शराबबंदी कानून : सज़ा से पहले सज़ा-ए-मौत

मृतक के परिवार वाले, राघोपुर मुसहर टोली, बिहार

फहमीना हुसैन, TwoCircles.net 

बिहार कैबिनेट ने करीब दो साल पहले पूर्ण शराबबंदी कानून को लागू किया था.


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इन दो साल में तमाम लोगो पर इस कानून के तहत कार्यवाही हुई. गिरफ़्तारी और फिर जेल. लेकिन इन दो साल में लगभग 50 आरोपियों की मौत जुर्म साबित होने से पहले ही हो गयी. कुछ पुलिस के ज़ुल्म के शिकार हुए तो कुछ जेल के भीतर पहुच कर दम तोड़ दिए. इस कानून के तहत न्यूनतम तीन साल तक जेल की सजा मुकर्रर की गई है. यहाँ तक की बिहार पुलिस को बिना वारंट सिर्फ शक के आधार पर लोगों को गिरफ्तार करने का पूरा अधिकार मिला हुआ है.
कैमूर जिला के स्थानीय लोग
पिछले 22 मार्च को बिहटा से गिरफ्तार जैकी मांझी की 24 घंटे में ही मौत हो गई. ये हादसा सामने आया तो  बिहार पुलिस और प्रशासन के लिए गले का फांस बन गया.  सामाजिक कार्यकर्त्ता सुधा वर्गिस के अनुसार, 25 वर्षीय जैकी मांझी की डेड बॉडी की तस्वीर इतनी दर्दनाक थी जिसे देख उसके साथ बरती गई मार्मिकता साफ़ पता चल रही थी.

 

उन्होंने बताया कि 22 मार्च को बिहटा पुलिस ने राधोपुर के जैकी मांझी को दो लीटर देशी शराब के साथ गिरफ्तार कर बेऊर जेल भेज दिया. जेल भेजने के 24 घण्टे के अंदर उनकी मौत इलाज़ के दौरान हो गई. यह मौत किसी बीमारी से नहीं बल्कि जेल में यातना-प्रताड़ना से हुई थी.  इसके बाद उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया गया. जिसे प्रधान गृह सचिव आमिर सुब्हानी ने पुलिस महानिदेशक  के. एस. द्रिवेदी को जाँच का निर्देश दिया.

पुलिस सूत्रों की माने तो शराब से जुड़े मामलों में गिरफ्तार जैकी मांझी की हिरासत में मौत कोई पहला मामला नहीं था. इससे पहले भी हिरासत में कई मौतें हो चुकी  हैं.

बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हसनैन अंसारी बताया कि उनके भतीजे को शराबबंदी के अवैध व्यापार के केस में शक के आधार पर जनवरी में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस उसे औरंगाबाद थाना ले आई वहां उसको 20 दिन तक कस्टर्डी में रखा गया था. इस दौरान उसके साथ बुरी तरह जेल में पीटा गया था. पिटाई के दौरान ही उनसे सर में चोट के वजह से उसका दिमागी संतुलन बिगड़ गया. पिछले 5 महीनो से उनका इलाज़ बनारस के BHU न्यूरो डॉक्टर से चल रहा है. उन्होंने अपने बहुत कांपते उन्हें लफ़्ज़ों में कहा- हमारा बच्चा बच गया ये ही खुदा की सबसे बड़ी नेमत है.

बिहार के कैमूर जिला के मुसहर टोली के लोगों ने बताया कि यहाँ पुलिस का आये दिन का मामला है. यहाँ रोज पुलिस शराब चोरी और शराब छुपाने को लेकर घर-घर छापेमारी करती है. अगर हमलोग विरोध करते हैं तो गन्दी-गन्दी गालियां देने लगते हैं. कई बार तो मारपीट तक सहन करना पड़ता है. मुसहर टोला के निवासी घनंजय बताते हैं, पुरे टोला में शराब मिले न मिले लेकिन पुलिस रोज छापेमारी करने जरूर आती है. कई बार तो अपने पैसे भी लेकर चली जाती है. अफसर लोगों से शिकायत तक की लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं.
कुछ मौतें जिनपर ऊँगली उठी वो निम्न हैं :-

पटना के मनेर पुलिस द्वारा खासपुर निवासी युवक उमेश राय की कार्टरडी में मौत हुई. उमेश के खिलाफ शराबबंदी का केस था. वहीँ कटिहार पुलिस द्वारा देवेन्द्र सिंह को शराबबंदी कानून में गिरफ्तारी किया गया था. जिसके बाद देवेन्द्र सिंह की मौत भी इलाज के दौरान कटिहार सदर अस्पताल में हो हुई. इतना ही नहीं कैमुर पुलिस द्वारा सुजान राम को तीन बोतल शराब के साथ 27 मार्च को गिफ्तारी किया गया था जिसके बाद 28 मार्च को पुलिस हिरासत में ही सुजान राम की मौत हो गई.

इन सभी मामले में परिजनों ने पुलिस कस्टडी और जेल में मारपीट का आरोप लगाया है. शराब, थाना से जुड़े मामले में 30-35 लोगों की मौत का हवाला देते हुए दो सप्ताह पहले बिहार जेल,महानिरीक्षक आनंद किशोर ने मीडिया के समक्ष ये कहा कि मीडिया या मृतकों के परिवार से ऐसे रिपोर्ट को साझा नहीं करेंगे, जब राज्य सरकार जब मांगेगी तो भेजा जायगा. हालांकि उन्होंने ये भी स्वीकार किया की ये सभी मामले मानवाधिकार हनन से जुड़ा हैं, वक़्त रहते गलत तरीके को बंद नहीं किया गया तो सरकार की ही छवि इससे ख़राब होने का खतरा है.

शराबबंदी कानून को लेकर राज्य सरकार पर गरीब, पिछड़े, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को निशाना बनाने का आरोप हमेशा से लगता रहा है. द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस कानून के उल्लंघन के मामले में आरोपित या दोषी कुल कैदियों में 27 फीसदी दलित और 6.8 फीसदी आदिवासी हैं.
साभार द इंडियन एक्सप्रेस

इस रिपोर्ट के अलावा सरकारी आंकड़ों की मानें तो बिहार में शराबबंदी कानून के तहत करीब 1.5 लाख लोगों को जेल भेजा जा चुका है. उधर, बिहार राज्य सरकार ये कह रही है कि करीब 10,000 कैदी ही इस कानून के तहत जेलों में बंद हैं. वहीँ आकड़ों के अनुसार बीते दो वर्षों में करीब 1.4 लाख आरोपितों को अभी तक दोषी साबित नहीं किया जा सका है.

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