दारुल उलूम को हमेशा याद आएंगे कारी उस्मान !

स्टाफ़ रिपोर्टर।Twocircles.net

दारुल उलूम के मोहतमिम और जमीयत उलेमा हिन्द के सदर मौलाना उस्मान मंसूरपुरी का आज इंतेक़ाल हो गया। वो मौलाना हुसैन अहमद मदनी साहब के दामाद भी थे। उनके इंतेक़ाल के बाद मुसलमानों में बहुत ग़म का माहौल है।


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विश्वप्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद के कार्यवाहक मोहतमिम मौलाना कारी उस्मान एक मशहूर आलिम और कारी थे। साथ ही वे एक लंबे समय से दारुल उलूम देवबंद में उस्ताद रहे। कारी उस्मान की गिनती दारुल उलूम देवबंद के बड़े उस्तादों में होती थी। कारी उस्मान का निधन 21 मई 2021 को कोरोना संक्रमण से हुआ।

मौलाना उस्मान का जन्म 12 अगस्त 1944 को मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर में हुआ था। कारी उस्मान ने अपनी पढ़ाई 1965 में दारुल उलूम देवबंद से पूरी करी थी। कारी उस्मान अरबी साहित्य के माहिर थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद कारी उस्मान ने बिहार के गया जिले के मदरसा कासमिया में एक टीचर की हैसियत से पांच साल पढ़ाया और फिर अमरोहा के मदरसा इस्लामिया अरबिया में 11 साल पढ़ाया।

कारी उस्मान 1982 में दारुल उलूम देवबंद में टीचर नियुक्त करे गए। मौलाना कारी उस्मान की शादी मशहूर स्वतंत्रता सेनानी मौलाना हुसैन अहमद मदनी की बेटी से हुई थी। मौलाना उस्मान लोगों के बीच ‘उस्मान मंसूरपुरी’ के नाम से मशहूर थे। मौलाना उस्मान देवबंद में हदीस पढ़ाते थे। कारी उस्मान के बेटे कारी अफ्फान मंसूरपुरी भी प्रसिद्ध आलिम हैं।

मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर के मोहल्ला दरबार के रहने वाले मौलाना कारी उस्मान दारुल उलूम देवबंद के कार्यवाहक मोहतमिम के साथ साथ ज़मीयत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे। पिछले वर्ष दारुल उलूम देवबंद के कार्यवाहक मोहतमिम बनने से पहले लंबे समय तक वे दारुल उलूम देवबंद के नायब मोहतमिम भी थे।

दारुल उलूम देवबंद की शूरा कमेटी ने पिछले ही वर्ष अक्टूबर में उन्हें दारुल उलूम देवबंद का मोहतमिम बनाया था और मौलाना अरशद मदनी को दारुल उलूम देवबंद का सदर मुदर्रिस नियुक्त किया था। साल 2006 में उन्हें उन्हें जमीयत उलमा-ए-हिंद के मौलाना महमूद मदनी के गुट का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया गया था। फिलहाल जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दोनों गुटों में दूरियां कम हुई हैं और साथ में मिलकर काम कर रहे हैं।

मौलाना कारी उस्मान को अमीर उल हिंद की उपाधि प्राप्त थी इससे पहले अमीर उल हिंद की उपाधि स्वतंत्रता सेनानी मौलाना सैय्यद असअद मदनी को दी गई थी लेकिन सैय्यद असअद मदनी के निधन के बाद मौलाना उस्मान को यह उपाधि दी गई थी। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी मौलाना असअद मदनी के बेटे हैं।

लंबे समय से जमीयत उलेमा-ए-हिंद में दो फाड़ हैं। इसमें एक जमीयत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी तो दूसरे गुट में महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कारी उस्मान मंसूरपुरी को अध्यक्ष बनाया। दोनों गुटों का मामला न्यायालय तक भी पहुंचा था। दारुल उलूम देवबंद की मजलिस ए शूरा कमेटी ने अक्तूबर माह में मौलाना अरशद मदनी और कारी उस्मान मंसूरपुरी को जिम्मेदारी सौंपी थी। दोनों गुटों के अध्यक्ष को जिम्मेदारी सौंपना सुलह के लिए अहम कदम माना गया था और काफी हद तक दूरियां भी कम हुई थी।

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