विशेष संवाददाता। Twocircles.net
आगरा की जिस प्रिंसिपल ने स्कूल में अल्पसंख्यक समाज के बच्चों का बहुमत होने पर खुद को धार्मिक उत्पीड़ित दिखाया था उसकी शर्मनाक करतूत का खुलासा हुआ है। आगरा जनपद के डीआईओएस अधिकारी की जांच में पाया गया है कि उक्त प्रिंसिपल ने स्कूल की दूसरी अध्यापिकाओं की रंजिश में नफ़रत की कहानी की स्व रचना की और मुस्लिम समाज के अध्यापिका और बच्चों पर दोषारोपण करते हुए वीडियो वायरल कर दी।
बता दें कि आगरा के जॉय हैरिस गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या ममता दीक्षित ने स्कूल की मुस्लिम अध्यापिकाओं और छात्रों पर आरोप लगाते हुए एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर भी वायरल की थी जिसमें ममता दीक्षित का कहना था कि स्कूल की मुस्लिम अध्यापिकाएँ , लड़कियों को हिजाब पहने के लिए उकसाती है। जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया था। फिलहाल जांच में मुस्लिम अध्यापिकाओ पर लगाएं गए सभी आरोप गलत पाए गए हैं।
मामला आगरा कैंट स्थित जॉय हैरिस कन्या इंटर कॉलेज का है। शुक्रवार को स्कूल की प्रिंसिपल ममता दीक्षित का रोते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वायरल वीडियो में प्रिंसिपल ममता दीक्षित ने स्कूल के मुस्लिम समुदाय के टीचरों और छात्राओं पर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि मुझे प्रधानाचार्य के पद से हटाना चाहते हैं इसलिए मुस्लिम समुदाय के सभी छात्राएं और शिक्षक मिलकर मेरे खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं। वे मुझे परेशान करते हैं ताकि मैं वापस लौट जाऊं।
प्रिंसिपल ममता दीक्षित ने वीडियो में कहा था कि स्कूल की मुस्लिम टीचरों ने गुट बना लिया है और वो उनके खिलाफ छात्राओं को भी भड़का रहीं हैं। स्कूल में हिजाब और बुर्का पहन कर आने के लिए मुस्लिम लड़कियों को भड़काया जा रहा है ताकि कालेज का माहौल बिगड़े। वीडियो में ममता दीक्षित कहती हुईं दिख रही है कि कॉलेज में 70 फ़ीसदी छात्राएं मुस्लिम समाज से ताल्लुक रखती हैं। इस कॉलेज में धर्म विशेष के एजेंडे को बढ़ावा दिया जा रहा है। कालेज के बाहर सुबह और छुट्टी के वक़्त मुस्लिम लड़कों का झुण्ड जमा रहता है, जो कि गंभीर चिंता का विषय है। यह लोग नारेबाजी भी करते हैं।
प्रिंसिपल का कहना था कि इस डर से उन्हें घर जाने में डर लगता है। आरोप था कि कॉलेज की एक सीनियर टीचर प्रिंसिपल पद की कुर्सी पाने के लिए सब कुछ करवा रही है। प्रिंसिपल का कहना है कि छात्राओं के हिजाब पहनकर आने के लिए उकसाया जाता है। वह कॉलेज में हिजाब का विरोध करती हैं, तो उनको धमकाया जाता है। उनके कार्यालय से सरस्वती मां की तस्वीर भी हटाने के लिए कहा गया।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया था । हिंदूवादी संगठन के लोग प्रिंसिपल के समर्थन में पहुंचे। मामला अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद मामले की जांच शुरू की गई। जिला विद्यालय निरीक्षक और अपर नगर मजिस्ट्रेट द्वारा की गई इस जांच में प्रधानाचार्या द्वारा लगाए गए आरोपों में कोई दम नहीं मिला, आरोपों का वीडियो वायरल होने के बाद एसीएम प्रथम दिव्या सिंह, डीआईओएस मनोज कुमार और कैंट से भाजपा विधायक डॉ. जीएस धर्मेश भी स्कूल पहुंचे। वहीं प्रशासन और डीआईओएस ने भी मामले की जानकारी ली थी। अपर नगर मजिस्ट्रेट चतुर्थ दिव्या सिंह और सह जिला विद्यालय निरीक्षक पीके मौर्य ने स्कूल पहुंच कर मामले की जांच की थी। इस दौरान टीचरों और छात्राओं से भी पूछताछ की गई और कॉलेज में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी देखी गई।
जांच के दौरान किसी भी टीचर ने प्रिंसिपल द्वारा लगाए गए आरोपों पर सहमति नहीं जताई । साथ ही फुटेज चेक करने के दौरान भी ऐसा कोई दृश्य नहीं दिखाई दिया है।आगरा के डीआईओएस के अनुसार प्रिंसिपल द्वारा लगाए गए सभी आरोप निराधार पाए गए । डीआईओएस मनोज कुमार ने बताया कि पूछताछ के दौरान प्रिंसिपल का आपसी मतभेद का मामला सामने आया है। बुर्का पहनकर आने की शिकायत पर 2 दिन का फुटेज की जांच की गई लेकिन आरोप ग़लत निकले है।
स्कूल की अध्यापक गुलफिशा का कहना है कि सारे आरोप पहले से ही ग़लत थे। यह पूरा मामला अवैध रूप से फीस वसूली की शिकायत से ध्यान भटकाने का है। प्रिंसिपल बच्चों से अधिक फीस वसूलने का दबाव बना रही थी। जब टीचरों ने मना किया तो उन्होंने वीडियो वायरल कर माहौल बिगड़ने का प्रयास किया है।
स्थानीय निवासी नदीम मंसूरी ने बताया कि यह घटना अत्यंत शर्मनाक है और यहां कुछ दिन पहले स्कूल की छात्राओं ने प्रिंसिपल पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनको पद से हटाने के लिए विरोध प्रदर्शन किया था, इसके बाद प्रिंसिपल को लगा कि अगर वो खुद को बहुसंख्यक समाज से पीड़ित दिखाए तो सहानभूति और हालिया माहौल के चलते उसे समर्थन मिल सकता है इसलिए उन्होंने यह कहानी रची ! मामला ने तूल पकड़ा भी और हिन्दू संगठन सक्रिय भी हुए मगर प्रशासन ने सब साफ कर दिया। बता दें कि जॉय हैरिस गर्ल्स इंटर कॉलेज में 28 लोगों का स्टाफ है। इसमें से केवल दो ही टीचर मुस्लिम हैं। जबकि स्कूल में करीब 1000 छात्र हैं जिसमें से लगभग 700 मुस्लिम समुदाय से हैं।