जमीन हमारी तो फैसला दिल्ली में बैठी सरकार नही ले सकते,मुजफ्फरनगर के बाद अब मथुरा में जुटे हजारों किसान

स्टाफ़ रिपोर्टर । Twocircles.net

किसान आंदोलन में इंक़लाब आ गया है। मुजफ्फरनगर के बाद आज मथुरा की महापंचायत में हजारों लोग कृषि बिल के विरोध में जमा हो गए। मुजफ्फरनगर के बाद यहां पहुंचे जयंत चौधरी ने कहा कि किसान की बात न सुनने वाले उनके हितों के अनदेखी करने वाले सरकार में शामिल जनप्रतिनिधियों का बहिष्कार किया जाये। जयंत चौधरी ने यहां नोजवानों से आग्रह किया कि वो निकल पड़े और इस कानून का विरोध करें। अब यहाँ से कल वो बड़ौत में महापंचायत करेंगे और सोमवार को बिजनौर में जुटेंगे। मुजफ्फरनगर की पंचायत के बाद किसानों में जबरदस्त उत्साह है और नौजवानों ने कृषि बिल के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन को गति देनी शुरू कर दी है। जयंत चौधरी ने कहा कानून बनाने का विरोध करना देश का विरोध करना नही है। कानून किसान के हित में नही है उसे रद्द किया जाये।


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जयंत चौधरी ने कि देश के आगे यह बड़ी चुनौती है। 70 प्रतिशत लोग किसान हैं, अन्नदाता हैं, जो कि भगवान का रूप होते हैं। भगवान का रूप कहे जाने वाले किसान अब सड़कों पर आ चुके हैं, लेकिन प्रधानमंत्री अपनी हठ पर अड़े हुए हैं। वे विदेशों की बात करते हैं। अमेरिका पर अपना ध्यान रखते हैं, लेकिन किसानों की उन्हें कोई चिंता नही उन्होंने कहा कि सरकार अपनी हठधर्मिता कर रही हैं। लोकतंत्र में जनता कुर्सी पर बैठाती है तो उतार भी सकती हैं। ये राजा महाराजा जैसी  जिंदगी जी रहे हैं। इन्हें किसान की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है। गन्ने का भाव नहीं बढ़ रहा है। यह किसान विरोधी सरकार है। उन्होंने कहा कि अब चुप रहने से काम नहीं चलेगा। सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी। किसान अब किसी भी कीमत पर चुप नहीं बैठेगा। उन्होंने अपील की बृज के लोग दिल्ली पहुंचे और धरनारत किसानों का साथ दें। यहाँ  नौहझील बाजना के मोरकी इंटर कॉलेज में इस महापंचायत का आयोजन हुआ था और इसका आयोजन  भारतीय किसान यूनियन ने किया था। राकेश टिकैत के आंसुओं के बाद बदले माहौल में यह दूसरी पंचायत है। पंचायत के चलते यमुना एक्सप्रेसवे पर भारी संख्या में फोर्स तैनात की गई थी। अब कल बागपत में और सोमवार को बिजनौर में महापंचायत होगी। मुख्यतः इन महापंचायतो में दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को मजबूत करने और दिल्ली पहुंचने का आह्वान किया जा रहा है। यहाँ पहुंचे एक किसान नीरज चौधरी ने बताया कि सरकार को हवा के रुख को समझना चाहिए,उन्होंने जिद बना ली है। किसानों को बदनाम नही किया जाना चाहिए। किसान सरकार से टकराव नही चाहता है मगर सरकार ही ऐसा कर रही है।

मथुरा की पंचायत में पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी ने भी शिरकत की उन्होंने कहा कि किसान को जाति  और धर्म के चश्मे में नही तोला जा सकता। हम सब किसान है। केंद्र में आसीन सरकार का झुकाव पूंजीपतियों की तरफ है। यह सर्वविदित है। यह शरमायेदारों की सरकार है। किसान इस देश का अन्नदाता है। वो हीरो है। षड्यंत्र करके उसकी छवि बिगाड़ी जा रही है। केंद्र सरकार को चाहिए वो कानून थोपने का काम न करें। धरती किसान की मां होती है उसका जमीन के साथ बहुत जज्बाती रिश्ता है।

मथुरा की इस पंचायत में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के आंसुओं का बदला लेने की बात भी कही गई। पंचायत में रालोद और समाजवादी पार्टी के भी पहुंचे।पंचायत में बीजेपी के विधायकों की हरकत पर भी लोगों में गुस्सा था। जयंत चौधरी ने कहा कि किसान ऐसे नेताओं का बहिष्कार कर दे इन्हें इनकी हैसियत समझ मे आ जाएगी। पंचायत में सपा नेता संजय लाठर , पूर्व तेजपाल सिंह ,कुँवर नरेंद्र सिंह, चेतन मलिक और भगवती सूर्यवंशी जैसे किसान नेता भी शामिल थे।

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