कलीम अज़ीम
पुणे : आईटी इंजीनियर मोहसीन शेख़ हत्या मामले से सरकारी वकील एडवोकेट उज्ज्वल निकम अलग हो चुके हैं. मोहसीन के परिवार ने राज्य सरकार से अब एडवोकेट रोहिणी सालियन को विशेष सरकारी वकील नियुक्त करने की मांग की है…
इस संबंध में एक पत्र राज्य सरकार और कोर्ट में पेश किया गया है. इसके अलावा निकम को केस से अलग होने के फ़ैसले पर पुनर्विचार करने का मांग भी मोहसीन शेख़ के परिवार ने की है.
इस केस में कोर्ट की ओर से आरोप तय होने का काम जारी है. ऐसे समय में विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम का केस से अलग होना नए सवाल पैदा कर रहा है.
इस मसले पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी निकम के इस निर्णय पर सवाल खड़ा किया है. तो वहीं आम आदमी पार्टी की सदस्या प्रीति शर्मा मेनन ने भी निकम के इस फैसले को दुखद बताया है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रवक्ता नवाब मलिक उज्ज्वल निकम के इस फ़ैसले को सत्तापक्ष के फ़ायदे का क़दम मानते हैं. मलिक कहते हैं कि, निकम के अब तक के सारे फैसले सत्तापक्ष को मज़बूती प्रदान करने वाले थे.
मोहसीन शेख का केस छोड़ने के पीछे निकम की क्या मानसिकता है, इसके जांच की मांग मलिक करते हैं.
वहीं इस मसले पर रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब का कहना है कि, मालेगांव ब्लास्ट केस में जिस तरह रोहिणी सालियन पर एनआईए ने दबाव बना दिया था, इसी तरह उज्जवल निकम पर भी एनआईए दबाव बना रही है. सरकार के दबाव में आकर एनआईए आरोपियों को बचाने के काम में लगी है.
इस मामले पर ख़ास नज़र रखने वाले अज़हर तंबोली इस केस में विशेष सरकारी वकील के तौर पर रोहिणी सालियान की नियुक्ति की मांग करते हैं. वे कहते है कि, अगर उज्ज्वल निकम इस केस से अलग होना चाहते हैं तो उन पर कोई ज़बरदस्ती नहीं है. हम चाहते हैं कि महाराष्ट्र सरकार रोहिणी सालियन की इस केस में नियुक्ती करे.
दूसरी ओर निकम के इस केस से हटने के फैसले को समाजसेवी अंजूम ईनामदार सही मानते हैं. 2014 में ईनामदार ने इस संबंध में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को पत्र लिखकर निकम को इस केस से हटाने की मांग की थी. इस पत्र में लिखा गया था कि निकम हिंदुत्ववादी संगठन के सभी कार्यक्रमों में सहभागिता रखते हैं. कांग्रेस सांसद हुसैन दलवाई भी निकम की नियुक्ती पर सवाल उठा चुके हैं.
हालांकि बताया जा रहा है कि खुद उज्ज्वल निकम ने इस केस से अलग होने का पत्र महाराष्ट्र सरकार को लिखा था. राज्य सरकार के क़ानून और न्यायपालिका विभाग ने निकम का यह अनुरोध स्वीकार कर लिया है. इसके साथ विशेष सरकारी अभियोजक के रूप में उनकी नियुक्ति रद्द हो गई है. यही कारण है कि सोमवार 12 जून को केस में कोई सरकारी वकील न रहने के वजह से पैरवी रद्द करनी पड़ी. सोमवार 19 जून की सुनवाई भी सरकारी वकील न होने के वजह से नहीं हो सकी.
बताते चलें कि 2 जून 2014 को पुणे स्थित हडपसर में नमाज़ से लौटते समय आईटी इंजीनियर मोहसीन शेख़ पर भीड़ ने हमला किया था. मोहसीन ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया था. इस हत्या के आरोप में पुणे पुलिस हिंदू राष्ट्र सेना के प्रमुख धनंजय देसाई के साथ अन्य 21 लोगों को गिरफ्तार किया था. जनवरी 2017 में इस केस के कुछ आरोपियों को मुंबई हाई कोर्ट ने ज़मानत दे दी है.
यहां यह भी स्पष्ट रहे कि एडवोकेट उज्ज्वल निकम ने अभी तक अपने इस फैसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
फिलहाल कोर्ट ने मोहसीन शेख़ परिवार का आवेदन स्वीकार कर लिया है और सरकार को सूचना दी है कि वो जल्द सरकारी वकील की नियुक्ति करे. राज्य सरकार ने आवेदन पर 22 दिनों का समय मांगा है. अब इस केस की अगली सुनवाई 4 जुलाई को होनी है.