By TwoCircles.Net staff reporter,
कश्मीर में लगातार आ रही आपदा किसका इम्तिहान ले रही है, नरेन्द्र मोदी सरकार से एक अल्पसंख्यक मंत्री की छुट्टी तय, बर्दवान धमाकों की चार्जशीट से क्या मतलब, ‘आप’का मुस्तकबिल अर्श पर या फर्श पर और आ गया जनता दल परिवार का मूर्तरूप….पांच खबरें और उनकी पड़ताल
1. कश्मीर में बाढ़ और राजनीतिक परीक्षा की घड़ी
कश्मीर सिर्फ़ चौबीस घंटों के भीतर ही एक खौफ़नाक बाढ़ का शिकार हो चुका है. इस बाढ़ का आलम यह है कि इस खबर के लिखे जाने तक लगभग 16 मासूम जानें ख़ाक हो गयी हैं. कश्मीर का बड़गाम इलाका भूस्खलन का शिकार हुआ है. 16 एक शुरुआती संख्या है, हम नहीं चाहते लेकिन मौके पर मौजूद लोग बताते हैं कि यह संख्या बढ़ भी सकती है. बात करने पर या पूछने पर लोग बता रहे हैं कि सेना और पाकिस्तान के साथ संघर्ष के चलते इन इलाकों की मूलभूत सुचिधाओं और समस्याओं की ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया गया. साल 2014 में आई बाढ़ के वक्त तत्कालीन उमर अब्दुल्ला सरकार की परीक्षा हुई थी, प्रधानमंत्री मोदी ने राहत कोश में से तुरंत पैसे भी निकालकर दे दिए. लेकिन यह बात भी ध्यान देने की है कि जम्मू-कश्मीर में कुछ वक्त बाद ही चुनावों में उमर अब्दुल्ला को राहत कार्यों की खामियों का भी खामियाज़ा भुगतना पड़ा. अभी राज्य के सिर पर फ़िर से आपदा सवार है, भाजपा के गठबंधन से चल रही राज्य सरकार इस आपदा में क्या कदम उठाती है यह विपक्ष और राज्य की जनता ज़रूर देखेगी. मुख्यमंत्री ने 235 करोड़ रुपयों की राशि राहत कार्यों के लिए दिए हैं, लेकिन अभी समस्या की ठूंठ भर ही दिख रही है. बाढ़ और बढ़ने और बाढ़ के लौटने के बाद की परिस्थितियों पर राज्य सरकार कैसे प्रबंधन करती है, यह देखने योग्य होगा.
2. नज़मा हेपतुल्ला की कैबिनेट से छुट्टी तय?
‘बदले-बदले से सरकार नज़र आते हैं’….इस तर्ज़ पर नरेन्द्र मोदी सरकार का नया पैंतरा देखा जा सकता है. शपथ ग्रहण के वक्त जब नरेन्द्र मोदी ने नज़मा हेपतुल्ला को अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री बनाया था तो बहुत-से लोगों को प्रधानमंत्री का यह कदम एक दक्षिणपंथी दल में सेकुलरिज़म की आहात सरीखा लगा. लेकिन सबकुछ से पर्दा तब उठ गया जब पता चला कि नज़मा हेपतुल्ला को मुस्लिमविहीन आदर्श ग्राम चुनने पर भाजपा ने मजबूर किया था. अब नया पैंतरा कैबिनेट विस्तार से जुड़ा दिख रहा है. आगामी अप्रैल में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मोदी सरकार अपने कैबिनेट को विस्तार देने जा रही है. इस कैबिनेट विस्तार के दो प्रमुख लक्ष्य हैं, एक कि भाजपा संसद में अपने लाए हुए बिलों पर समर्थन का स्वर ज़्यादा चाहती है और दो, राज्यों में आगे आने वाले विधानसभा
चुनावों में भाजपा कोई भी समीकरण चूकना नहीं चाहती. पीडीपी की महबूबा मुफ्ती जुड़ेंगी, शिवसेना की भागीदारी बढ़ेगी और अल्पसंख्यक मामले मुख्तार अब्बास नक़वी देख सकते हैं…तो नज़मा हेपतुल्ला कहां…सूत्र बताते हैं कि कैबिनेट की सबसे बुजुर्ग मंत्री नज़मा हेपतुल्ला को किसी राज्य का राज्यपाल बनाने की तैयारी चल रही है.
