मशहूर इस्लामिक विद्वान सिद्दिक हसन का निधन

विशेष संवाददाता। Twocircles.net

जमात-ए-इस्लामी हिंद के पूर्व सहायक अमीर प्रोफेसर के० ए० सिद्दीक हसन का मंगलवार को कोजीकोड में देहांत हो गया। वो भारत के महान इस्लामी विद्वानों में गिने जाते थें। वो कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित थें जिसमे, इमाम हदद एक्सिलेंस पुरुस्कार, इस्लामिक ऑनलाइन स्टार इत्यादि शामिल हैं।


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हसन जमात-ए-इस्लामी हिंद के सहायक अमीर होने के साथ साथ जमात-ए-इस्लामी केरल के पूर्व अमीर भी थें। इसके अलावा वो ‘मध्यमम’ के अध्यक्ष और प्रकाशक रह चुके थें। ‘मध्यमम’ भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय समाचार पत्र है। इस अखबार को 1987 में आइडियल पब्लिकेशन ट्रस्ट द्वारा स्थापित किया गया था। हसन ट्रस्ट के संस्थापक सचिव और साथ ही वह विजन 2016 अभियान के मुख्य वास्तुकार भी थें। प्रो० हसन को मशहूर इस्लामिक विद्वान, हुनरमंद वक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में लोग जानते थें।

वह देहांत से पहले अपने बेटे के साथ कोवूर में सेवानिवृत्त जीवन जी रहे थें। उम्र से संबंधित स्थितियों से पीड़ित हसन ने मंगलवार को 76 साल की उम्र में अपनी आखिरी सांस ली।

समाज में बड़े पैमाने पर उनके स्थायी योगदान के तौर पर उत्तर और पूर्वी भारत में सामाजिक-शैक्षणिक सशक्तिकरण पहल का नेतृत्व करना शामिल है। जहां अल्पसंख्यकों को आर्थिक और शैक्षिक अभाव के साथ जीवन जीना पड़ता हैं। इस संबंध में उन्होंने मानव कल्याण फाउंडेशन (एच डब्ल्यू एफ) के माध्यम से विजन 2016 परियोजना की नींव डाली। जिसमें स्कूल, घर, सार्वजनिक कुओं, मस्जिदों और चिकित्सा सुविधाओं को मुहैया कराया। 2016 के बाद से, इस परियोजना को 2026 के रूप में फिर से लॉन्च किया गया, और अभी भी चालू है।

देहांत से पहले वो दिल्ली स्थित ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन, ह्यूमन वेलफेयर ट्रस्ट, सोसाइटी फॉर ब्राइट फ्यूचर, एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स (APCR) और मेडिकल सर्विस सोसाइटी के महासचिव के रूप में कार्य कर चुके हैं।

सिद्दीक हसन का जन्म 1945 में केरल के त्रिशूर ज़िले में हुआ था। उनके पिता का नाम मौलवी एम अब्दुल्ला और माता पी ए खदीजा थीं। उनकी शिक्षा रौज़थुल उलूम अरबी कॉलेज, फारूक और इस्लामिया कॉलेज संतापुरम में हुई। अरबी में स्नातकोत्तर के बाद वह सरकारी कॉलेज शिक्षण सेवा में शामिल हो गए और यूनिवर्सिटी कॉलेज, महाराजा कॉलेज, कोच्चि और कोइलंडी, कोडेनचेरी और कासरगोड कॉलेजों में काम किया।

वह 1990-2005 की अवधि के दौरान जमात-ए-इस्लामी केरला के अमीर रहें। उन्होंने वैकल्पिक निवेश और क्रेडिट लिमिटेड (AICL) के अध्यक्ष, बैजुजठाक के संस्थापक अध्यक्ष, और प्रोबोधनम साप्ताहिक के उप-संपादक के पदों पर भी कार्य किया है।

प्रोफ़ेसर हसन किताबों को लिखने और अनुवाद करने के अलावा इस्लाम दर्शनम के संपादकों के पैनल में भी शामिल थे। जो लैंग्वेज इंस्टीट्यूट केरल द्वारा प्रकाशित एक इंसाइक्लोपीडिया है। वो समय-समय पर दूसरे पत्रिकाओं में भी लिखते रहे थें। उनके अनुवादित कार्यों में भविष्यवाणी की कहानियाँ, ‘इस्लाम कल, आज और कल है’, गलत समझा धर्म, इस्लाम की राजनीतिक व्यवस्था, इत्यादि शामिल हैं।

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