By TwoCircles.Net staff reporter,
आज के रोजनामचा से उन पांच खबरों की कहानी, जिनसे कई किस्म के सरोकार भी तय होते हैं.
1. ‘हैदर’ को सर्वाधिक राष्ट्रीय पुरस्कार
विलियम शेक्सपियर के मशहूर नाटक ‘हैमलेट’ की पटकथा को अपना आधार बनाती और कश्मीर की समस्याओं को संबोधित करती फ़िल्म ‘हैदर’ ने 62वें राष्ट्रीय पुरस्कारों में छः पुरस्कार अपने नाम किये हैं. इनमें सर्वश्रेष्ठ संगीत (विशाल भारद्वाज), सर्वश्रेष्ठ संवाद (विशाल भारद्वाज), सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम (डॉली अहलूवालिया), सर्वश्रेष्ठ पुरुष गायक (सुखविंदर सिंह) और सर्वश्रेष्ठ नृत्य के पुरस्कार शामिल हैं. पिछले साल आई फ़िल्म ‘हैदर’ कई फलकों पर बहस का हिस्सा बनी थी. कश्मीर के बाशिंदों और वहां की सभी समस्याओं से दो-चार हो रहे लोगों के साथ-साथ बुद्धिजीवियों को यह फ़िल्म ख़ासी पसंद आई, लेकिन दक्षिणपंथ के रहनुमाओं के गले से यह फ़िल्म नीचे नहीं उतरती. हमारी नज़र में यह फ़िल्म कश्मीर के मुद्दों और दिग्भ्रमित होते युवाओं को सही तरीके से दिखाती है. ये पुरस्कार इन समस्याओं से जूझ रहे आम बाशिंदों का सम्मान हैं. विशाल भारद्वाज ने इन पुरस्कारों को कश्मीरी पंडितों को समर्पित कर दिया कहा कि, ‘वे क्षमाप्रार्थी हैं कि कश्मीरी पण्डित उनकी भावनाओं को समझ नहीं पाए’. इस पर अनुपम खेर, जो खुद कश्मीरी पण्डित, अभिनेता और भाजपा सांसद किरण खेर के पति हैं, ने विशाल भारद्वाज को आड़े हाथों ले लिया. अनुपम खेर ने ट्विटर पर लिख दिया कि विशाल भारद्वाज का यह कदम फ्रॉड है.
2. अब्दुल राशिद की मांग से दूर भागती घाटी की सरकार
रेगुलर मीडिया भले ही यह करता रहा हो लेकिन जम्मू-कश्मीर को आप चाहकर भी खबरों से दूर नहीं कर सकते. खासकर तब, जब वहां भाजपा और पीडीपी के गठबंधन से सरकार चल रही हो. हालिया मामला विधानसभा का है. निर्दलीय विधायक और इंजीनियर अब्दुल राशिद प्रश्नकाल के दौरान सदन के बीचोंबीच जाकर खड़े हो गए. संसद हमलों के आरोपी अफजल गुरु की अस्थियों को उनके परिवार को लौटाने सम्बन्धी अब्दुल राशिद के प्रस्ताव को वापिस करने को लेकर सदन के कई सदस्य उस दौरान प्रदर्शन कर रहे थे कि चिल्लाकर आब्दुल रशीद ने पूछा, ‘मेरे प्रस्ताव को क्यों नकारा गया है?’ 55 मिनट तक खड़े रहने के दौरान अब्दुल विपक्षी दल के सदस्यों से सीधे-सीधे प्रश्न पूछ रहे थे. नेशनल कांफ्रेंस के देवेंदर राणा और सीपीआई-एम के एम.वाई. तरीगामी ने स्पीकर से राशिद के खिलाफ़ एक्शन लेने की सिफारिश की. इसके बाद स्पीकर कविंदर गुप्ता ने सदन में मार्शल बुलवाकर राशिद को बाहर करवा दिया. साफ़ है कि राशिद को सदन के बाहर निकाल देने से इस प्रश्न की अहमियत कम नहीं हो जाएगी. अफज़ल गुरु की संलिप्तता से अलग, उनकी अस्थियों को उनके परिवार के सुपुर्द करने की बहस आज की नहीं है.
3. भूमि अधिग्रहण बिल – भाजपा का सिरदर्द
नया भूमि अधिग्रहण बिल भाजपा के गले की वो हड्डी हो गया है, जिसको भाजपा और केन्द्र सरकार हर हाल में निगलना ही चाहती हैं, उगलना नहीं. अब कल की ही बात है, सरकार के साथ भाजपा के शीर्ष पदाधिकारियों की एक मीटिंग हुई. मीटिंग में भाजपा ने सरकार का पूरा समर्थन करने का वायदा किया. भाजपा के साथ-साथ एनडीए के अन्य घटक दलों ने भी सहमति जताई है. सूत्रों की मानें तो भाजपा इस बिल को पास कराने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाने पर विचार कर रही है ताकि संसद के दोनों सदनों में इस बिल को आसानी से पास कराया जा सके. एक और मज़े की बात यह है कि इस अध्यादेश की अवधि सिर्फ़ 5 अप्रैल तक ही है. यानी यदि अगले दस दिनों के भीतर सरकार अध्यादेश पारित नहीं करा पाती है तो पूरी योजना पानी में चली जाएगी. ‘मन की बात’ में अपने मन की बात रखते हुए प्रधानमंत्री ने साफ़ कर दिया कि वे न पीछे हटेंगे और न ही अध्यादेश के मसविदे में कोई परिवर्तन करेंगे. अमित शाह भी टूट पड़े हैं, देखना ये है कि भाजपा अगले कौन-से दांव चलती है. लेकिन यह साफ़ है कि बिल का मौजूदा मसविदा यदि पारित हो जाता है तो देश के किसानों को बहुत नुकसान झेलना पड़ सकता है.
4. फंस गए जनरल साहब
पाकिस्तान दिवस के कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद जनरल वी.के. सिंह ने ट्वीट के ज़रिए ज़ाहिर किया कि कार्यक्रम में जाना मजबूरी थी, जहां जाकर वे हताश हुए. लेकिन सचाई इसके उलट निकली. इस पर मनीष तिवारी ने कहा कि जनरल सिंह को नाराज़गी जताने के बजाय इस्तीफा दे देना चाहिए. प्रश्न यह भी उठता है कि किस चीज या किन लोगों से विदेश राज्यमंत्री वी.के. सिंह खीज रहे हैं और उन पर कौन-सा फ़र्ज़ थोप दिया गया? ट्वीट और बयान के बाद बवाल उठ गया कि जनरल साहब इस्तीफ़ा देना जा रहे हैं, कल रात तक मीडिया में शोर उठा तो जनरल साहब ने साफ़ किया कि वे कोई इस्तीफ़ा देने नहीं जा रहे. अब तक काफी देर हो चुकी थी, भाजपा ने अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर दी. मंत्रियों की क्लास लगाने के लिए मशहूर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हो सकता है कि कुछ जवाब-तलब भी करें. चुटकी लेने के लिए यह भी प्रश्न उठाए जा रहे हैं कि जनरल साहब पाकिस्तान दिवस के मौके पर हरे रंग की जैकेट पहनकर क्यों गए थे?
5. गायब हुए राहुल और उमा
बुंदेलखंडी लड़ाईयां बहुत प्रचलित रही हैं, चाहे वह सियासी रही हों या आपसी. इस बार बुंदेलखंड के दो सियासी लड़ैया एक दूसरे के आमने-सामने आने के बजाय जनता के सामने आ गए हैं. खुद को बुन्देलखंड का रखवाला बताने वाले राहुल गांधी छुट्टियों पर चले गए हैं और बुंदेलखंड की बेटी उमा भारती भी कामकाज के फेर में अपने संसदीय क्षेत्र से गायब हैं. संसद का बजट सत्र शुरू होने के पहले राहुल गांधी छुट्टियों पर चले गए थे और अभी तक छुट्टियों पर ही हैं. खबर है कि वे 20 अप्रैल से शुरू होने वाले अगले सत्र में पार्टी की अगुवाई करेंगे. लेकिन उनके संसदीय क्षेत्र अमेठी की जनता ने जगह-जगह आम समस्याओं को लेकर पोस्टर चिपका दिए हैं, जिनमें ‘सांसद लापता’ लिखा हुआ है. उमा भारती के संसदीय क्षेत्र झांसी में भी इस तरीके के पोस्टर चिपके मिल रहे हैं. पहेल यह पोस्टर सादे कागज़ों पर थे, अब इन्हें पार्टी के बैनरों के साथ टांगा जा रहा है, जिससे ज़ाहिर हो रहा है कि आमजन की समस्या अब राजनीति का शिकार हो चुकी है.