सिराज माही, TwoCircles.net
नोएडा : मोदी सरकार ने लोगों से वादा किया था कि उसकी सरकार में ग़रीबों के ‘अच्छे दिन’ आएंगे. तीन साल हो गए मोदी सरकार के, लेकिन उन लोगों के अच्छे दिन नहीं आएं, जो गली चौराहों पर खोमचा लगाते हैं.
कुछ खोमचे वालों से बात करने पर पता चला कि मोदी सरकार में उनके अच्छे दिन आए हों या नहीं, लेकिन रमज़ान की वजह से इन लोगों के अच्छे दिन ज़रूर आ गए हैं.
दरअसल, नोएडा में सड़क के किनारे लगाने वाले खोमचे वालों के लिए रमज़ान का ये महीना काफ़ी बरकत वाला साबित हो रहा है. ये लोग रमज़ान के महीने में इफ़्तार के लिए सामान बनाते हैं, जिनकी बिक्री खूब होती है और मुनाफ़ा भी. ये खोमचे वाले इफ़्तार के लिए पकौड़ी, समोसा, ब्रेड पकौड़ा, चना और फ्रूट चाट के अलावा ऐसी ही कई चीज़ें बनाते हैं, जिसे मुसलमान इफ़्तार के लिए ख़रीदते हैं.
कुछ खोमच वालों से बात करने पर मालूम हुआ कि वह सिर्फ़ रमज़ान के महीने में ही खोमचा लगाते हैं, बाक़ी पूरा साल दूसरा काम करते हैं.
नोएडा सेक्टर-66 के ममूरा और सेक्टर-62 के पास लेबर चौक पर आपको सहज ही कई खोमचे वाले मिल जाएंगे जो शाम चार बजे से इफ़्तार के लिए सामान तैयार करते हैं.
शाम क़रीब 6 बजे गर्मी में तेज़ आंच पर पकौड़ी तलते हुए छोटे बाबू पसीना-पसीना हैं. ग्राहक उनके चारों तरफ़ से घेरे खड़े हैं. कोई पकौड़ी तो कोई चने की मांग कर रहा है.
इसी आपा-धापी में छोटे बाबू हमसे बताते हैं कि, वैसे तो साल भर यहां पकौड़ी, समोसा और चना बिकता है, लेकिन रमज़ान के महीने में इन चीज़ों की बिक्री और बढ़ जाती है. यहां मुसलमान तो कम हैं, लेकिन फिर भी रमज़ान में बिक्री बढ़ जाती है.
ममूरा में ही एक ठेले पर साफ़-सुथरा कढ़ाई में चुप-चाप जलेबी तलता हुआ एक आदमी मिल जाएगा, जिसके ठेले पर लक्ष्मी जलेबी भण्डार लिखा हुआ है. लक्ष्मी जलेबी भण्डार चलाने वाले भाई बताते हैं कि इफ़्तार से पहले लोग जलेबी भी खरीदते हैं. इफ़्तार में अगर थोड़ा मीठा हो तो स्वाद बदल जाता है.
वह बताते हैं कि मैं अपने ठेले पर खूब साफ़-सफ़ाई रखता हूं, अगर साफ़-सफ़ाई नहीं होगी तो लोग हमसे जलेबी नहीं ख़रीदेंगे. वैसे भी मुसलमान साफ़-सफ़ाई ज़्यादा पसंद करते हैं.
पास में एक ठेले पर अमित समोसे तल रहे हैं. वो नोएडा में रह रहे मुसलमानों के बारे में बताते हैं कि, यहां मुसलमान तो कम हैं और आस-पास मस्जिद भी नहीं है. लेकिन यहां ऑफिसों में मुसलमान काफी काम करते हैं और जितने मुसलमान हैं, वो रोज़ा रखते हैं, इसलिए इफ़्तार के वक़्त हमारी बिक्री अच्छी होती है. मुसलमानों में एक ख़ास बात है कि वह इत्मिनान से सौदा ले के पैसा दे देते हैं.
नोएडा सेक्टर-62 के पास लेबर चौक पर आपको शाम को ख़ासी चहल पहल मिलेगी, क्योंकि यहां ज़्यादा मुस्लिम रहते हैं. लेबर चौक से खोड़ा कॉलोनी में क़दम रखते ही नुक्कड़ पर मो. सालिब की ख़जूर और लच्छे की दुकान मिल जाएगी.
अच्छे मूड में बैठे हुए सालिब कहते हैं कि सिर्फ़ रमज़ान में ही लच्छे की बिक्री होती है. उसके बाद कोई इसे पूछता भी नहीं. ईद के बाद हम यहां चिकन बिरयानी बेचते हैं.
यहीं आस-पास टेबल पर कई लड़के बर्फ़ की छोटी-छोटी थैली पांच रुपए बेचते हैं. एक लड़के ने बताया कि पूरी गर्मी भर यहां बर्फ़ बिकती है, लेकिन रमज़ान के महीने में कुछ ज़्यादा ही बिक्री होती है.
थोड़ा आगे चलने पर रोज़ शाम को आपको अनीस भाई पकौड़ियां तलते मिल जाएंगे. हम जब उनके पास पहुंचे तो वह डर गए. उन्होंने पहले बात करने से मना कर दिया. लेकिन फिर मेरे समझाने पर बात की.
वह बताते हैं कि भाई सिर्फ़ रमज़ान में हम यह काम करते हैं, बाक़ी दिनों में दूसरा काम करते हैं. एक काम से आख़िर काम कहां चलता है.