आकिल हुसैन। Two circles.net
कानपुर हिंसा के बाद अब कानपुर अमन की तरफ बढ़ रहा है। धरपकड़ चल रही है। हालांकि पुलिस की कार्रवाई पर सवाल जरूर खड़े हुए हैं। कानपुर सीपी विजय सिंह मीणा का दावा है पुलिस किसी निर्दोष को जेल नही भेजेगी। कानपुर के बेकनगंज थाना क्षेत्र इलाके में बीते शुक्रवार को हिंसा के मामले में पुलिस ने वीडियो और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर 40 संदिग्ध लोगों के पोस्टर जारी कर दिए हैं। यह पोस्टर शहर के प्रमुख चौराहों पर भी लगाए गए हैं। पुलिस ने हिंसा के आरोप में अभी तक 38 लोगों को गिरफ्तार किया हैं। फिलहाल कानपुर हिंसा की जांच के लिए एक एसआईटी का भी गठन किया गया हैं। पुलिस द्वारा मुख्य आरोपी बनाएं गए हयात ज़फ़र हाशमी समेत कई अन्य आरोपी 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं। वहीं कानपुर शहरकाजी मौलाना अब्दुल कुद्दूस कादी ने पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई करने का आरोप लगाया है। ज्ञात है कि पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए लोग एक ही समुदाय से ताल्लुक रखतें हैं।
वहीं कानपुर पुलिस ने एक पत्रकार समेत आठ लोगों पर आपत्तिजनक, भड़काऊ पोस्ट करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है। कानपुर पुलिस ने मिल्लत टाइम्स के संपादक पत्रकार शम्स तबरेज कासमी, अली मेहंदी रिजवी, गौशुल्लाह, शोहेल कादरी, अमित सिंह यादव महोबा, एम आजमी, मुल्ला बुरहम के विरुद्ध समाजिक सद्भावना बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए आईपीसी की धारा 505, धारा 507 और 66 आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि इन लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए हिंसा पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार के मुताबिक़, “शुक्रवार जुमे की नमाज़ के बाद कुछ लोगों ने वहां की दुकानों को बंद कराने का प्रयास किया जिसका विरोध दूसरे पक्ष के लोगों ने किया। इस बात को लेकर आपस में टकराव हुआ और फिर पत्थरबाज़ी की घटना हुई”। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को काबू करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े थे”।
कानपुर पुलिस ने इस मामले में कुल तीन एफआईआर पंजीकृत की हैं। पहली दो एफआईआर पुलिस की ओर से दर्ज की गई और एक एफआईआर चंदेश्वर हाते में रहने वाले मुकेश की ओर से दर्ज कराईं गई हैं। पहली एफआईआर इंस्पेक्टर बेकनगंज नवाब अहमद की तरफ से दर्ज करवाई गई जिसमें हयात जफर हाशमी समेत हयात जफर हाशमी, एहितशाम कबाड़ी, जीशान, आकिब, निजाम कुरैशी, आदिल, इमरान कालिया, शहरयान, जौहर युसुफ मंसूरी और आमिर जावेद, मुदस्सिर, मोहम्मद आजाद, जीशान एवेंजर, अब्दुल सकील, इरफान चड्डी, शेरा, सफी, अरफित आसिफ रैना का भाई, इसराईल, अकील खिचड़ी, अदनान, परवेज उर्फ चिक्कन, शादाब शोएब का भाई, इसरत अली, मो. राशिद, अलीशान, नासिर, आशिक अली, मो. आकिब, मो. साजिद, अनस, शाहिद, बिलाल, हाजी मो. नसिर, हबीब, रहमान समेत सैकड़ों अज्ञात लोगों के विरुद्ध धारा 147, धारा 148, धारा149, धारा 153, धारा 307, धारा 323, धारा 332, धारा 333, धारा 336, धारा 353 , धारा 427, धारा 504, धारा 506 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। इसमें बाबा चौराहे से मार्केट को बंद कराने और उसके बाद शुरू हुए पथराव की घटना को लेकर एफआईआर दर्ज करवाई गई।
दूसरी एफआईआर बेकनगंज थाने में सब इंस्पेक्टर आरिफ रजा की तरफ से दर्ज करवाई गई,जिसमें मुख्य आरोपी हयात जफर हाशमी को बताया गया है, हयात ज़फ़र समेत 19 लोग नामजद किए गए और 350 अज्ञात लोगों के खिलाफ बलवा, पथराव समेत कई अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया। यह एफआईआर दादा मियां चौराहे पर हुए पथराव और बलवे के मामले में दर्ज कराई गई।
तीसरी एफआईआर चंद्रेश्वर हाते में रहने वाले बवाल में घायल मुकेश की तहरीर पर बेकनगंज थाने की पुलिस ने भीड़ के खिलाफ मारपीट, बलवा, धार्मिक उन्माद फैलाने, हत्या का प्रयास समेत अन्य धाराओं में अज्ञात लोगों केस दर्ज किया है। पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीना ने मीडिया से बताया कि आरोपियों के विरुद्ध एनएसए और गैंगस्टर के तहत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि आरोपियों की संपत्तियों को भी ज़ब्त किया जाएगा। आरोपियों पास से छह मोबाइल फोन मिले हैं, जिनकी जांच की जा रही है। इसके अलावा इनके बैंक खातों की भी जांच की जाएगी।
हिंसा के अगले दिन शनिवार को कानपुर क्राइम ब्रांच की टीम ने ज़फ़र हयात को कानपुर हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता बताकर लखनऊ के हजरतगंज इलाके से गिरफ्तार किया था। ज़फ़र हयात कानपुर के चमनगंज इलाके में सरकारी राशन की दुकान चलाता हैं। ज़फ़र हयात मौलाना मोहम्मद अली फैंस एसोसिएशन नामक संगठन का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। वो इस संगठन के माध्यम से समाज सेवा के कार्यों को भी अंजाम देता था। ज़फ़र हयात सोशल मीडिया पर भी काफ़ी सक्रिय रहता था। वो सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान भी काफ़ी सक्रिय था, इसी मामले में कानपुर के कर्नलगंज थाने में हयात जफर हाशमी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी। जफर हयात हाशमी पर आरोप है कि उसने फेसबुक पोस्ट के जरिए लोगों को कानपुर में बाजार बंद करने और जेल भरो आंदोलन की अपील की थी।
हयात ज़फ़र की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी का बयान सामने आया है। हयात की पत्नी उज़मा ने मीडिया को बताया कि, “नुपुर शर्मा के बयान को लेकर हयात जफर हाशमी ने बंद का आह्वान जरूर किया था, लेकिन पुलिस और प्रशासन द्वारा अनुमति न मिलने पर बंद को वापस ले लिया था। इसके लिए उन्होंने अपने सभी समर्थकों से बंद में शामिल नहीं होने की अपील भी की थी। शुक्रवार को पूरे दिन हयात जफर घर पर ही रहे और बाहर भी नहीं निकले”।
उज़मा ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस उपद्रव का ठीकरा हयात जफर हाशमी पर फोड़ना चाहती है जबकि वह उपद्रव में शामिल नहीं थे, पुलिस असली आरोपितों तक पहुंच नहीं पा रही है। ज़फ़र हयात हाशमी ने शुक्रवार से एक दिन पहले फेसबुक पोस्ट करते हुए लिखा था कि ,”आज कोई जुलूस, रैली, प्रदर्शन नही करेगा। रोड पर कोई ना आए प्रशासन आपके साथ कोई भी हरकत कर सकता है क्योंकि आज शहर में वीआईपी हैं 5 जून को जेल भरो आंदोलन मे शामिल हों”।
शुक्रवार को हुए उपद्रव के कई वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहें हैं। एक वीडियो में शांति बनाए रखने की अपील करने और लोगों को समझाने आए कानपुर शहर काजी अब्दुल कुद्दूस के साथ कुछ लोग अभद्रता करते हुए दिखाईं दे रहे हैं, ख़बर के अनुसार इस दौरान कुछ लोगों ने शहर काजी का मोबाइल फोन भी छीनने की कोशिश की। बाद में पुलिस ने उनको वहां से निकाला।
एक अन्य वीडियो के अनुसार दूसरे पक्ष के लोग भी पथराव करते हुए नज़र आ रहें हैं। लेकिन अभी तक कानपुर पुलिस द्वारा दूसरे पक्ष के लोगों के ऊपर न तो कोई मुकदमा दर्ज किया गया है और न ही कोई कार्रवाई की गई है। पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए एक ही समुदाय के लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है।
कानपुर शहर काजी अब्दुल कुद्दूस ने पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई करने का आरोप लगाया है। शहर क़ाज़ी अब्दुल कुद्दूस ने कहा है कि पुलिस की ओर से एकतरफा कार्रवाई हो रही है। 90-95 फीसद मुसलमानों की गिरफ्तारियां हो रही हैं तो 2-4 फीसद हिन्दुओं की हो रही है, उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कानपुर में हुए उपद्रव में सिर्फ मुस्लिम ही मुजरिम नहीं। शहर काजी ने कहा कि इस मामले में गलतियां दोनों ओर से बराबर से हुई हैं इसमें कोई दो राय नहीं हैं, लेकिन इसी तरीके से गिरफ्तारी भी बराबर तरीके से होनी चाहिए। इस मसले को लेकर शहर में बहुत ही ज्यादा तनाव का माहौल है, पुलिस बेगुनाहों को गिरफ्तार कर रही, लोग इससे परेशान हैं।
उन्होंने कहा हैं कि पुलिस इस मामले में ग़लत गिरफ्तारी न करें। गिरफ्तार लोगों में से सब दोषी नहीं है वें प्रशासन से इसको लेकर बात कर करेंगे कि जो निर्दोष हैं उन्हें परेशान न किया जाए जबकि जो वास्तव में दोषी हैं उन्हें बख्शा भी नहीं जाना चाहिए।
बेकनगंज में हुई हिंसा मामले में कानपुर कैंट से सपा विधायक हसन रूमी ने बीजेपी पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि, ‘इस मामले में जिसका जितना गुनाह हो, उन पर सबूतों के आधार पर काननूी कार्रवाई तय की जाए। IPC में पत्थर फेंकने की जो धाराएं हैं, उन्हीं में मुकदमा दर्ज करना होगा। न कि पत्थर फेंकने वालों के मकान पर बुलडोजर चलाया जाए। मनमाने तरीके से NSA, रासुका और गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए, तो पीड़ितों को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ी जाएगी’।
वहीं आर्यनगर से सपा विधायक अमिताभ बाजपेई ने कहा है कि, ‘नफरत फैलाने वालों से सख्ती से निपटना चाहिए, लेकिन किसी निर्दोष को जांच की आड़ में फंसाया जाएगा, तो वह बर्दाश्त नहीं होगा’। सीसामऊ विधायक इरफ़ान सोलंकी ने कहा है कि, ‘जो दोषी हो उसी पर कार्रवाई की जाएं, किसी भी निर्दोष को न फंसाया जाएं और किसी भी निर्दोष पर ज्यादती न हो। अगर किसी को ग़लत तरीके से फंसाया गया तो बर्दाश्त नहीं होगा’।
बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा हज़रत मोहम्मद साहब पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के विरोध में कानपुर में कुछ मुस्लिम संगठनों द्वारा बंदी का ऐलान किया गया था। बंदी के दौरान ही जुमा की नमाज़ के बाद दो समुदाय के बीच नोंक-झोंक के बाद हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान दोनों पक्षों से जमकर पत्थरबाज़ी हुईं। इस दौरान पुलिसकर्मियों समेत कई अन्य लोग घायल भी हुए थे।
यह बवाल तब हुआ जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पड़ोस में ही कानपुर देहात में अपने पैतृक गांव पहुंचे हुए थे। सिर्फ़ राष्ट्रपति ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ख़ुद भी वहां कार्यक्रम में मौजूद थे।