दलित की बेटी परीक्षा में ज़्यादा नंबर लाई तो दबंग जाति की लड़कियों ने की पिटाई, गांव में तनाव

आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net


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पचेनड्डा (मुज़फ़्फ़रनगर) : “वो चार लड़कियां लगातार मुझ पर कमेंट करती थीं. उनकी बिरादरी की दूसरी लड़कियां भी इस पर मज़ाक बनाती थी. मुझे चमेठी (जाति सूचक शब्द) और अछूत कहकर मेरा उत्पीड़न किया जाता था. यह दसवीं से हुआ, जब मेरे 75% मार्क्स आए. ग्याहरवीं में भी मेरे नम्बर उनसे ज्यादा थे. अब त्रैमासिक टेस्ट में भी मेरे नम्बर उनसे ज्यादा आ गए. इसे लेकर वो मुझ पर आग बबूला थीं. मुझे तीन दिन लगातार ‘चमारिन गिठल’ कहती रही. मेरी सीट पर क्लास में लगातार छेड़छाड़ करती रहीं. मैंने अपनी टीचर से शिकायत की. मगर इससे वो और ज्यादा परेशान करने लगीं. मुझे शनिवार को पानी पीने से रोक दिया गया. दोपहर बाद छुट्टी होने पर इन लड़कियों ने अपने बैग से डंडे निकाले और मुझे पीटने लगीं. मेरा सर फोड़ दिया. मुझे पीटते हुए घसीटा गया. यही नहीं, प्रिंसिपल ने मेरा दर्द नज़रअंदाज किया और हमलावर दबंग जाति की लड़कियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की. तब मैं पुलिस में गई. मैं चुप नहीं बैठूंगी. यह मेरी जाति का अपमान हैं.”

17 साल की प्रगति जाटव पचेनड्डा गांव की ‘जनता इंटर कॉलेज’ की बारहवीं कक्षा की छात्रा हैं. शनिवार को उनके साथ दबंग जाति की लड़कियों ने ज़बरदस्त मारपीट की थी. उसको स्कूल के सैकड़ों बच्चों के सामने डंडो से पीटा गया था.

इस भयंकर मारपीट से प्रगति बेहोश हो गई थी. इस मारपीट के बाद प्रगति के माता-पिता की शिकायत पर स्कूल प्रसाशन ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई और मारपीट करने वाले कथित चौधरी परिवार से बुलाकर भी बात नहीं की.

इससे गांव के दलितों में असंतोष फैल गया और वो एकजुट होकर पुलिस में शिकायत करने पहुंच गए. नई मंडी थाने पर इन लड़कियों के विरुद्ध एससी/एसटी एक्ट के अंतर्गत मुक़दमा दर्ज किया गया है. इस घटना के बाद से गांव में भारी तनाव है और कई बार दलित और जाट आमने-सामने आ चुके हैं. कई बार पुलिस का घेराव भी कर चुके हैं. स्थिति को देखते हुए पुलिस बल तैनात कर दिया गया है.

प्रगति की बड़ी बहन निशा मेरठ से बीसीए कर रही है. वो बताती है कि, कल जब हम लोग पुलिस के पास गए तो सीओ मंडी ने कहा, क्या हुआ आपकी लड़की मरी तो नहीं है ना!

निशा का कहना है कि, उन्हें लग रहा था कि पुलिस की कार्रवाई के लिए किसी का मरना ज़रूरी है. लेकिन हमारी बहन तो ज़िन्दा है और न्याय की लड़ाई लड़ रही है. मगर इन ऊंची जात वालों का ज़मीर ज़रूर मर गया है.

जब TwoCircles.net का ये संवाददाता प्रगति के घर पहुंचा तो उसके पिता आज़ाद जाटव नई मंडी थाने में एफ़आईआर की नक़ल लेने गए थे.

प्रगति हमें बताती है कि, स्कूल में दलित लड़कियों को हर तरह से परेशान किया जाता है. पास के गांव की एक दलित लड़की के पास सीट पर कोई नहीं बैठता और ज्यादातर दलित लड़कियां अपना पानी घर से लेकर जाती हैं.

बताते चलें कि ये पचेनड्डा गांव दिल्ली से देहरादून मार्ग पर मुज़फ्फ़रनगर बाईपास पर स्थित है. ये एक जाट बहुल गांव है. 5600 की आबादी वाले इस गांव में 1800 जाट और 1200 दलित हैं.

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