फतेहपुर के युक्रेन में फंसे छात्रों के परिजन चिंतित,वापसी की मजबूत हुई उम्मीद

आकिल हुसैन।Twocircles.net

यूक्रेन और रूस के बीच जंग जारी हैं। रूस ने यूक्रेन के कई इलाकों में हमला किया है। हमले के बीच यूक्रेन में कई हज़ार भारतीय छात्र फंसे हुए हैं जो देश के अलग-अलग राज्यों से हैं। इनमें से अधिकतर छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन में थे। हालांकि भारतीय सरकार ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वापस लाने की कवायद शुरू कर दी हैं। रूस के हमलें के बीच यूक्रेन में फंसे भारतीयों के परिजन बेहद चिंतित और बैचेन हैं। अब इनके वापस आने की उम्मीद पैदा हुई है। विदेश मंत्रालय ने इन छात्रों को तैयार रहने के लिए कहा है,इन्हें कहा गया है कि उन्हें लंबी दूरी तक पैदल चलना पड़ सकता है।


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यूपी के फतेहपुर शहर के शादीपुर में रहने वाले डॉ महेश मिश्रा एक नर्सिंग होम के संचालक हैं। डॉ महेश मिश्रा के दो बेटे हर्ष और उदय यूक्रेन के पोलटवा शहर में फंसे हुए हैं। महेश बताते हैं कि उनका बड़ा बेटा हर्ष 22 साल और छोटा बेटा 19 साल का हैं। महेश बताते हैं कि दोनों पोलटवा की एक यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं, बड़े बेटे हर्ष का चौथा साल हैं तो वहीं उदय का पहला साल हैं।

महेश बताते हैं कि हर्ष 2018 से ही वहीं हैं और उदय दिसंबर से वहां हैं। महेश कहते हैं कि उनको यूक्रेन के मौजूदा हालातों को देखकर बहुत चिंता हो रहीं हैं। यूक्रेन में दहशत भरें माहौल में उनके दोनों बेटे फंसे हुए हैं, वहां कोई भी मदद करने को तैयार नहीं है। महेश बताते हैं कि फोन के माध्यम से वे बेटों के संपर्क में है। महेश कहते हैं कि आसपास के इलाके में सैन्य ठिकानों पर हमले से बेटे घबराए हुए हैं। सारी व्यवस्था चरमराई है। खाने के लिए राशन खत्म हो रहा है। सबसे जरूरी पानी की आपूर्ति फ्लैट तक नहीं पहुंच पा रही है। पीने तक के लिए पानी खत्म हो गया है। आसपास दुकानों के बंद होने से कोई भी सामान नहीं मिल पा रहा है।

फतेहपुर के ही एक अन्य नर्सिंग होम संचालक डॉ अरविंद गुप्ता का बड़ा बेटा आशुतोष यूक्रेन की राजधानी कीव में फंसा हुआ है। आशुतोष यूक्रेन की राजधानी कीव में स्थित कीव मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस कर रहा है और चौथे वर्ष का छात्र है। डॉ अरविंद बताते हैं कि उनके बेटे ने फोन पर वहां का मंजर बयां किया तो हम सभी डर गए। उसके फ्लैट से चंद कदम की दूरी पर ही एक इमारत में मिसाइल गिरी। तेज धमाके के साथ पूरा इलाका दहल गया। वहां आग भी लग गई। बाद में पता चला कि हमले में कई लोग हताहत हुए हैं।

छात्र आशुतोष की मां सीमा गुप्ता भी पेशे से एक डाक्टर हैं। डॉ सीमा गुप्ता कहती हैं कि शुक्रवार सुबह उससे वीडियो कॉलिंग से बातचीत हुई थी। वे कहती हैं कि यूक्रेन में हमला होते ही हम सब सहम गए थे। एक-एक पल डर के बीच बीत रहा है। वो बतातीं हैं कि भारत सरकार छात्रों को रोमानिया के रास्ते भारत वापस लाने की तैयारी में है। वो कहती हैं कि बस उनका बेटा सकुशल घर वापस आ जाएं और उन्हें कुछ नहीं चाहिए।

फतेहपुर शहर के लोधी गंज के रहने वाले घनश्याम लोधी का पुत्र विभव कुमार भी यूक्रेन में फंसा हुआ है। धनश्याम लोधी क्लीनिक संचालक हैं। उनका पुत्र विभव कुमार विनित्सिया शहर की नेशनल पीरगोव मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है और अंतिम वर्ष का छात्र है। धनश्याम लोधी बताते हैं कि शुक्रवार सुबह की उनके बेटे की फ्लाइट थी, लेकिन युद्ध के चलते रद्द हो गई। उनकी बेटे से सुबह भी बातचीत हुई। वह घबराया हुआ है। उसे सबकुछ ठीक हो जाने का भरोसा दिलाया।

यूक्रेन में फंसे छात्र विभव के पिता धनश्याम बताते हैं कि उनका बेटा फ्लैट के भूतल में बने बंकर में लोगों के साथ छिपा है। बेटे के पास रुपये भी नहीं बचे हैं। युद्घ के दो-तीन पहले राशन ले लिया था। इकलौते बेटे विभव के फंसे होने की खबर से मां लक्ष्मी देवी परेशान हैं। जब से यूक्रेन में युद्ध के हालात हुए हैं, लक्ष्मी देवी टीवी पर हो रहे धमाकों को देखते हुए रोए जा रही हैं। इतना ही नहीं हर एक घंटे बाद वह पुत्र विभव से बात कर रही हैं। विभव की मां लक्ष्मी देवी बताती है कि उनका बेटा दिसंबर में घर आया था अगर पता होता कि ऐसा भी हो जाएगा तो वो कभी अपने बेटे को नहीं जाने देती।

फतेहपुर के सिविल लाइन इलाक़े के रहने वाले व्यापारी हरिश्चंद्र मिश्रा का बेटा अंकित मिश्रा लगभग ढाई माह पहले यूक्रेन एमबीबीएस की पढ़ाई करने यूक्रेन गया हैं। अंकित के पिता हरिश्चंद्र मिश्रा ने बताया कि गुरुवार की रात 9 बजे के करीब मां नीलम से उसकी वीडियो कॉलिंग के जरिये बात हुई थी। जब से युद्ध शुरू हुआ है तब से उनकी सांसें अटकी हुई हैं। वह दिन-रात अपने पुत्र की सलामती की दुआ कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि अति शीघ्र उनके बच्चों को को वहां से निकालकर अपने वतन लाया जाए। अंकित के माता-पिता की आंखों में बेटे की याद को लेकर आंसु निकल आते हैं।

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