अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
चंपारण विश्व में फैली अशांति को लेकर बिहार के पश्चिम चम्पारण के बेतिया शहर में बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने ‘बौद्ध धम्म संस्कार सम्मेलन’ का आयोजन कर विश्व शांति का पैग़ाम दिया.
इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ. परमेश्वर भक्त ने कहा, ‘आधुनिक भौतिकवादी विकास युग से उत्पन्न आतंकवाद भावना को रसातल में ले जाना चाहता है, जिसमें मुक्ति के लिए बुद्ध दर्शन की आवश्यकता है.’
सम्मेलन में फ्रांस हमले में मारे गए लोगों के लिए दो मिनट का मौन रखा गया. साथ ही मारे गए निर्दोष लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की गई. साथ ही यह भी संदेश दिया गया कि विश्व शांति के लिए बुद्ध का संदेश ही एकमात्र रास्ता है.
इस सम्मेलन का आयोजन बेतिया के महाराजा पुस्तकालय परिसर में किया गया. जिसमें नगर के सभी बुद्ध-अम्बेडकरवादी, धम्मप्रिय, श्रेष्ठी, श्रमण एवं आचार्य शामिल हुए. इस सम्मेलन का मुख्य विषय ‘विश्व शांति और बौद्ध धम्म’ था.
दरअसल, बिहार का चम्पारण ज़िला बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक ऐतिहासिक स्थान है. भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों में पश्चिम चम्पारण के लौरिया नंदनगढ़ का विशेष स्थान है. कहा जाता है कि यही वह जगह है जहां भगवान ने राजसी वस्त्रों का परित्याग किया था. रथ व घोड़े को वापस कर दिया तथा सिर मुंडवाकर पैदल ही बोधगया की तरफ़ चल दिये थे.
इसके अलावा पूर्वी चम्पारण का केसरिया स्तूप भी बौद्ध धर्म में विशेष महत्व रखता है. कहा जाता है कि भगवान बुद्ध जब महापरिनिर्वाण ग्रहण करने कुशीनगर जा रहे थे तो वह एक दिन के लिए केसरिया में ठहरे थे. जिस स्थान पर पर वह ठहरे थे, उसी जगह पर कुछ समय बाद सम्राट अशोक ने स्मरण के रुप में स्तूप का निर्माण करवाया था. इसे विश्व का सबसे बड़ा स्तूप माना जाता है.
2011 जनगणना के आंकड़ें बताते हैं कि पश्चिम चम्पारण में बौद्ध धर्म के मानने वालों की जनसंख्या 1337 है, वहीं पूर्वी चम्पारण में इनकी जनसंख्या 878 है. जबकि पूरे बिहार में 25,453 लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं.