‘ख़बर आएगी कि बीमारी से सिमी के विचाराधीन क़ैदी की मौत हो गई’

शाहनवाज़ नज़ीर, TwoCircles.net के लिए

प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के 31 विचाराधीन क़ैदी फिलहाल भोपाल की हाई सिक्योरिटी सेंट्रल जेल में बंद हैं. इन क़ैदियों का आरोप है कि बीते साल 31 अक्टूबर को भोपाल में आठ विचाराधीन क़ैदियों के एनकाउंटर के बाद से उन्हें लगातार शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है.


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क़ैदियों ने अपने परिजनों, पेशी के दौरान अपने वकीलों और जज से अपने साथ हो रही अमानवीय प्रताड़ना के बारे में खुलकर बताया है.

शिक़ायत मिलने के बाद 20 जून 2017 को दिल्ली से एनएचआरसी की एक टीम ने भोपाल सेंट्रल जेल का दौरा किया था. क़ैदियों ने उनके सामने भी अपना बयान दर्ज करवाया था. बावजूद इसके हालात में कोई तब्दीली नहीं आई है.

क़ैदियों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए अदालत में हुई पेशी के दौरान अपने साथ हुई प्रताड़ना का ब्यौरा पेश किया है. इसके मुताबिक़ इन्हें 8 गुणा 10 के एक विशेष सेल में पूरा वक़्त बंद करके रखा जा रहा है. इस विशेष सेल में रोशनदान नहीं है, जिससे धूप या हवा अंदर पहुंच सके. बस इतनी जगह है जिससे कि खाने की प्लेट आसानी से अंदर पहुंच जाए.

हर सेल से अटैच एक वॉशरूम है. क़ैदियों का आरोप है कि जिस बोतल से वह पानी पीते हैं, वही बोतल उन्हें टॉयलेट के लिए भी इस्तेमाल करना पड़ता है.

24 घंटे में महज़ 2-3 बोतल पानी मिलता है. महज़ तीन बोतल पानी पीने के लिए, टॉयेलट के लिए और वज़ू के इस्तेमाल के लिए दिया जाता है जो कि नाकाफ़ी है.

इन्हें खाना जेल मैनुअल के मुताबिक़ नहीं मिल रहा है. एक जोड़ी कपड़े दो-तीन महीने तक पहने रहने के लिए मजबूर किया जाता है, जिनसे बुरी तरह बदबू आती है.   

मानसिक प्रताड़ना देने के लिए इन्हें वंदे मातरम और जय श्री राम आदि नारे लगवाए जाते हैं. ऐसा नहीं करने पर इनकी पिटाई की जाती है.

वकील परवेज़ आलम के मुताबिक़, अदालत ने जब इन आरोपों पर जेल प्रशासन को तलब किया तो उन्होंने यह कहकर अपना बचाव कर लिया कि सबकुछ जेल मैनुअल के मुताबिक़ हो रहा है. क़ैदियों की प्रताड़ना का मामला ज़िला जज तक भी पहुंचा, लेकिन तब भी जेल प्रशासन बचकर निकलने में कामयाब रहा.

इन क़ैदियों और उनके परिवार वालों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से बड़ी उम्मीदें पाल रखी हैं. मई 2017 में क़ैदियों के परिवार वालों ने दिल्ली आकर एनएचआरसी से शिकायत की थी. जून में एनएचआरसी ने एक टीम ने जेल का दौरा किया था. इस दौरान जेल प्रशासन, आरोप लगाने वाले क़ैदियों, उनके घर वालों और वकीलों के बयान दर्ज किए थे.

एनएचआरसी को दी गई शिकायत में टॉर्चर का दिन और टाइमिंग भी लिखा गया है. इसमें लिखा है कि 1 अगस्त की शाम 3 से 4 बजे के बीच विशेष सेल में लगाए गए सीसीटीवी फुटेज निकाली जाए, जिसमें दो अफ़सर विजय परमार और अमित चौरसिया उन्हें पीटते हुए दिख जाएंगे.

सफ़दर नागौरी के बड़े भाई हैदर नागौरी कहते हैं कि, इसके बावजूद टॉर्चर जारी है. उन्हें शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है.

हैदर नागौरी का कहना है कि एनएचआरसी को जल्द से जल्द इस मामले में रिपोर्ट सार्वजनिक करनी चाहिए ताकि क़ैदियों के साथ हो रहा टॉर्चर थम सके.

वहीं भोपाल सेंट्रल जेल के अधीक्षक दिनेश नरगावे कहते हैं कि, सिमी के विचाराधीन क़ैदियों को पहले सामान्य बंदियों के साथ रखा जाता था. आम क़ैदियों की तरह इन्हें भी हर तरह की सहूलियत थी, लेकिन जेल-ब्रेक की घटना के बाद से शासन का दबाव बढ़ गया है. अब इन्हें एक विशेष सेल में रखना मजबूरी है.

एनएचआरसी को की गई शिकायत के सवाल पर दिनेश कहते हैं कि यह इन क़ैदियों की जेल प्रशासन पर दबाव बनाने की रणनीति है.

वकील परवेज़ आलम कहते हैं कि, जेल प्रशासन बार-बार ऐसे ही तर्क देकर अपना बचाव कर रहा है लेकिन हक़ीक़त में बंदियों के मानवाधिकार का सीधा उल्लंघन हो रहा है. एक क़ैदी इमरान की आंखों की रौशनी जा चुकी है, लेकिन उसका इलाज नहीं हो रहा. दूसरा क़ैदी पाइल्स की बीमारी से जूझ रहा है.

परवेज़ कहते हैं कि इनके साथ ज़ुल्म हो रहा है और कभी भी ऐसी ख़बरें आ सकती हैं कि बीमारी के चलते सिमी के विचाराधीन क़ैदी की मौत हो गई.

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