राजस्थान में दलित युवक की मौत ने तूल पकड़ा,आक्रोश

आकिल हुसैन। Twocircles.net


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राजस्थान के अजमेर में कथित तौर पर उच्च जाति के दबंगों और स्थानीय पुलिस की प्रताड़ना से परेशान होकर आत्महत्या करने वाले 25 वर्षीय दलित युवक ओमप्रकाश रैगर की घटना ने तूल पकड़ लिया हैं। मृत युवक के घर पहुंचे भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद परिजनों के साथ मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए । आत्महत्या से पहले मृतक ने तीन पेज का सुसाइड नोट भी लिखा था जिसमें दो पुलिस अधिकारियों व एक पूर्व सरपंच को मौत का जिम्मेदार बताया गया है, इसके अलावा सुसाइड नोट में चंद्रशेखर आज़ाद से न्याय दिलवाने की मांग भी कहीं गईं हैं। घटना के 40 घंटे बीतने के बाद भी पुलिस अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी करने में नाकाम रही है।

मामला अजमेर के रूपनगढ़ थाना क्षेत्र का हैं। नोसल गांव के रहने वाले नारायण रैगी के 25 वर्षीय पुत्र ओमप्रकाश रैगर ने बीते मंगलवार को घर के कमरे में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मृतक युवक के पास से तीन पन्नों का एक सुसाइड नोट भी मिला है। सुसाइड नोट में मृत युवक ओमप्रकाश ने अपनी पूरा व्यथा लिखी है कि कैसे एक निचली जाति से होने के चलते उच्च जाति के लोगों ने उसको परेशान किया और इसके अलावा पुलिस ने भी मदद करने के बजाएं उल्टा परेशान किया।‌

मर्तक युवक…

मृतक ओम प्रकाश रेगर के लिखे सुसाइड नोट के मुताबिक़ दिवाली के दिन उसके पिता नारायण रैगर खेतों में फसल इकट्ठा कर रहे थे तभी गांव के ही उच्च जाति का किशनराम गुर्जर अपनी भेड़ बकरियां लेकर खेत पर चराने पहुंच गया। उस वक्त उसके भतीजे कानाराम और नंदराम भी उसके साथ थे। किशनराम की भेड़ बकरियों ने जब फसल को ख़राब करना शुरू किया तो पिता नारायण रैगर ने उनका विरोध किया।

मृत ओमप्रकाश ने सुसाइड नोट में आगे लिखा है कि जब उसके पिता ने जानवरों को खेत में चरने से रोकने की कोशिश तो किशनराम ने अपने भतीजों के साथ मिलकर लाठी-डंडों से उसके विकलांग पिता के साथ मारपीट की। किसी तरह वो जान बचाकर घर आएं और घटना की जानकारी दी। जब परिवार के साथ खेत पर पहुंचे तो वहां मौजूद किशनराम और उसके भतीजों ने घेरकर गालियां दी और जातिसूचक शब्दो से अपमानित भी किया।

सुसाइड नोट के अनुसार जब घटना की शिकायत लेकर पुलिस के पास गए वहां भी कोई शिकायत नहीं दर्ज की गई बल्कि वहां से कल आने को कहकर डरा धमकाकर भेज दिया गया। ऐसे ही कुछ दिनों तक चलता रहा। जब पीड़ित ने कोर्ट में जाने की बात कही तो पुलिस ने नाममात्र केस को हल्का बनाने के लिए दूसरी धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली। एफआईआर दर्ज होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।

चंद्रशेखर आज़ाद को वहां पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी, सरकार उन्हें रोक रही थी।

मृत ओमप्रकाश के सुसाइड नोट के मुताबिक जब इस पूरे मामले की जानकारी गांव के सरपंच रह चुके रणजीत सिंह राठौर को हुईं तो उसने उच्च जाति के लोगों को वोट बैंक बनाने के खातिर रूपनगढ़ थाना के दरोगा अय्यूब ख़ान के साथ मिलकर उसके चचेरे भाई राहुल और उसके चाचा युगल किशोर पर झूठा मुकदमा दर्ज करवा दिया। जो आरोपी थे उनपर कोई कार्रवाई नहीं की गई बल्कि परिवार को परेशान किया गया।

ओमप्रकाश ने सुसाइड नोट में आगे लिखा है कि वो शर्मिंदा हैं क्योंकि वो अपने माता पिता का आत्मसम्मान नहीं बचा पाया और रक्षा नहीं कर पाया। सरपंच ने राजनैतिक पावर के दम पर इस मामले में पूरी राजनीति की और वो कुछ भी नहीं कर पाया। अबतक जिस संविधान को पढ़ा और समझा था उसी के मुताबिक कानूनी सहायता भी ली थी लेकिन हम पर ही झूठा मुकदमा दर्ज कर लिया गया।

मृत ओमप्रकाश ने अपने सुसाइड नोट में भीम आर्मी के चीफ़ चंद्रशेखर आज़ाद से मदद की गुहार भी लगाई कि वो उसके परिवार को न्याय दिलवाएं। ओमप्रकाश ने यह भी लिखा है कि मेरे जाने के बाद यह लोग मेरे परिवार के साथ क्या करेंगे, मुझे नहीं पता, मेरे पापा-मम्मी को बचा लेना।

ओमप्रकाश के आत्महत्या करने के अगले दिन बुधवार को मामले ने तूल पकड़ लिया। दलित समाज के लोग परिजनों के साथ सामुदायिक चिकित्सा केन्द्र पहुंच गए और न्याय की मांग को लेकर शव का पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर दिया। भारी संख्या में भीड़ न्याय की मांग करने लगीं। पुलिस प्रशासन ने समझाने की कोशिश की और मृतक के परिजनों को मान मनौव्वल का दौरा शुरू हुआ। जब रूपनगढ़ पुलिस ने 6 आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया तब जाकर परिवार शव के पोस्टमार्टम को तैयार हुआ।

स्थानीय लोगो में आक्रोश है और वो रात में भी डटे हुए हैं।

पुलिस ने मृतक युवक का पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया लेकिन परिजनों ने मांगें पूरी होने तक शव का अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया। इसी बीच भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद पीड़ित परिवार के घर पहुंच गए और पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग करने लगे। चंद्रशेखर फिलहाल सीबीआई जांच की मांग को लेकर परिजनों के साथ धरने पर बैठे हैं।

चंद्रशेखर आज़ाद ने ऐलान किया कि वो यहां अपने भाई की आखिरी इच्छा को पूरा करने आए हैं। और जब तक न्याय नहीं मिलेगा वो यहां से हिलने वाले नहीं हैं। जब तक प्रशासन मांगों को पूरा नहीं करता तब तक पीछे नहीं हटेंगे। मृतक के परिजनों ने एक करोड़ मुआवजे, सरकारी नौकरी और सुसाइड नोट पर लिखे नामों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। अजमेर पहुंचे चंद्रशेखर को पुलिस ने रोकने की भी कोशिश की लेकिन वो नहीं माने।

चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा कि राजस्थान सरकार की संवेदनाये मर गयी है, पुलिस और सामंती तत्वों द्वारा प्रताड़ित करने के बाद ओमप्रकाश ने आत्महत्या की है।
इस घटना में पुलिस और रसूखदार लोगों के शामिल होने के कारण निष्पक्ष जांच नहीं होंगी, इसलिए सरकार इस मामले की सीबीआई जांच करवाएं। यह लड़ाई आत्मसम्मान और ओमप्रकाश को न्याय दिलाने के लिए हैं। चंद्रशेखर गुरुवार रातभर धरने पर बैठे रहें।

चंद्रशेखर के अलावा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के विधायक पुखराज गर्ग भी परिजनों से मिलने पहुंच गए और मांगों के समर्थन में धरने पर बैठ गए। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने घटना की निन्दा करते हुए आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

इस घटना पर राष्ट्रीय लोकदल के एससी-एसटी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रशांत कनौजिया TwoCircle.net से बात करते हुए कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा। प्रशांत कनौजिया ने कहा कि राजस्थान अजमेर की घटना हृदयविदारक है और बेहद शर्मनाक भी। राजस्थान आज देश में जातिगत भेदभाव और अत्याचार का केंद्र बना हुआ है और मौजूदा मुख्यमंत्री इसके लिए जिम्मेदार हैं। एक तरह राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं और दूसरी तरफ उनके मुख्यमंत्री गहलोत की सरकार जातिवादियों को संरक्षण देने का कार्य कर रही हैं। यह कुछ चुनिंदा मामले हैं जो पब्लिक डोमेन हैं और ऐसे हजारों मामले राजस्थान में घटित हो रहे हैं।

यह है मांग …

प्रशांत ने कहा कि दलित समाज अपनी राजनीतिक शक्ति को भूल गया है इसलिए सत्ता संरक्षण प्राप्त जातिवादी उनपर हमला कर रहे हैं और एक एफआईआर तक दर्ज़ नहीं होती। दलित समाज अगर जागरूक नहीं हुआ तो वो इसी तरह शिकार होता रहेगा क्योंकि न्याय न उसे थाने में मिलेगा और न ही अदालत में।

राजस्थान भीम आर्मी के वीर बहादुर कहते हैं कि राजस्थान में दलितों के साथ अत्याचार बढ़ता जा रहा है जो कि जातिवादी गुंडों द्वारा किया जा रहा है। एक निर्दोष व्यक्ति ने न्याय नहीं मिलने की कीमत अपनी जान देकर चुकाई है। मौजूदा राजस्थान सरकार जातिवादी गुंडों को संरक्षण दे रही है।

मामले की तूल पकड़ने के बाद अजमेर पुलिस ने मृतक के पिता नारायण की तहरीर पर 6 आरोपियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 323,धारा 341, धारा 447 और एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है। हालांकि आरोपी अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।

घटना पर अजमेर के डिप्टी एसपी मनीष शर्मा ने बताया कि मामले में पीड़ित परिवार की तहरीर पर दो पुलिस अधिकारियों और चार अन्य आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले की जांच शुरू कर दी है और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कोशिश की जा रही है।

मृतक ओमप्रकाश रैगर परिवार में इकलौता चिराग था, वो नर्सिंग की पढ़ाई कर रहा था। ओमप्रकाश की एक बहन भी है। ओमप्रकाश के पिता नारायण दिव्यांग हैं और खेती करके घर चलातें हैं। मृतक के परिजनों के अनुसार जब भी खेत में फसल तैयार होती थी तब आरोपी परेशान करने के लिए जानवरों को खेतों में घुसा देते थे और फिर मना करने पर अभद्रता करते थे।

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