आखिर क्या था राजस्थान का इंस्पेक्टर फूल मोहम्मद हत्याकांड जिसमे 30 को हुई उम्र कैद !

आकिल हुसैन। Twocircles.net


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राजस्थान के सवाईमाधोपुर का चर्चित फूल मोहम्मद हत्याकांड फिर सुर्खियों में है। 17 मार्च साल 2011 दिन गुरुवार को राजस्थान के सवाईमाधोपुर के पुलिस विभाग के सर्किल इंस्पेक्टर फूल मोहम्मद को भीड़ ने पुलिस जीप में जिंदा जला दिया था। 11 साल आठ महीने के लंबे इंतजार के बाद बीते 18 नवंबर शुक्रवार को सवाई माधोपुर की एससी-एसटी स्‍पेशल कोर्ट ने इस मामले के 30 दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई हैं। सज़ा पाने वालों एक तत्कालीन वर्दीधारी डीएसपी भी शामिल हैं। तत्कालीन डीएसपी को इस घटना का मुख्य दोषी करार दिया गया है और साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि फूल मोहम्मद की हत्या के लिए भीड़ को डीएसपी ने ही उकसाया था।

मार्च 2011 में सवाई माधोपुर के मानटाउन थाना क्षेत्र के सूरवाल गांव में दाखा देवी नामक बुजुर्ग महिला के पैर काटकर अज्ञात लोगों ने पैर में पहनी हुई चांदी की पायल निकाल ली थी। इस घटना के कुछ दिन बाद पीड़िता दाखा देवी की मौत हो गई थी। दाखा देवी की मौत के दो दिन बाद 17 मार्च 2011 के दिन गांव वाले मृतक महिला के हत्यारों को गिरफ्तार करने और उनके परिजनों को मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।‌ विरोध प्रदर्शन की सूचना पर मानटाउन थाना पुलिस सूरवाल गांव पहुंच गई थी। इसमें मानटाउन थाना के सर्किल इंस्पेक्टर फूल मोहम्‍मद भी शामिल थे।

प्रदर्शन के दौरान ही गांव के दो युवक राजेश मीणा और बनवारी लाल मीणा दाखा देवी मामले में पुलिस कार्रवाई न होने को लेकर सुसाइड की धमकीं देते हुए हाथ में पेट्रोल लेकर पानी की टंकी पर चढ़ गए थे। वहां मौजूद लोगों ने बनवारी को समझा-बुझाकर टंकी से नीचे उतरवा लिया था लेकिन दूसरा युवक राजेश नहीं माना उसने खुद पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा ली और इसके बाद वो पानी की टंकी से नीचे खुद गया जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी।

राजेश मीणा नामक युवक के आग लगाकर नीचे कूदने के बाद वहां मौजूद भीड़ गुस्सा गईं और वहां मौजूद पुलिस वालों पर भीड़ ने पथराव कर दिया गया था। पथराव के जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया, लेकिन भीड़ के आगे पुलिस बेदम हो गई। वहां मौजूद मान टाउन थाना के इंस्पेक्टर फूल मोहम्‍मद और बाकी पुलिस के सिपाही भीड़ से घिर गए थे। सिपाहियों ने किसी तरह वहां से निकल कर अपनी-अपनी जान बचाई लेकिन फूल मोहम्मद पथराव में घायल हो गए थे जिसके चलते वो भीड़ से बचकर भाग नहीं पाए और पुलिस जीप में ही रह गए। भीड़ ने पुलिस जीप को आग के हवाले कर दिया और फूल मोहम्मद भीड़ द्वारा ज़िंदा जला दिए गए थे।

इस घटना के बाद मान टाउन थाने में 21नामजद आरोपियों समेत कई अन्य अज्ञात के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम 1984 की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था और पुलिस ने इस मामले की जांच शुरूआत में सीआईडी ​​राजस्थान को सौंप दी थी। घटना की शुरुआती जांच के बाद सीआईडी राजस्थान ने मामले के 19 आरोपियों के विरुद्ध चार्जशीट दायर की थी।

इसके बाद इस मामले की जांच तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा सीबीआई को सौंप दी गई थी। मामले की जांच के बाद सीबीआई ने कुल 89 आरोपियों के विरुद्ध कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें एक पुलिस अधिकारी भी शामिल थे जो उस समय डिप्टी एसपी के पद पर थे।‌ सीबीआई जांच में सामने आया कि तत्कालीन डिप्टी एसपी महेंद्र सिंह की तत्कालीन मानटाउन के फूल मोहम्मद से व्यक्तिगत रंजिश थी। इसके अलावा यह भी सामने आया कि तत्कालीन डीएसपी महेंद्र सिंह ने अपने अधिकारियों को घटना की ग़लत सूचना दी थी।

शहीद फूल मोहम्मद …

सीबीआई जांच में तत्कालीन डीएसपी महेंद्र सिंह को पूरी घटना के लिए दोषी बताया गया और यह जांच में यह भी सामने आया कि जब भीड़ पुलिस जीप को आग लगा रहीं थी तब डीएसपी महेंद्र सिंह वहीं पर मौजूद थे लेकिन उन्होंने दरोगा फूल मोहम्मद से आपसी खुन्नस के चलते उनको बचाने तक की कोशिश नहीं की। सीबीआई की चार्जशीट में यह भी कहा गया कि फूल मोहम्मद हत्याकांड में महेंद्र सिंह का जुर्म साबित करने में मानटाउन थाने का हिस्ट्री शीटर संजय बिहारी गवाह था। लेकिन संजय बिहारी के बयान दर्ज होने से पहले ही उसकी जयपुर में हत्या कर दी गई थी।

बीते 16 नवंबर बुधवार को अदालत ने 89 आरोपियों में से 30 आरोपियों को दोषी करार दिया बाकि 49 आरोपियों को बरी कर दिया गया। 89 आरोपियों में से पांच आरोपियों की मृत्यु भी हों चुकीं हैं वहीं तीन आरोपी पुलिस की पकड़ से अभी भी दूर हैं। इन 89 आरोपियों में दो पुलिस अधिकारी भी शामिल थे जिसमें से तत्कालीन डीएसपी महेंद्र सिंह को घटना का दोषी ठहराया गया वहीं मानटाउन थाने के तत्कालीन सब इंस्पेक्टर सुमेर सिंह को बरी कर दिया गया।

बीते शुक्रवार 18 नवंबर 2022 को लगभग 11 साल लंबे कोर्ट ट्रायल के बाद एससी-एसटी स्पेशल कोर्ट की न्यायाधीश पल्लवी शर्मा ने सभी तीस दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। इसके अलावा दोषियों पर जुर्माना भी लगाया गया है। हत्याकांड के दोषियों से वसूला गया जुर्माना मृतक फूल मोहम्मद ख़ान के परिजनों को मुआवजे के तौर पर दिया जाएगा।

एक पुलिस अधिकारी को ज़िंदा जलाने की इस घटना ने सिर्फ राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया था। राजस्थान की तत्कालीन अशोक गहलोत की सरकार ने फूल मोहम्मद ख़ान को शहीद का दर्जा भी दिया था।‌ फूल मोहम्मद के गुज़र जाने के बाद उनके बेटे सुहैल ख़ान भी राजस्थान पुलिस में हैं सब इंस्पेक्टर के पद पर हैं।

कोर्ट के फैसले पर सुहैल खान कहते हैं कि, ‘उन्हें कानून पर विश्वास हैं। न्याय मिलने में देरी हो सकती है लेकिन न्याय मिलता ज़रूर है। न्यायपालिका ने मेरे परिवार के साथ न्याय किया है।

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