हसन अकरम, TwoCircles.net के लिए
नई दिल्लीः इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू आजकल अपने 6 दिवसीय भारत के दौरे पर हैं, लेकिन पूरे देश में अलग-अलग जगहों पर उनकी इस यात्रा के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहा है.
ये प्रदर्शन केवल बड़े शहरों में ही नहीं, बल्कि छोटे शहरों और क़स्बों से भी विरोध-प्रदर्शन किए जाने की ख़बरें आ रही हैं.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ देश के छोटे-बड़े शहरों और क़स्बों में नेतन्याहू की इस यात्रा के ख़िलाफ़ अब तक तक़रीबन एक हज़ार प्रदर्शन हो चुके हैं.
दिल्ली में भी आज इज़रायली दूतावास के बाहर प्रदर्शन होने वाला था. सीपीआई (एम) के साथ-साथ ‘युनाइटेड एगेंस्ट हेट’ संस्था द्वारा भी आज इज़रायली दूतावास के बाहर प्रदर्शन करने का एलान किया गया था. लेकिन इन्हें इसकी इजाज़त नहीं मिली. वहीं दूतावास के बाहर सुरक्षा इतनी कड़ी कर दी गई कि किसी भी प्रदर्शनकारी को वहां पहुंचने नहीं दिया गया.
बता दें कि आज दोपहर से ही इज़रायली दूतावास के बाहर एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर हर तरफ़ सुरक्षाकर्मी खड़े थे और किसी भी गाड़ी को वहां रुकने नहीं दिया जा रहा था.
सीपीआई (एम) और दूसरे वामदल आज एक शाहजहां रोड से इज़रायली दूतावास तक नेतन्याहू की भारत यात्रा के ख़िलाफ़ मार्च करने वाले थे, लेकिन कड़ी सुरक्षा के मद्देनज़र उनको यह प्रोग्राम बदलना पड़ा.
उन्होंने शाहजहां रोड पर ही एक जगह जमा होकर इज़रायली प्रधानमंत्री के दौरे के विरुध प्रदर्शन किया.
उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की.
इस अवसर पर डी. राजा ने अपने संबोधन में कहा कि, ‘भारत ग़ैर-अरब देशों के बीच ऐसे प्रथम देशों में से है, जिन्होंने फ़िलिस्तीन की आज़ादी का समर्थन किया था. लेकिन मोदी सरकार वहां के लोगों पर ज़ुल्म करने वाले इज़रायल देश को अपना मित्र बना रही है. वहां के प्रधानमंत्री को यहां आमंत्रित किया गया है. हम यह कहना चाहेंगे कि भारत की जनता उनका स्वागत नहीं कर रही है.’
अतुल कुमार अनजान ने कहा कि, भारत इज़रायली हथियारों का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है. 40 हज़ार करोड़ का भारत सरकार ने इज़रायल से डिफेंस डील किया है और ये सब पैसा इज़रायल फ़िलिस्तीनियों को उत्पीड़ित करने के लिए इस्तेमाल करेगा.
उन्होंने ने यह भी कहा, ‘मादी सरकार ने अरब देशों के दबाव में आकर जेरुशलम को इज़रायल की राजधानी बनाने के ख़िलाफ़ संयुक्त राष्ट्र में अपना वोट डाला था.’
सीपीआईएम के मुख्य सदस्य प्रकाश करत ने कहा कि, भारतीय प्रधानमंत्री इज़रायल की उपनिवेशवादी नीतियों का समर्थन करते हैं. जब वह इज़रायल गए तो फ़िलिस्तीनी नेता महमूद अब्बास से मिलने भी नहीं गए. हालांकि अमेरीकी राष्ट्रपति ट्रंप भी जब इज़रायल गए थे तो वह महमूद अब्बास से मिले थे.
इज़रायली दूतावास के बाहर प्रदर्शन करने नहीं दिए जाने के बारे में ‘युनाइटेड एगेंस्ट हेट’ के मुख्य सदस्य और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष मोहित पांडे ने अपने फेसबुक टाईमलाइन पर लिखा है, पुलिस हमें नेतन्याहु के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने के लिए घर से निकलने नहीं दे रही है. क्या हम क़ातिलों और उप-निवेशवादियों के विरूद्ध प्रदर्शन भी नहीं कर सकते.’
पुलिस की लाख कोशिशों के बाद भी वाम दलों के कार्यकर्ता हाथ में बैनर और झंडे लेकर आज सुबह 11 बजे के क़रीब इंडिया गेट पहुंचे और नेतन्याहू वापस जाओ के नारे लगाने लगे. वे हाथों में तख्तियां लिए हुए थे जिन पर इज़रायल विरोधी नारे लिखे हुए थे.
गौरतलब रहे कि नेतन्याहू का राष्ट्रपति भवन में आज स्वागत किया गया और राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनकी मीटिंग हुई. दोनों देशों के बीच कई क़रारों पर साइन भी किए गए.