पहले हुई सभा में रिहाई मंच बलिया के अध्यक्ष डॉ. अहमद कमाल ने कहा कि –‘सपा द्वारा संघ परिवार के एजेंडे को आगे बढ़ाने का इससे खुला उदाहरण क्या हो सकता है कि मुज़फ़्फ़रनगर साम्प्रदायिक हिंसा का एक भी आरोपी जेल में नहीं है. पीड़ित और गवाह अपनी जान बचाए फिर रहे हैं. सरकार ने खुद संगीत सिंह सोम और सुरेश राणा जैसे भाजपा नेताओं और मुख्य षडयंत्रकारियों के खिलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं करके उनके मनोबल को बढ़ाया हुआ है, जिससे आज भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुसलमानों में खौफ़ व्याप्त है.’
उन्होंने कहा कि –‘धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मुसलमानों से वोट लेकर बदले में उन्हें हिंसा और नाइंसाफ़ी देना मुलायम सिंह की पहचान बन गई है.’
वहीं रिहाई मंच सचिव मंज़ूर आलम ने कहा कि –‘सपा सरकार ने जांच के लिए एसआइसी का गठन कर मनोज कुमार झा जैसे व्यक्ति को उसका प्रमुख बना दिया था. जिन पर खुद ख़ालिद मुजाहिद की हिरासती हत्या का आरोप है और निमेष कमीशन की रिपोर्ट ने भी जिनके खिलाफ़ आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुसलमानों को फंसाने के लिए कार्रवाई की मांग की है.’
उन्होंने कहा कि –‘मुज़फ़्फ़रनगर साम्प्रदायिक हिंसा पीड़ितों ने कई बार मीडिया के सामने ये आरोप लगाए हैं कि मनोज कुमार झा उन पर आरोपियों को बचाने का दबाव डालते थे. लेकिन बावजूद इसके ऐसे अधिकारी के खिलाफ़ कार्रवाई करने के सपा सरकार ने उन्हें बलिया जैसे शांतिप्रिय ज़िले का कप्तान बना कर भेज दिया.’
इस अवसर पर रिहाई मंच नेता धीरज तुरहा ने कहा कि –‘मुज़फ़्फ़रनगर साम्प्रदायिक हिंसा के दोषियों का जेल के बाहर आज़ाद घूमना देश और समाज के लिए शर्मनाक है.’
उन्होंने कहा कि –‘ऐसे तत्वों को खुला छोड़कर सरकार भविष्य के साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं के लिए माहौल बना रही है. जिसके खिलाफ़ हर इंसाफ़-पसंद नागरिक को खड़ा होना होगा.
इस अवसर पर अधिवक्ता मधुसूदन श्रीवास्तव, वसीम, अबरार, लक्ष्मण यादव, अतुल गुप्ता, यशवंत सिंह, तनवीर खान उर्फ बब्बू आदि उपस्थित थे.