आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के तमाम मदरसों को स्वतंत्रता दिवस में कार्यक्रम आयोजित कराने की गाइडलाइन जारी की है. मदरसा संचालक हालांकि स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाते हैं लेकिन इस प्रकार की गाइडलाइन उनको पहली बार मिली हैं. मदरसों को अपने यहाँ हो रहे कार्यक्रम की विडिओग्राफी और फोटोग्राफी करने के लिए भी कहा गया हैं.
गोरखपुर के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संजय कुमार मिश्रा इसकी पुष्टि करते हैं. वो कहते है कि इस आशय की गाइडलाइन सभी मदरसों को पूरे प्रदेश में भेजी गई है जिसे जिला स्तर से उन्होंने गोरखपुर में भेजा हैं. मिश्रा बताते हैं कि दरअसल मंशा ये है कि आज़ादी का दिन धूमधाम से मनाया जाये और इसमें कोई औपचारिकता ना हो. अगर मदरसे हमें आमंत्रित करते है तो हम जायेंगे भी.
गोरखपुर में सैकड़ो मदरसे है और सभी को यह चिट्ठी भेजी गयी है. प्रदेश के कई दुसरे जिलो के मदरसों ने भी इस तरह की चिट्ठी मिलने की पुष्टि करी हैं.
चिट्ठी में संजय कुमार मिश्रा ने जिलाधिकारी राजीव रौतेला का हवाला देते हुए लिखा है कि २५ जुलाई की बैठक में यह तय हुआ है कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जायें. महापुरुषो की योगदान पर प्रकाश बच्चे राष्ट्रीय गीत गायेंगे. इसमें राष्ट्रीय एकता पर प्रोग्राम करने और मिठाई बाँटने का जिक्र किया गया है. साथ ही निर्देश है कि कार्यक्रम की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की जाये और उसके कार्यालय में जमा कराया जाए. य ह आदेश 4 अगस्त को जारी किया गया है. आदेश में अनुदानित और गैरअनुदानित दोनों प्रकार के मदरसों को संबोधित किया गया है.
गोरखपुर में एक मदरसे के संचालक अलहम्द हुसैन कहते है कि आदेश की चिट्ठी में लिखा है कि सभी मदरसे हर्षोउल्लास से स्वतंत्र्ता दिवस मनायेगे. सुबह 8 बजे ध्वजारोहण और राष्ट्रगान गायेंगे. इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आयोजन करेंगे.
हालांकि दारुल उलूम देवबंद और मजाहिर उलूम सहरानपुर ने भी इस तरह की किसी चिठ्ठी के मिलने से इंकार किया है. सहारनपुर, शामली और मुज्जफरनगर में देश भर में सबसे ज्यादा मदरसे है, जिनकी तादाद हजारो में है. मगर मदरसा परिषद से अनुदान पाने वाले 5% मदरसे नही है.यह सभी मदरसे लोगो की दी हुई इमदाद पर चलते है. मीरापुर में एक बड़ा मदरसा चलाने वाले मौलाना अरशद कासमी के अनुसार मदरसों में पहले से ही योमे ए आज़ादी धूमधाम से मनाया जाता रहा है हम आज़ादी में अपने योगदान पर भी बात करते है. जंग ए आज़ादी में 50 हजार से ज्यादा आलिमो के सर काटकर अंग्रेजो ने शामली से दिल्ली तक पेड़ो पर लटका दिए थे. आज़ादी की ख़ुशी हमसे ज्यादा किसे होगी.
जमीयत उलेमा ए हिन्द के मुज़फ्फरनगर के प्रवक्ता मौलाना मूसा कासमी बताते है जमीयत हमेशा से मदरसों को आज़ादी के दिन शानदार प्रोग्राम करने के लिए प्रेरित करती है. ख़ास बात यह है कि पिछले कुछ सालों से मदरसों के कार्यक्रम दूसरे हिंदी माध्यम वाले स्कूलों से भी अच्छे हो गए है. इस तरह की चिठ्ठी का मतलब समझ में नही आता क्योंकि ऐसा पहली बार सुन रहे. उन्होंने बताया कि फोटोग्राफी और वीडियो ग्राफी भी पहले से की जा रही है मगर आदेश की बात पहली बार सुन रहे है. वैसे मदरसे में नाच गाना तो नही होता बाकि देशभक्ति पर आधारित कार्यक्रम तो खूब होते रहे है.