‘एआईएमआईएम’के साथ गठबंधन की बात में रत्ती भर भी सच नही : मायावती

न्यूज डेस्क । Twocircles.net

बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी चुनाव के लिए बसपा और एआईएमआईएम के गठबंधन की खबरों को खंडित किया हैं और आधारहीन बताया हैं। मायावती ने ट्वीट करते हुए न्यूज़ चैनलों द्वारा चलाई जा रही गठबंधन की खबरों को भ्रामक, तथ्यहीन और ग़लत बताया हैं साथ ही मायावती ने ट्वीट के माध्यम से यह भी कहा हैं बसपा यूपी विधानसभा चुनाव अकेले ही लड़ेगी।


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पिछड़े कुछ दिनों से न्यूज़ चैनलों द्वारा चलाया जा रहा था कि अगले वर्ष होने यूपी विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी असदुद्दीन ओवैसी की आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन से गठबंधन करके लड़ सकतीं हैं। न्यूज़ चैनलों द्वारा प्रसारित की जा रहीं उक्त खबरों को बसपा अध्यक्ष मायावती ने ट्वीट करते हुए महज़ अफवाह बताया हैं। मायावती ने ट्वीट के माध्यम से कहा कि न्यूज़ चैनलों द्वारा चलाई जा रही इन खबरों में रत्तीभर भी सच्चाई नहीं हैं।

मायावती ने यह भी साफ किया हैं कि उनकी पार्टी पंजाब को छोड़कर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में कोई गठबंधन नहीं करेंगी, जिससे यह साफ़ हो गया है कि मायावती आने वाले विधानसभा चुनाव में अकेले ही दम-खम दिखाएंगी। हालांकि इसी वर्ष हुए बिहार चुनाव में बसपा और एआईएमआईएम एक ही गठबंधन का हिस्सा रहें थे।

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने पार्टी के राज्यसभा सदस्य सतीश चन्द्र मिश्रा को पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया सेल का कार्डिनेटर भी घोषित किया है जिससे न्यूज़ चैनलों द्वारा करी जा रहीं पार्टी से संबंधित बयानबाज़ी को रोका जा सकें। साथ ही मायावती ने ट्वीट के माध्यम से मीडिया को नसीहत देते हुए कहा है कि पार्टी या उनसे संबंधित कोई भी भ्रामक या ग़लत ख़बर लिखने या चलाने से पहले मीडिया सेल के कार्डिनेटर सतीश चन्द्र मिश्रा से सही जानकारी प्राप्त कर लिया करें।

मायावती ने पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए अकाली दल से हाथ मिलाया हैं। लेकिन मायावती ने यूपी विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा विधान परिषद चुनाव के समय कर दी थी। हालांकि इतिहास यह बताता है कि मायावती को यूपी में गठबंधन करके चुनावी मैदान में उतरना हमेशा फायदेमंद रहा है और इससे पार्टी सत्ता तक भी पहुंची हैं।

बसपा ने अपने तीन दशक से भी ज्यादा समय के कैरियर में तीन बार गठबंधन करा , सन् 1993 में बसपा ने सपा के साथ यूपी विधानसभा चुनाव के लिए हाथ मिलाया, सन् 1996 में कांग्रेस के साथ गठबंधन में हाथ मिलाया और सन् 2019 में लोकसभा चुनाव के लिए बसपा ने फिर सपा से हाथ मिलाया। हालांकि बसपा का किसी भी दल के साथ गठबंधन लंबा नहीं चला लेकिन बसपा को सियासी फायदा जरूर मिला। यूपी में गठबंधन करने का फ़ायदा बसपा को यह मिला कि उसके वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई और ज़्यादा सीटो पर भी कब्ज़ा जमाया।

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