लाखों मज़दूरों की पलायन करती तस्वीरे कोरोना से भी ज़्यादा भयावह है!

आस मोहम्मद कैफ़, Twocircles.net

दिल्ली। विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी के साथ भयावह मंज़र देख रहा है। यह डरावना मंज़र दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस के ख़ौफ़ से भी अधिक ख़ौफ़नाक है।
यह मंज़र 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 21 दिन के लिए पूरे भारत को लॉकडाऊन करने की घोषणा के बाद सामने आया है। इस घोषणा के बाद देश के सबसे ग़रीब मज़दूर तबक़े पर बिजली गिर पड़ी। ख़ासकर वो मज़दूर जो बड़े शहरों में रोज़ी रोटी कमाने के लिए आए थे। वो पैदल ही सैकड़ोंं किमी दूर अपने परिवार के साथ भूखे प्यासे पलायन करने लगे। लाखों मज़दूर सड़कों पर आ गए। हज़ारों परिवार पैदल ही चल पड़े। सबसे ज्यादा पलायन दिल्ली से हुआ। पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान से भी तमाम मज़दूरों को यह तकलीफ़ झेलनी पड़ी।
हाथों में बड़ा सा सामान वाला थैला! कंधे पर बैठाए गए मासूम बच्चे! आंखों में आँसू! भूखे पेट पलायन कर रहे इन लोगो का क़सूर ही गरीबी है! अपने घर से दूर ये यहां रोटी कमाने आये थे। क्या इनकी यही ग़लती थी! अक्सर विभिन्न राज्यों से इन बड़े शहरों में रोटी की जुस्तुजू में। 24 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी ने पूरा भारत लॉकडाऊन कर दिया तो दिल्ली में इनका काम बंद हो गया और मालिकों ने इनसे पल्ला झाड़ लिया।
वे पत्रकार जो इनसे बातचीत करते है खुद रो पड़ते हैं। हम भी रो पड़े
दिल्ली में एक फैक्ट्री में काम करने वाले विकास मौर्या अपनी पत्नी और दो बेटी के साथ पैदल ही इटावा जा रहे हैं। एनएच 24 पर। इटावा दिल्ली से 357 किमी दूर है। विकास कहते हैं, “कोरोना से जब मरेंगे तब मरेंगे। यहां रहे तो भूख से मर जायेंगे।” आंखे बंद कर मूहँ भींचकर विकास की अगली बात कलेजा चीर देती है। वो कहते है, “अब दिल्ली कभी लौट कर नही आएंगे।”
विकास कहते हैं, “पुलिस पैदल भी जाने नही दे रही!जगह-जगह बेरिकेडिंग है। अब कह रहे हैं वापस जाओ।
आंनद विहार बस अड्डे से बस चला रहे हैं। पहले तो सब बंद कर दिया। कम से कम एक दिन देना चाहिए था। तैयारी के लिए। जो लोग अपने घर से बाहर खाने-कमाने आये थे वो पहुंच तो जाते अपने ठिकाने पर। ये पहले करते हैं। फिर सोचते हैं। भारत मे 70 फीसद ग़रीब मज़दूर लोग है। करोड़ो गांव से शहरों में काम करते हैं। एकदम, अचानक सब बंद कर दिया। यह हमें बचाना चाहते थे या अमीरों को।
विकास की पत्नी ममता ने कसकर अपनी बेटी को पकड़ रखा है। वो कुछ नही कहती मगर आंखे उसकी भी गीली है।
मज़दूरों की इन हालात पर कांग्रेस के राहुल गांधी ने ख़ास चिंता जताई है। उन्होंने कहा, “हमारे सैकड़ोंं भाई बहन भूखे प्यासे हैं। उन्हें परिवार सहित अपने गांवों की और पैदल जाना पड़ रहा है। इस कठिन रास्ते पर आप मे जो भी उन्हें खाना पानी आसरा और सहारा दे सके कृपा करें दे।”
45 साल के दिल के मरीज़ मोहम्मद यूनुस कपड़े की फेरी लगाने का काम करते हैं। वो राजस्थान से 800 किमी स्कूटर चलाकर 24 मार्च की रात अपने घर मुज़फ़्फ़रनगर लौट आए। वो कहते हैं, “मैंने लोगोंं को रास्ते पैदल जाते देखा। मेरे पास तो स्कूटर था। इतना बड़ा पलायन हमने कभी नही देखा। हो सकता है आज़ादी के बंटवारे के दौरान ऐसा हुआ हो। भारत बहुत बड़ा देश है। करोड़ोंं लोग रोज़ी रोटी के लिए दूर दराज़ जाकर काम करते हैं।सरकार को उन्हें उनके घर वापस लौटने का वक़्त देना चाहिए था। वो 24 घण्टे देकर लोकडाउन कर देते। हम देख रहे थे कि वो एयरलिफ्ट करके विदेश से भारतीयों को बुला रहे थे। अपने ही देश के लोगो को उन्होंने सड़कों पर पैदल चलने के लिए छोड़ दिया।
उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक उन्होंने दिल्ली से वापस लौट रहे इन प्रवासी मजदूरों के लिए एक हज़ार बसों का इंतेजाम किया है। यह व्यवस्था ऐसे समय की गई है जब हजारों मजदूर परिवार सड़कों पर हैं और पैदल ही अपने घर पहुंच चुके हैं। हालांकि लाखों की संख्या में लोग अभी भी फंसे हुए है। बिजनोर के साहनपुर कस्बे में हिमाचल प्रदेश के शिमला से फुरकान पहुंचे हैं। वो कहते हैं, “मेरे साथ दो और साथी थे वो किरतपुर के थे। मैं वहां बेकरी का काम करता था। मोदी जी के ऐलान के बाद जब कोई गाड़ी नही थी वो पैदल ही चल दिये। रास्ते मे कई जगह पुलिस ने हमें परेशान किया मगर मुज़फ़्फ़रनगर के बागोवाली में पुलिस ने हमें चाय पिलाई।” फुरक़ान के पैर बुरी तरह सूज गए हैं और छाले पड़ चुके हैं।
बता दें कि सम्पूर्ण भारत मे 24 मार्च को लॉकडाऊन कर दिया गया। ऐसा कोरोना वायरस के बढ़ते हुए ख़तरे को देखते हुए किया गया। सरकार के इस फ़ैसले को सभी राजनीतिक दलों का समर्थन मिला। मगर अब बिना तैयारी के अचानक किये इस फ़ैसले के शहरों से गरीब मजदूरों के पलायन के भयावह परिणाम सामने आए है। पलायन की इन भयावह तस्वीरों के बाद सकते में केंद्र सरकार का कहना है कि जो जहां है वहीं रुक जाए हम उसे वहीं पर खाना उपलब्ध कराएंगे। कई राज्य सरकारों ने भी ऐसा ही दावा किया है लेकिन यह सरकारी दाग है अभी जमीन पर उतरते नहीं दिख रहे।


Support TwoCircles

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE