महमूद मदनी बने ‘जमीयत’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष

जिब्रानुदीन।twocircles.net

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के कार्यवाहक अध्यक्ष रहें मौलाना महमूद मदनी को अब जमीयत उलेमा ए हिंद का स्थाई अध्यक्ष नियुक्त किया गया हैं। जमीयत के दिल्ली स्थित मुख्यालय में राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में यह फैसला किया गया हैं। जमीयत की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में देश की वर्तमान परिस्थितियों, अफगानिस्तान की वर्तमान राजनीतिक स्थितियों, समाज सुधार, किसानों के आंदोलन और साथ ही दूसरे महत्वपूर्ण कौमी व सामाजिक विषयों पर भी चर्चा की गई।


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शनिवार को दिल्ली स्थित जमीयत उलेमा ए हिंद के मुख्यालय में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक संपन्न हुई। बैठक में सभी 21 राज्यों की कार्यकारिणी की तरफ से सहमति वाला मौलाना महमूद मदनी के नाम का प्रस्ताव अध्यक्ष पद पर आया। जिसे राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने स्वीकृत करते हुए अगले काल की अध्यक्षता के लिए मौलाना महमूद मदनी के नाम पर मुहर लगा दी। जिसके बाद मौलाना मदनी ने प्रस्तावों पर हस्ताक्षर कर अध्यक्ष पद का कार्य भार संभाला। इससे पहले कुछ माह पहले जमीयत उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष कारी उस्मान मंसूरपुरी की मृत्यु के बाद मौलाना महमूद मदनी कार्यवाहक अध्यक्ष बनाए गए थे।

नवनियुक्त अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र की ताकत यह है कि हर कोई अपनी मांगों और समस्याओं को उठाने का हक रखता है। किसानों को भी अपने हक के लिए आंदोलन करने का हक है। उन्होंने कहा कि लेकिन यह देखा गया है कि वर्तमान सरकार ऐसे आंदोलनों को एड्रेस करने के बजाए उसे कुचलने पर विश्वास रखती है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में उनका यह मूलभूत अधिकार स्वीकार किया है।

मौलाना महमूद मदनी ने अफगानिस्तान में नव गठित तालिबान सरकार पर कहा कि हम आशा प्रकट करते हैं कि तालिबान सरकार इस्लामी मूल्यों की रोशनी में मानव अधिकारों का सम्मान करते हुए देश के सारे वर्गों के साथ न्यायपूर्ण और मानवीय व्यवहार करेंगे। इसके अलावा क्षेत्र के सारे देशों विशेषकर भारत के साथ संबंधों को मधुर और स्थाई बनाने के हर संभव प्रयास करेंगे। साथ ही अपनी जमीन को किसी भी देश के विरुद्ध प्रयोग नहीं होने देंगे।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के साथ हिंदुस्तान के निकटवर्ती सांस्कृतिक संबंध रहे हैं और नए अफगानिस्तान के निर्माण व उन्नति में हिंदुस्तान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जिसका जीता जागता प्रमाण अफगानिस्तान पार्लियामेंट की आधुनिक इमारत, देश में चलने वाले प्रगति कार्यक्रम और असंख्य मार्ग हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में उचित यही है कि दोनों देशों के बीच संबंधों की बहाली के लिए गंभीर और ठोस प्रयास जारी रखे जाएं। ताकि पिछले 40 वर्षों से युद्ध व भय के साए में जीवन यापन करने वाले अफगान नागरिक चैन की सांस ले सकें और हर तरह के विदेशी खतरों से सुरक्षित रहें। 

जमीयत उलेमा ए हिंद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मुख्य रूप से जमीयत के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी , मोहतमिम और शैखुल हदीस दारुल उलूम देवबंद मुफ़्ती अबुल कासिम नोमानी , मौलाना रहमतुल्लाह कश्मीरी, मौलाना मुफ़्ती सलमान मंसूरपुरी,मौलाना सद्दीकुल्लाह चौधरी, मौलाना मुफ़्ती मोहम्मद राशिद आजमी, मौलाना शौकत अली वेट, मुफ़्ती मोहम्मद जावेद इकबाल क़ासमी , मौलाना नियाज़ अहमद फारुकी और मुफ़्ती इफ्तिखार क़ासमी मौजूद रहें।

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