TwoCircles.net Staff Reporter
प्रतापगढ़ : बीते दिनों पुलिस द्वारा ‘सर्च ऑपरेशन’ के नाम पर यूपी के प्रतापगढ़ ज़िले में जबरन लोगों को परेशान करने का मामले सामना आया है. ख़ास तौर पर ज़िले के पांच मोहल्लों में पुलिस ने लोगों को निशाना बनाया है.
आरोप है कि पुलिस ने बिना कारण बताए मुस्लिम घरों की तालाशी ली. और कथित तौर पर इस ‘सर्च ऑपरेशन’ के दौरान महिलाओं के साथ अभद्रता और घड़ों में तोड़फोड़ भी की.
जानकारों का मानना है कि इस ‘सर्च ऑपरेशन’ का असल मक़सद मुसलमानों में नई सरकार का ख़ौफ़ पैदा करना है.
हालांकि पुलिस इन आरोपों को ग़लत बताती है. पुलिस के मुताबिक़ बीते महीने की 27 तारीख़ को पुलिस ने शातिर लुटेरों व वाहन चोरों की तलाश में सुबह पांच बजे से क़रीब तीन घंटे तक भुलियापुर, आज़ाद नगर, अहमद नगर, मिल्लत नगर और दहिलामऊ में एक साथ 11 थानों की पुलिस द्वारा सघन तलाशी अभियान चलाया था. क्योंकि पुलिस को सूचना मिली थी कि कई वारदातों में शामिल रहे शातिर इन्हीं मोहल्लों में छिपे हैं. इनमें कई हत्या के मामले में इनामी चल रहा एक शातिर अपराधी भी शामिल था.
बताते चलें कि पुलिस के इस तथाकथित ‘सर्च ऑपरेशन’ में कोई भी शातिर नहीं मिला. लेकिन तीन घंटे के इस अभियान में पुलिस ने दो दर्जन बाइक, एक ई-रिक्शा और एक इनोवा क़ब्ज़े में ज़रूर ली है. पुलिस का कहना है कि ये वाहन तलाशी के दौरान लावारिस पाए गए थे. आगे सीओ सिटी सुधीर कुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि आगे भी ऐसे ‘सर्च ऑपरेशन’ चलता रहेगा.
यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि, पुलिस ने कथित रूप से छतों और बैकडोर के ज़रिए से घरों में प्रवेश किया और फिर घर के लोगों को घर के बाहर खड़ा कर दिया. उन्हें नहीं पता की अंदर क्या चल रहा है. इस पूरी प्रक्रिया में लोगों ने नक़दी लूटपाट और आभूषण ग़ायब होने की बात भी कह रहे हैं.
बताते चलें कि इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी की ओर से एक फैक्ट फाईडिंग टीम ने इस इलाक़े का दौरा किया है और फिर अपनी एक रिपोर्ट जारी की है. इस टीम में शामिल एक सदस्य शैलेंद्र यादव ने बताया कि, जब हम वहां गए थे, तोलोग रोने लगें. विशेष रूप से महिलाएं, जिन्होंने ज्यादातर पुलिस अत्याचार का सामना किया था.
एक स्थानीय व्यक्ति ने हमें बताया, उनके साथ कोई महिला कांस्टेबल नहीं थी. केवल पुरुष कांस्टेबल थे. आप सोच सकते हैं कि महिलाओं के लिए पुरुष कांस्टेबल की क्या सोच है, उन्होंने हमारी महिलाओं के साथ भी यही किया.
वहीं इस बात पर पुलिस का दावा है कि उसने कई महिला कॉन्स्टेबल लाए थे, लेकिन सूत्रों ने बताया कि केवल 500 पुलिसकर्मियों के साथ सिर्फ़ दो महिला कांस्टेबल लाया गया था.
TwoCircles.net के साथ बातचीत में प्रतापगढ़ एसपी शगुन गौतम इन तमाम आरोपों को ख़ारिज करते हुए इसे ‘दबाव की रणनीति’ बताते हैं. वो आगे कहते हैं कि, मुझे नहीं लगता कि आप इस बात पर यक़ीन करेंगे कि पुलिस पैसे लूटती है और लोगों को पीटती है. उस दिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था. पुलिस बस अपराधी को तलाशने और पकड़ने के लिए गई थी. लेकिन आरोपी एक दिन पहले ही भाग गया था. यह सब दबाव की रणनीति है ताकि पुलिस दुबारा वहां फिर से नहीं जाए.