अपने अधिकार के लिए संगठित हो रही हैं इस गांव की महिलाएं

TwoCircles.net Staff Reporter

मधुबनी (बिहार) : मधुबनी ज़िले के कलुआही प्रखंड के काज़ीटोला व हरपुर के ग्रामीण इन दिनों अपने गावं में हो रही हलचल से काफी खुश हैं. पहली बार यहां की महिलाएं घुंघट और पर्दे के दायरे को पार कर अपना सेल्फ़ हेल्प ग्रुप (SHG) बनाने और उसे चलाने की रणनीति बनाने में मशगूल हैं.


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‘मिसाल नेटवर्क’ नामक सामाजिक संस्था के सहयोग से 50 महिलाओं ने मिलकर अब तक पांच समूह बनाये हैं. इन महिलाओं को ‘मिसाल’ की महिला प्रशिक्षक शहरोज़ संगठित होने के फ़ायदे समझा रही हैं और अपना रोज़गार घर पर ही करने के गुण भी बता रही हैं.

Misaal

इन महिलाओं को संगठित करने में अहम भूमिका निभाने वाली गावं की महिला फ़रहत बताती हैं कि उनके गावं के अधिकतर पुरुष बाहर जाकर मेहनत मजदूरी करते हैं. इनमें भी अधिक संख्या दिल्ली-मुंबई जाकर मजदूरी करने वालों की है. अब तक यहां की महिलाएं अपने मर्दों की कमाई पर ही निर्भर रहती हैं. उनके पास घर में क़ैद रहने के सिवा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है. लेकिन जब उन्हें ‘मिसाल’ के लोगों ने बताया कि –‘हम अपनी छोटी बचत करके अपना स्वरोजगार शुरू कर सकते हैं. किसी प्रकार की मुसीबत आने पर एक दूसरे से मदद ले सकते हैं.’ तो यहां के महिलाओं को यक़ीन नहीं हुआ. शुरू में महिलाओं में झिझक था पर अब एक-दूसरे के देखा-देखी महिलाएं जुड़ने लगी हैं. वे मीटिंग में भी आती हैं और अपनी बचत भी कर रही हैं. इन समूहों में दलित और अल्पसंख्यक दोनों समुदाय की महिलाए हैं.’

महिलाओं के अलावा इस गांव के युवाओं में भी अब एक नया जोश साफ़ नज़र आता है. ‘मिसाल’ के वॉलंटियर के रूप में काम कर रहे दिलीप राम और आशिक़ अली गावं के ऐसे युवा हैं, जो इस पिछड़े गावं को सरकारी योजनाओं से जोड़ने में लगे हैं, ताकि गावं को जन-कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जा सके.

इन दोनों युवाओं ने मिलकर अब तक 28 तलाकशुदा एवं परित्यागता महिलाओं का आवेदन कराया है. उन्हें उम्मीद है कि राज्य सरकार की ओर से जल्द ही इन महिलाओं के खाते में दस-दस हजार रूपये आ जायेगा.

इतना ही नहीं, इन दोनों युवाओं ने इस गावं के 123 बच्चों का ‘प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप’ के लिए आवेदन दाखिल कराया है. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 85 ग़रीब महिलाओं का आवेदन भी कराया है. ताकि इन्हें मुफ्त में गैस चूल्हा मिल सके. साथ ही ये दोनों युवा गावं के 30 अनपढ़ महिलाओं को चिन्हित कर साक्षर करने के कार्यक्रम में जुटे हुए हैं.

गावं के बुजुर्ग महिलाओं और युवाओं के इस जोश व उत्साह को देखकर अब गांव का हर व्यक्ति खुश है और उन्हें दुआ दे रहा है. अपने उम्र का बड़ा हिस्सा बाहर गुज़ारने वाले कामिल हुसैन इन कामों में सहयोग भी कर रहे हैं. पुलिस सेवा में रहे फ़िरोज़ भी इन युवाओं को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि यह गांव जल्द ही पूरे बिहार में एक मिसाल बनेगा.

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