बक़रीद पर क़ुर्बानी को लेकर रोक नहीं : मुज़फ़्फ़रनगर प्रशासन

आस मोहम्मद कैफ़, TwoCircles.net

मुज़फ्फ़रनगर : भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश के सत्ता में आने के बाद से मुसलमानों के बीच इस बार बक़रीद त्योहार को लेकर कई सवाल और आशंकाए हैं.


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कई जगह मुसलमानों के संगठन ज़िला प्रशासन से मिलकर सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश कर रहे हैं. सबसे ज़्यादा आशंका है कि इस बार बक़रीद में क़ुरबानी कैसे होगी. वैसे आज मुज़फ्फ़रनगर प्रशासन ने साफ़ कहा है कि बक़रीद जैसे मनती थी, वैसे ही होगी. बस कोई नई परम्परा नहीं होने दी जाएगी और जानवर की ख़रीद पर कोई रोक नहीं है.

इससे पहले सोमवार को बिजनौर में मौलाना ओवैश की रहबरी में एक प्रतिनिधिमंडल ने डीएम जगत राज से मुलाक़ात की और तस्वीर का रुख साफ़ करने को कहा. फिलहाल कोई मुतमईन जवाब नहीं मिला. मंगलवार में मुज़फ्फ़रनगर में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के एक प्रतिनिधिमंडल ने डीएम गौरीशंकर से मुलाक़ात की और क़ुरबानी को लेकर चिंता जताई.

इसी असमंजस की स्थिति में इस बार बकरों की ख़रीददारी भी परवान नहीं चढ़ पा रही है. मेरठ, लखनऊ और बाराबंकी में बकरों को क़ीमत में भारी कमी आई है.

मेरठ से रफ़ीक़ अहमद के मुताबिक़ ख़रीदार कम हैं, इसलिए बकरे बहुत कम क़ीमत पर बिक रहे हैं. लगभग आधी क़ीमत पर बिक रहे हैं. इससे बकरों के व्यापारी नुक़सान में हैं. मेरठ की मंडी में बकरा बेचने आए क़य्यूम कहते हैं कि उन्होंने 6 बकरे 85 हज़ार के ख़रीदे हैं, मगर कोई 71 हज़ार से ज्यादा नहीं दे रहा. पिछले सप्ताह मौलाना अरशद मदनी ने Twocircles.net से बातचीत में कहा था कि मुसलमान बेख़ौफ़ होकर क़ुरबानी करें.

लखनऊ, मेरठ और बनारस के ज़िला प्रशासन ने ऊंट की क़ुरबानी पर रोक लगा दी थी. अब यह पूरे प्रदेश में लागू की गई है. वैसे भी कई सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि, उत्तर प्रदेश में ऊँट की क़ुरबानी पहले से बैन है.

एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ़ इंडिया की पूर्व सदस्य कामना पाण्डेय के अनुसार उत्तर प्रदेश में ऊँट की क़ुरबानी की परमिशन नहीं है. ये एक गैर-क़ानूनी काम है. हो सकता है कि कुछ ज़िला प्रशासन ने इस बार उसको दुबारा जारी करके अमल में लाया गया हो.

वैसे इस बार भैंस की कुर्बानी में भी तमाम समस्याएं हैं. जैसे मीरापुर के हाजी नज़ीर बताते हैं कि अब तक कटड़ा बेचने कोई नहीं आया है. वो इंतज़ार कर रहे हैं, अगर कोई बेचने आए तो ख़रीद ले. इसकी वजह है कि सड़कों पर पशुओं की आड़ में बढ़ रही गुंडागर्दी की वजह से कोई व्यापारी गाडियों से भैंस एक ज़िले से दुसरे ज़िले ले जाने को तैयार नहीं हैं. नतीजा मंडी में जानवर नज़र नहीं आ रहे हैं.

इन सवालों का जवाब देने की पहल मुज़फ्फ़रनगर ज़िला प्रशासन ने की है. बुधवार को जनपद प्रशासन ने ज़िला के तमाम महत्वपूर्ण मुस्लिमों को बुलाकर बात की. इनमें तमाम बड़े संग़ठन के लोग शामिल हुए. इस मीटिंग में ज़िलाधिकारी गौरीशंकर प्रियदर्शी और एसएसपी अनंत देव तिवारी ने मुफ़्ती जुल्फि़क़ार, हाजी आसिफ़ राही, गौहर सिद्दीक़ी, मौलाना ज़ाकिर और मौलाना अज़ीज़ुर्रहमान शामिल हुए.

यहां बताया गया कि सरकार की तरफ़ से बक़रीद पर कोई नये निर्देश नहीं हैं. जैसे पहले से बक़रीद मनती आई है, वैसे ही इस बार मनेगी. जानवर खरीदने पर भी कोई रोक नहीं है. बस साफ़-सफ़ाई का ख़ास ध्यान रखा जाए. प्रतिबंधित पशु की क़ुरबानी को स्पष्ट तौर पर मना किया गया है.

इस पर उलेमाओं ने कहा कि हज़रत मौलाना अरशद मदनी साहब और तमाम उलेमा खुद समाज में यह सन्देश दे रहे हैं कि गाय की क़ुरबानी बिल्कु्ल ना की जाए. खुले में क़ुरबानी ना करने भी हिदायत दी गई है.

ज़िलाधिकारी ने बताया कि कोई नई परम्परा न डाली जाए. पुलिस पूरी मुस्तैदी बरतेगी और त्योहार खुशनुमा माहौल में मनाई जाएगी.

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