आस मुहम्मद कैफ, TwoCircles.net
एकदम टिपिकल भारतीय मुस्लिम लड़की ज़ीनत हिज़ाब में रहती है.तेज आवाज में बात नही करती है.अपनी अम्मी की घर के काम मे मदद करती है.रोजमर्रा की उसकी जिंदगी में क़ुरआन की तिलावत और नमाज़ शामिल है.मगर शरमाई,सकुचाई और अदब तहज़ीब वाली ज़ीनत की क़लम ने खूब बात की है.जब तक ज़ीनत बात नही करती तब तक आप उसकी काबिलयत का अंदाजा आप उसकी क़लम से लगाते हैं.मगर जब वो बात करती है तो पता चलता है कि यह लड़की जज कैसे बन गई!
ज़ीनत सिर्फ 23 साल की उम्र में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा(नेट) पास कर चुकी थी.25 साल की उम्र में वो पीसीएस (जे)का इम्तिहान पास कर चुकी है.खतौली में ढाँकन चौक में मुख्य बाजार में कुछ दुकानों के ऊपर दूसरी मंजिल पर ज़ीनत के अब्बा हाजी शकील अहमद का आठ बच्चों वाला परिवार रहता हैचार बेटियों और चार बेटों वाले इस परिवार में शकील अहमद का एक बेटा अमन वक़ालत करता है।
ज़ीनत की अम्मी बताती है मेरी बच्ची का नाम हर उस स्कूल के टॉपर बच्चों की लिस्ट में लिखा हुआ है जहां भी वो पढ़ी है.ज़ीनत की ज्यादातर पढ़ाई खतौली में ही हुई है.मेरठ कॉलेज से उसने एलएलबी की.पिछले साल उसने नेट की परीक्षा पास की थी.जिसके बाद वो मुजफ्फरनगर के एक निजी स्कूल में पढ़ा रही थी.
ज़ीनत के अब्बा हाजी शकील अहमद खतौली के बेहद शरीफ़ और इलाके के सबसे ज्यादा सम्मान पाने वाले लोगो से है.उन्हें किताबें पढ़ने का शौक है उनकी अलमारी में इसकी गवाही है.शकील अहमद हमें बताते हैं कि उन्होंने हमेशा तालीम की अहमियत को समझा है.उनकी एक और बेटी ज़ैनब बीएड है और तीसरी दरकशा अंजुम डॉक्टर बनने की तैयारी कर रही है.
ज़ीनत यह मानती है कि उसके ‘अब्बा जी’ने ही उसकी जिंदगी को इस मुक़ाम पर पहुंचाया है.ज़ीनत की काबिलयत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि उसने सिर्फ एक महीना से भी कम पीसीएस(जे)की कोचिंग की है।
रमज़ान में महीने में ज़ीनत ने अपने कॉलेज से सिर्फ इसलिए छुट्टी ली थी कि वो इबादत करने के लिए समय नही निकाल पा रही थी.ज़ीनत के अब्बा बताते हैं कि “ज़ीनत ने पूरे रमज़ान में सात क़ुरआन पूरे किए”.
ज़ीनत कहती है “मुझे नही लगता है कि मैं कोई स्पेशल लडक़ी हूँ.मैं वैसी ही हूँ जैसी लड़कियां सब होती है.हमारे घर मे टीवी नही है.मैं मोबाइल फोन का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के लिए करती हूँ.मेरी दोस्ती सिर्फ किताबों से है.
ज़ीनत के भाई ज़मीर अहमद के अनुसार वो सचमुच यह नही जानते है कि जज कितना बड़ा अफसर होता है.हम तो दरोगा को ही बहुत बड़ा समझते हैं.ज़ीनत ने कमाल कर दिया है.वो आम लड़कियों जैसी बिल्कुल नही है वो शादियों में नही जाती थी.बहुत करीबियों में कभी गई होगी.उसकी बातचीत में किताबी बातें होती थी.उसके सवालों में इल्म जानने की चाहत थी.किसी को ऐसी बहन पर नाज़ हो सकता है.वो बिल्कुल सादगी पसंद सीधी सादी लड़की है.
ज़ीनत के अब्बा शकील अहमद के मुताबिक हमने ज़ीनत से कहा है कभी किसी के साथ साथ नाइंसाफी मत करना पूरा इंसाफ करना.किसी के साथ भेदभाव मत करना.
ज़ीनत की बहन ज़ैनब हमें बताती है कि उसने खतौली की तमाम बेटियों को एक बेहतरीन गिफ्ट दिया है.अब बहुत सी लडकियां आगे बढ़ने के लिए प्रेरित हुई है.वो ज़ीनत से मिलने आ रही है।ज़ीनत को लगातार तारीफ मिल रही है.
ज़ीनत की इस कामयाबी से पूरी खतौली खुश है.युवा शकेब अली कहते हैं”अब रास्ता खुल गया है ज़ीनत से सीख हासिल कर अभी आपको और भी अच्छी ख़बर मिलेगी.