TwoCircles.net Staff Reporter
नई दिल्ली : जामा मस्जिद कार धमाके के मामले में दिल्ली की अदालत ने 3 नौजवान सैय्यद इस्माईल आफ़ाक़, अब्दुस सबूर और रियाज़ अहमद सईदी को बरी कर दिया है. वहीं 10 लोगों के ख़िलाफ़ चार्जशीट का आदेश दिया है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सिद्धार्थ शर्मा ने इन तीनों को यह कहते हुए आरोपमुक्त कर दिया कि इनके ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
वहीं इनके वकील एम.एस. खान के मुताबिक़ इस केस में पुलिस ने जो चार्जशीट में दाखिल की है, उसमें इन तीनों के ख़िलाफ़ कोई सबूत या गवाह नहीं था. इनसे पुलिस ने अपनी रिमांड के दौरान सिर्फ़ इक़बालिया बयान लिया था, लेकिन पुलिस रिमांड के दौरान लिए गए इक़बालिया बयान की कोई क़ानूनी हैसियत नहीं होती. पुलिस यह साबित ही नहीं कर पाई कि इन तीनों के संपर्क यासीन से था.
बताते चलें कि 2010 में दिल्ली में आयोजित कॉमन वेल्थ गेम्स से पूर्व 19 सितंबर को जामा मस्जिद के गेट नंबर —3 के क़रीब सुबह 11 बजकर 24 मिनट पर गोलीबारी हुई और फिर चंद मिनट के बाद एक कार में हुए धमाके के सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने दो एफ़आईआर दर्ज की गई. 22 नवम्बर 2011 को पुलिस ने क़तील सिद्दीक़ी नामक एक व्यक्ति को इस सिलसिले में गिरफ़्तार किया और एक नई एफ़आईआर (54/11) दर्ज की गई.
पुलिस के मुताबिक़ इस कार धमाके मामले में इसी क़तील सिद्दीक़ी की निशानदही पर 14 लोगों को गिरफ़्तार किया गया. इन 14 पर आरोप लगा कि इनका संबंध इंडियन मुजाहिदीन से भी है. इस बीच 2012 में पुणे के यरवदा जेल में क़तील की रहस्यमयी तौर पर मौत हो गई. परिवार से जुड़े लोगों का आरोप है कि पुलिस ने जानबूझ कर मारा है. वहीं इस केस में ज़बीउद्दीन अंसारी का भी नाम है जिस पर मुंबई हमले का मुक़दमा पहले से चल रहा है. पुलिस ने बाद में 8 जनवरी 2015 को सैय्यद इस्माईल आफ़ाक़, अब्दुस सबूर और रियाज़ अहमद सईदी को गिरफ़्तार किया. इन पर आरोप लगाया कि इन तीनों ने ही धमाका करने की सामाग्री मुहैय्या कराया था और इनका संबंध यासीन भटकल व रियाज़ भटकल से है. इन तीनों पर पुलिस पहले से ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी थी.