TwoCircles.net Staff Reporter
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में गुरूवार के दिन ‘तीन तलाक़’, ‘हलाला’ और ‘बहु-विवाह’ प्रथा की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगा. यह सुनवाई प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष होगी. इस संविधान पीठ में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ़, न्यायमूर्ति आर.एफ़ नरिमन, न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति अब्दुल नज़ीर शामिल हैं. यह पीठ कल से सात याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी.
भारत सरकार के साथ-साथ इस मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड बतौर पक्षकार पेश होंगे.
केन्द्र सरकार की तरफ़ से इस मामले की सुनवाई में एटार्नी जनरल बहस करेंगे.
जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की ओर से एडवोकेट राजू रामचन्द्रन पीठ समक्ष बहस करेंगे. वहीं एडवोकेट एजाज़ मक़बूल जमीयत के ऑन रिकार्ड वकील हैं. सात वकीलों की एक टीम भी इनके साथ है. इनमें एडवोकेट शाहिद नदीम, एडवोकेट अफ़रोज़ सिद्दीक़ी, एडवोकेट शरीफ़ शेख़, एडवोकेट अंसार तंबोली, एडवोकेट मो. राज़िक शेख़, एडवोकेट मो. अरशद शेख़ और एडवोकेट वासिफ़ुर रहमान के नाम शामिल हैं.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से कपिल सिब्बल, ज़फ़रयाब ज़िलानी और यूसुफ़ हातिम मुछाला व इनकी बोर्ड का पक्ष पीठ के सामने रखेगी. हालांकि जमीयत और बोर्ड की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में पहले ही लिखित पक्ष रखा जा चुका है.
वहीं मुस्लिम महिला पर्सनल ला बोर्ड की ओर से एडवोकेट चन्द्रा राजन ट्रिपल तलाक़ से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं का पक्ष रखेंगी.
TwoCircles.net के साथ बातचीत में ट्रिपल तलाक़ मामले में जमीयत की लीगल टीम में शामिल एडवोकेट शाहिद नदीम बताते हैं कि जमियत उलेमा-ए-हिंद पहले ही अपना लिखित पक्ष सुप्रीम कोर्ट के सामने रख चुकी है.
एडवोकेट शाहिद नदीम का कहना है कि, सुप्रीम कोर्ट सिर्फ़ उसी क़ानून को देख सकती है, जो आर्टिकल-13 के अंदर क़ानून की परिभाषा में आता है. मुस्लिम पर्सनल लॉ खुदाई यानी डिवाइन लॉ है. ये लॉ आर्टिकल 13 के तहत नहीं आता है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट इसकी समीक्षा नहीं कर सकता.
ऐसे में कल देखना दिलचस्प होगा कि कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में क्या होता है. ये सुनावाई आगे चलेगी या नहीं. फैसला कितने दिनों में आएगा और क्या आएगा. इन सब मुद्दों में भले ही देश के आम आदमी की कोई दिलचस्पी हो या न हो, लेकिन मेनस्ट्रीम मीडिया में ज़बरदस्त दिलचस्पी देखने को मिल रही है.