दाढ़ी रखने पर क्यों निलंबित कर दिए गए इंतेसार अली पुंडीर !

स्टाफ़ रिपोर्टर । Twocircles.net 

उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद में दाढ़ी रखने के लिए दरोगा इंतेसार अली को निलंबित किए जाने की बात पर क़ायम रहते हुए बागपत के जिला पुलिस कप्तान अभिषेक सिंह ने अपने फैसले को सही बताया है। अभिषेक सिंह के मुताबिक उन्होंने यह निलंबन पूरी तरह से पुलिस नियमावली के अनुसार ही किया है।


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बागपत के रमाला थाने में तैनात दाढ़ी रखने की अपनी धार्मिक आस्था के कारण निलंबित किए गए दरोगा इंतेसार अली हालांकि इससे आहत है और अब वो मीडिया से बात नहीं कर रहे हैं। इंतेसार अली पुंडीर को एक दिन पहले ही दाढ़ी रखने के लिए निलंबित किया गया है। बागपत के एसपी अभिषेक सिंह के मुताबिक उन्होंने कई बार उन्हें दाढ़ी कटाने के लिए कहा था मगर उन्होंने ऐसा नही किया। पुलिस नियमावली के मुताबिक सिर्फ सिखों को ही दाढ़ी रखने की अनुमति है जबकि अगर कोई मुसलमान दाढ़ी रखना चाहता है तो उसे अपने जिला पुलिस कप्तान से अनुमति लेनी पड़ती है। इस मामले में दरोगा का कहना है कि वो 2019 से अनुमति मांग रहे हैं मगर उन्हें अनुमति नही मिली है।

दरोगा राव इंटेसार अली के निलंबन के बाद सोशल मीडिया पर मचे बवाल के बाद बागपत पुलिस द्वारा जारी किए गए स्पष्टिकरण के अनुसार पैटर्न के अनुसार वर्दी न धारण करने व दाढ़ी न बनाने के संबध में दरोगा को इससे पहले भी कारण बताओ नोटिस जारी किया जा चुका है मगर इसके विपरीत मनमाने तरीके से बिना अफसरों की अनुमति के दाढ़ी रखने का उनका कृत्य अनुशासन हीनता में आता है।

निलबंन के बाद राव इंतेसार अली पुंडीर आहत है। उनके पारिवरिक सूत्रों के मुताबिक वो इस फैसले के ख़िलाफ़ अदालत की शरण मे जाने पर विचार कर रहे हैं। सहारनपुर के मूल निवासी इंतेसार अली पुलिस में बतौर दरोगा ही भर्ती हुए थे और तीन साल से वो बागपत में ही तैनात थे।

थानाभवन से पूर्व विद्यायक राव वारिस के मुताबिक उन्हें लगता है कि किसी भी पुलिसकर्मी के निलबंन और पुरस्कृत किए जाने का आधार उसका काम होना चाहिए। यह देखा जाना चाहिए कि वो अपना काम ठीक से कर रहा है अथवा नही ! उसकी मेरिट कानून व्यवस्था का पालन कराने से आँकनी चाहिए ! कोई तिलक लगा रहा है या पगड़ी पहन रहा है अथवा दाढ़ी रख रहा है यह संस्पेंशन का आधार नही होना चाहिए।

मुस्लिम राजपूत समाज के नेता हाजी रियाज़ राणा के मुताबिक यह भेदभावपूर्ण है। थानों में दिवाली, होली और जन्माष्ठमी जैसे त्यौहार मनाए जाते हैं हमे उन पर कोई आपत्ति नही है। दाढ़ी रखना भी एक धार्मिक स्वतंत्रता में आता है। यह पुलिस मैन्युल में नही है मगर जिला पुलिस अधीक्षक को इसके अनुमति देते रहे हैं। इस मामले में बागपत पुलिस कप्तान को उन्हें दाढ़ी रखने की अनुमति दे देनी चाहिए थे। दरोगा अनुमति मांग रहा था। उसको पेंडिंग रखा गया क्योंकि उसे निरस्त नही जा सकता था।

इस्लामिक धार्मिक विद्वान मुफ़्ती अफ़रोज़ अहमद कहते हैं कि ” अगर हक़ीक़त में कोई कानूनी उज़र है तो जब तक कानून इजाज़त नही देता है तब तक आप उसके ख़िलाफ़े नही सकते हैं। हां दूसरे ऑप्शन खुले है जैसे आप सेवा से रिटायरमेंट ले लें,वरना परमिशन की कोशिश करते रहे। हजरत मुफ़्ती तकी उस्मानी ने लिखा है कि कानूनी पाबंदी भी शरीयत में उज़र है “।

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