फ़हमीना हुसैन | पटना
पश्चिमी उत्तर प्रदेश से शुरू हुई भीम आर्मी ने बिहार प्रदेश की राजधानी पटना में अपनी पहली रैली करके जनसँख्या के आधार पर आरक्षण लागू करने की मांग उठाई.
पिछले बुधवार को पटना के गांधी मैदान में भीम आर्मी सुप्रीमो चंद्रशेखर ने रैली में अपने संबोधन में कहा कि अब दलित और बहुजन समाज किसी भी सवर्ण नेता को वोट नहीं देगा। उन्होंने कहा कि हम सवर्णों की राजनीतिक नसबंदी करने का काम करेंगे चंद्रशेखर ने आरक्षण को लेकर कहा कि आरक्षण जनसंख्या के अधार पर होना चाहिए। जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी। दलितों और बहुजनों के लिए जनसंख्या के अधार पर आरक्षण मिलना चाहिए।
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ये रैली देश में बढ़ती बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, मॉब लिंचिंग, किसानों और छात्रों पर लाठीचार्ज, पिछड़े दलित, महादलितों, मुस्लिम पर बढ़ते अत्याचार और दमन-शोषण, हत्या के खिलाफ संविधान एवं आरक्षण बचाने के लिए भीम आर्मी द्वारा करी गयी थी.
इस रैली के मुख्य अतिथि भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद एवं विशिष्ट अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्र नेता नीलम सरोज रहें। दरअसल चंद्रशेखर आज़ाद ने आगामी चुनावों में भाजपा को हारने और गठबंधन को समर्थन देने की घोषणा की है। बिना किसी राजनीतिक दल का हिस्सा हुए अपनी राजनीतिक पक्षधार तय करने की बात कही है।
चंद्रशेखर ने कहा कि दलितों और मुसलमानों को उनकी खुद की सुरक्षा को लेकर सरकार से प्राथमिकता के आधार पर बंदूक लाइसेंस देने की मांग की। उन्होंने कहा कि हमें अपनी सुरक्षा के लिए किसी के भरोसे रहने की जरुरत नहीं है हम अपनी रक्षा खुद करना चाहते हैं। उन्होंने धमकी दी कि अगर ऐसा नहीं होता है तो बहुजन समाज अपने तरीके से अपना हक लेगी। वोट हमारा, राज तुम्हारा नहीं चलेगी।
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भीम आर्मी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अमर आजाद ने कहा कि यह रैली बहुजन एकता के लिए हैं। रैली 2019 लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में पीएम मोदी के विरोध के तौर पर बहुजन समाज को एकजुट होना होगा.
हिसुआ भीम आर्मी के अध्यक्ष धर्मेंद्र राजवंशी ने कहा कि दलितों- महादलितों के खिलाफ औसतन हर दिन 126 उत्पीड़न की घटनाएं हो रही हैं। जो सरकार की दमनकारी रवैये को दर्शाती है। उन्होंने अपनी मुख्य मांगों का ज़िक्र करते हुए बताया कि हमारी मुख्य मांगों में न्यायिक सेवा में आरक्षण, जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी करने, जनसंख्या के अनुपात में संसाधनों का बंटवारा, निजी क्षेत्रों में आरक्षण, समान और सस्ती शिक्षा, शिक्षा का निजीकरण और बाजारीकरण बंद करने की मांग आदि शामिल है।
इसके साथ ही बिहार राष्ट्रीय दलित मानवधिकार अभियान के धर्मेंदर पासवान ने कहा कि लगातार दलित छात्रों को ‘अनुसूचित जनजाति के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति’ नहीं दिया गया है। जिससे छात्रों की समस्याएं और बढ़ गई हैं।उन्होंने कहा कि वर्तमान वर्ष 2017-18 में भी ऑनलाइन किये हुए एक वर्ष होने को है लेकिन छात्रों को अभी तक पीएमएस राशि उपलब्ध नहीं कराई गई है। उन्होंने बताया कि इसके लिए मगध के चार जिलों में गया, नवादा,जमुई, और नालंदा में जिलाधिकारियों और समाज विभाग अधिकारी को कॉपी सौंपी जा चुकी है।
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दरअसल पिछले साल सहारनपुर में राजपूतों-दलितों के संघर्ष के बाद भीम सेना सुर्ख़ियों में आई। उत्तर प्रदेश की बात करें तो दलितों की एक बड़ी आबादी पारम्परिक रूप से बसपा यानी मायावती की समर्थक रही है। लेकिन भीम आर्मी के उदय के साथ ही चंद्रशेखर तेज़ी से दलितों में मशहूर हो गए।
इसी साल अगस्त में भीम आर्मी ने अध्यक्ष चंद्रशेखर की रिहाई समेत अन्य मुद्दों को लेकर 19 अगस्त को दिल्ली के संसद मार्ग पर एक बड़ी रैली बुलाई थी। जहां भीम आर्मी की ‘भारत एकता मिशन’ रैली के लिए पोस्टर भी जारी किया था।