TwoCircles.net Staff Reporter
लखनऊ : पिछले साल दादरी में हुए अख़लाक़ हत्याकांड में एक नया खुलासा आज सामने आया है. तथ्य बताते हैं कि अभियुक्त सचिन ने फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों को आधार बनाकर कुछ अधिकारियों की मदद से खुद को नाबालिग़ साबित करवाया है, ताकि सज़ा से बचा जा सके.
गौतम बुद्ध नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व थाना जारचा के प्रभारी को दिए प्रार्थना पत्र अख़लाक़ की पुत्री शाइस्ता ने कहा है कि वह और अभियुक्त सचिन 2009 में राणा संग्राम सिंह इंटर कॉलेज मंर सहपाठी थे. सचिन ने हाई स्कूल की परीक्षा दी थी पर वह अनुत्तीर्ण रहा. इसके बाद अभियुक्त सचिन 2013 में दयानंद इंटर कॉलेज बंबावड़ गौतमबुद्ध नगर से हाई स्कूल उत्तीर्ण किया. विद्यालय के अभिलेख में उसकी जन्म तिथि 6 सितंबर 1994 अंकित है. चूंकि अभियुक्त सचिन सन 2009 की हाई स्कूल की परीक्षा में असफल था, इसलिए उसने आयु को चार वर्ष घटा दिया और संस्थागत छात्र के बतौर उसने दयानंद इंटर कॉलेज में परीक्षा का फार्म भरा तो अपनी जन्म तिथि 6 सितंबर 1998 कर दी, हालांकि इस ग़लती को कॉलेज प्रशासन नहीं पकड़ा और यूपी बोर्ड परीक्षा को अग्रसरित कर दिया. जबकि जन्म तिथि जो परीक्षा फार्म में उल्लेखित है वह विद्यालय के छात्र पंजीकरण अभिलेखों के अनुरुप नहीं है.
विवेचना अधिकारी पर आरोप लगाते हुए शाइस्ता ने कहा कि विवेचना अधिकारी ने गहन रुप से विवेचना नहीं की. विवेचना अधिकारी को इस तथ्य की खोज करनी चाहिए थी कि दयानंद इंटर कॉलेज बंबावड़ में सचिन का पंजीकरण जिसका नंबर 11625 है, किस वर्ष में हुआ और सचिन ने पूर्व विद्यालय और शिक्षा के संबन्ध में अपने प्रमाण पत्र ट्रांसफर सर्टिफिकेट किस विद्यालय के प्रस्तुत किए हैं.
मतदाता सूची के हवाले से शाइस्ता ने कहा है कि अभियुक्त सचिन का नाम वर्ष 2014 की मतगणना सूची में दर्ज है. जिसमें उसकी आयु 22 वर्ष है. उसका नाम वर्ष 2014 की दादरी विधानसभा क्षेत्र की भाग संख्या-119 में मतदाता क्रमांक-131 पर दर्ज है. जिसपर उसका फोटो भी है. उसकी मतदाता परिचय पत्र संख्या एनडीटी 2775880 है. अभियुक्त सचिन की जन्म तिथि 6 सितंबर 1998 थी तो 1 जनवरी 2014 को उसकी आयु तक़रीबन 15 वर्ष कुछ माह होती है और उसका किसी भी रुप में 22 वर्ष होना संभव नहीं था और न ही उसका नाम मतदाता सूची में दर्ज हो सकता था. चूंकि वास्तव में उसकी जन्म तिथि 6 सितंबर 1994 अभिलेख छात्र पंजीकरण आदि में दर्ज है, इसलिए उसी आधार पर उसने अपना नाम 2014 में मतदाता सूची में दर्ज करवा लिया. यह भी संभव है कि उसका वास्तव में जन्म 6 सितंबर 1994 से पहले हुआ हो और शैक्षिक अभिलेखों या प्रमाण पत्र में अपनी आयु घटाकर 6 सितंबर 1994 लिखा दी हो जिसका उल्लेख दयानंद इंटर कालेज बंबावड़ के छात्र पंजीकरण संख्या 11625 में आया है.
अख़लाक़ की पुत्री शाइस्ता ने वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक को दिए प्रार्थना पत्र में कहा है कि अभियुक्त सचिन ने राणा संग्राम सिंह इंटर कॉलेज बिसहड़ा में अपने अध्ययन करने और मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के तथ्यों को छिपाकर स्वयं को अव्यस्क घोषित करा लिया है. उसके द्वारा वर्ष 2013 के यूपी बोर्ड के हाई स्कूल परीक्षा फार्म में अपनी जन्म तिथि 6 सितंबर 1998 ग़लत प्रदर्शित की गई है. जबकि उसका छात्र पंजीकरण संख्या 11625 के अनुसार उसकी जन्म तिथि 6 सिंतंबर 1994 है. इस प्रकार अभियुक्त सचिन तथ्यों को छिपाकर दस्तावेज़ों की कूट रचना करके और अदालत से धोखा करके स्वयं को अव्यस्क घोषित करवाया है. इससे न्याय की हानि हुई है.
शाइस्ता ने मांग की है कि इस मामले की जांच के लिए उपरोक्त दोनों विद्यालयों एवं ज़िला निर्वाचन कार्यालय से तथ्यों की गहन पड़ताल करके माननीय न्यायालय के समक्ष सही तथ्य प्रस्तुत किया जाए और अभियुक्त सचिन को व्यस्क घोषित कराएं. यदि आवश्यक हो तो अभियुक्त सचिन का आयु प्रमाणित करने के लिए मेडिकल कराने की कृपा करें.
इस कांड में मृतक अख़लाक़ का पक्ष देख रहे वरिष्ठ मानवाधिकार कार्यकर्ता व अधिवक्ता असद हयात का कहना है कि इस पूरे मामले में दोषी सचिन ने जिस तरह से न्यायालय में अपने नाबालिग़ होने का फ़र्ज़ी सबूत पेशकर 6 सितंबर को ज़मानत पर रिहाई पाई, उसके साफ़ होता है कि इस पूरे मामले में विवेचना अधिकारी दोषियों के पक्ष में हैं.
उन्होंने बताया के मुक़दमा अपराध संख्या-241/15 के अन्तर्गत धारा 323, 147, 148, 149, 504, 506, 307, 427 458 आईपीसी व 7 आपराधिक कानूनों संशोधन अधिनियम थाना जारचा ज़िला गौतमबुद्ध नगर के अभियुक्त सचिन पुत्र ओम प्रकाश द्वारा धोखाधड़ी व तथ्यों को छिपाकर स्वयं को नाबालिग़ घोषित कराए जाने के विरोध में जांच कराने के लिए आज अख़लाक़ की पुत्री शाइस्ता ने प्रार्थना पत्र वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गौतम बु़द्ध नगर को भेजा है.
इस संबंध में रिहाई मंच की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा है कि आज अख़लाक़ की पुत्री शाइस्ता ने पुलिस को दिए प्रार्थना पत्र में जिस तरह बताया कि उसके पिता के हत्यारों में उसका सहपाठी सचिन भी शामिल था, यह दर्शाता है कि हमारे समाज में सांप्रदायिकता किस भयावह स्तर पर है. वहीं इस मामले में जिस तरह से पुलिस व सरकार की भूमिका दोषियों के पक्ष में और पीड़ितों के खिलाफ़ है, वह भी सांप्रदायिकता की एक और नजीर है.
उन्होंने मांग की कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाकर दोषी सचिन व दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्रवाई की जाए.