स्टाफ़ रिपोर्टर।Twocircles.net
दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के मामले में पहली सज़ा सुनाई है। गुरुवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिनेश यादव नामक व्यक्ति को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई हैं। इसके अलावा दोषी दिनेश यादव पर 12 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। एडिशनल सेशन जज वीरेंद्र भट ने पिछले महीने अपने फैसले में दिनेश यादव को एक घर को आग लगाने वाली दंगाई भीड़ में शामिल होने का दोषी पाया था।
दिल्ली के गोकुलपुरी के भागीरथी विहार में 70 साल की महिला मनोरी का घर है। मनोरी ने आरोप लगाया था कि 25 फरवरी की रात को करीब 150 दंगाइयों की भीड़ ने उनके घर पर हमला किया था, जब उनका परिवार घर पर नहीं था। इस दौरान दंगाइयों ने सारा सामान लूट लिया था और घर को आग लगा दी थी। 70 साल की मनोरी ने घर की घत से कूदकर अपनी जान बचाई थी।
पुलिस ने 25 वर्षीय दिनेश यादव को आठ जून 2020 को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने मामले की जांच के दौरान दिनेश यादव को दंगाइयों की उस भीड़ का सक्रिय सदस्य पाया, जिन्होंने महिला के घर पर हमला किया था। बाद में 3 अगस्त, 2021 को अदालत ने उसके खिलाफ आरोप तय किए। सुनवाई के दौरान अदालत ने दिनेश यादव के खिलाफ आरोपों को सही पाया था।
दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने 12 दिसंबर 2021 को आईपीसी की धारा 143 (अनलॉफुल असेंबली). 147 (दंगा), 148 (हथियारों के साथ दंगा), 457 (किसी के घर में ज़बरदस्ती घुसना), 392 (चोरी), 436 (घर को नष्ट करने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा शरारत) के तहत दोषी करार देते समय कहा था कि वो दिल्ली के भागीरथी विहार इलाक़े में 200-300 लोगों की ग़ैरक़ानूनी भीड़ का हिस्सा था जिसने वहां दंगों में हिस्सा लिया था।
अदालत ने दोषी करार देते हुए कहा था कि गवाहों के बयानों से पता चला कि गैरकानूनी सभा में शामिल दंगाइ हिंदू समुदाय के थे और जिनके घरों/दुकानों में तोड़फोड़ की गई, लूटपाट की गई और जला दिया गया वे मुस्लिम समुदाय से थे। इस मामले में कोर्ट ने 2 पुलिसकर्मियों के बयान को अहम माना जा। उन्होंने अदालत को बताया था कि दिनेश उस भीड़ का हिस्सा था जो हिंसा पर उतारू थी।
कड़कड़डूमा अदालत के एडिशनल सेशन जज वीरेंद्र भट ने दोषी दिनेश यादव को पांच साल कारावास की सज़ा साथ ही 12 हज़ार रुपए जुर्माना भी लगाया है। फिलहाल अभी अदालत की तरफ़ से विस्तृत आदेश नहीं आया है। दोषी दिनेश यादव की वकील शिखा गर्ग ने कहा हैं कि वो अदालत के आदेश को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगी। दिल्ली दंगों के किसी मामले में अदालत ने यह पहली सज़ा सुनाई है।
दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में 23 फरवरी 2020 को शुरू हुए दंगे में कुल 53 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग जख़्मी हुए थे। इसके साथ ही कई लोगों के घरों और दुकानों को नुकसान पहुंचा था। दिल्ली पुलिस पर दंगों को न रोकने के भी आरोप लगाएं गए थे। दिल्ली दंगे के मामले में कई समाजिक कार्यकर्ता, छात्र जेल में बंद हैं। दिल्ली दंगे के मामलों में सुनवाई करते हुए अदालत खुद कई बार कह चुकी है कि दंगों की जांच में दिल्ली पुलिस निष्पक्ष नहीं रहीं इसके अलावा अदालतों में दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से जवाब भी मांगे गए थे।