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3. बर्धवान धमाकों में एनआईए की चार्जशीट
बर्धवान धमाकों में आज राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने कोलकाता की विशेष अदालत में 21 लोगों को नामज़द करते हुए अपनी चार्जशीट दायर कर दी है. इन 21 लोगों में चार व्यक्ति बांग्लादेशी नागरिक भी हैं. एनआईए ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि धमाकों को अंजाम देने वाले सगठन जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश(जेएमबी) है. धमाकों की मुख्य धारा के साथ-साथ राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को अंजाम देने, फर्जी पासपोर्ट, फर्जीवाड़ा, आतंकी शिविर चलाने जैसे आरोप भी लगाए गए हैं. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपाशासित केन्द्र सरकार के राज में जिस तरह से अल्पसंख्यकों पर तमाम किस्म के हमले हो रहे हैं, जिन भांति-भांति तरीकों से अल्पसंख्यक भावनाओं का शिकार किया जा रहा है, उस लिहाज़ से एकदम सम्भव है कि इस चार्जशीट में नामज़द कुछ लोग किसी षड्यंत्र का शिकार हो सकते हैं.
4. ‘आप’की हैसियत – अर्श या फर्श
प्रशान्त भूषण और योगेन्द्र यादव को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकालने के बाद अब आम आदमी पार्टी एक बड़े स्तर के क्राइसिस से जूझ रही है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग का आँखों देखा हाल, योगेन्द्र यादव और भूषण की पिटाई, मीटिंग में बाउंसरों की उपस्थिति के बारे में सुनने के बाद जो दृश्य सामने आ रहा है, वह निश्चित रूप से पार्टी के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है. योगेन्द्र यादव और प्रो. आनंद कुमार को गालियाँ देते हुए अरविन्द केजरीवाल का स्टिंग सामने आ गया तो आतंरिक लोकतंत्र की अवधारणा से भरोसा उठता गया. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अरविन्द केजरीवाल और कुमार विश्वास के भाषणों की भाषा और लहज़े ने रही-सही कसर भी पूरी कर दी है. मेधा पाटकर ने पार्टी छोड़ दी और उड़ती-उड़ती खबर है कि महाराष्ट्र के कई ‘आप’ नेता पार्टी छोड़ने के मूड में हैं. अब राजनीतिक विचारक यह सोचने पर मजबूर हैं कि अर्श से शुरू हुई आम आदमी पार्टी क्यों फर्श की ओर बढ़ रही है?
5. जुड़ता-संवरता जनता दल
जनता परिवार…जो बहुत समय पहले छींट-छींट हो गया था और जिसके एक होने की खबर फ़िर से कुछ ही दिनों पहले ही आई है, अब फ़िर से एक होने की शक्ल में दिख रहा है. अब जनता दल के घटकों का जनता परिवार में विलय होना तय है और मुमकिन है कि अगले हफ़्ते में इसको लेकर एक बड़ी घोषणा की जा सकती है. ज़ाहिर है कि इस जनता परिवार को मुलायम सिंह यादव लीड करेंगे लेकिन इसकी औपचारिक घोषणा और पार्टी के चुनाव चिन्ह का प्रकाशन अगले हफ़्ते किया जाएगा. यानी मजेदार बात यह है कि जहां नरेन्द्र मोदी भूमि अधिग्रहण के लिए सारे पैंतरे अपना रहे हैं (देखें – खबर नं. 4) तो वहीं भूमि अधिग्रहण के सख्त खिलाफ़ मौजूद एक धड़ा एक होकर पुरज़ोर विरोध करने की तैयारी में है. जैसा हमने आपको पहले ही बताया था कि जनता दल के विलय से किस तरह केन्द्र सरकार को पार्टी और प्रशासनिक स्तर पर मुश्किलें झेलनी पड़ सकती हैं, वैसा ही कुछ होने की भी सम्भावनाएं हैं क्यों राज्यसभा में भाजपा चिन्हित तौर पर अल्पमत में है.