TwoCircles.net Staff Reporter
अहमदाबाद: जिले की स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार को गुलबर्ग हत्याकांड मामले में 11 को उम्रक़ैद, 12 को सात साल की जेल की सज़ा सुनाई है. वहीं एक दोषी को 10 साल की क़ैद की सज़ा दी गई है.
अदालत में इस बात पर भी बहस हुई कि 11 दोषियों को उम्रक़ैद में कितने साल की सज़ा मिले. हालांकि अदालत ने सज़ा में ‘मौत तक क़ैद’ शब्द का प्रयोग नहीं किया है. जिन 11 लोगों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है उनमें से नौ 2002 से जेल में बंद हैं.
स्पष्ट रहे कि 27 फरवरी, 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस को आग लगाने की घटना को लेकर गुजरात के कई शहरों में दंगे हुए थे, इसी दंगों के दौरान अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसायटी में 28 फ़रवरी को आग लगाई गई थी, जिसमें कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफ़री समेत 69 लोग मारे गए थे.
इस कांड में पकड़े गए कुल 64 अभियुक्तों पर अदालत में मुक़दमा दायर किया गया था. 4 की मुक़दमे के दौरान मौत हो गई. लेकिन बाक़ी बचे 60 अभियुक्तों में से अदालत ने दो जून, 2016 को इस मामले में 24 लोगों को ही दोषी क़रार दिया था.
इस पूरे मामले में फ़ैसला आने में 14 साल बीत गए और इतना ही नहीं इस कांड में शामिल भाजपा नेता शक के आधार पर बरी हो गए, केवल अदना कार्यकर्ताओं को सज़ा हुई.
इस फैसले से पूर्व सांसद अहसान जाफ़री की पत्नि जाकिया जाफ़री ज़्यादा खुश नहीं हैं. उन्होंने अपने एक बयान में कहा, ‘अभी आधा इंसाफ़ मिला है. मैं इस फैसले से खुश नहीं हूं, दुखी हूं. मुझे अपने वकीलों से सलाह लेनी होगी, यह न्याय नहीं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘अदालत ने 36 लोगों को छोड़ दिया है. इसके लिए मैं आगे लड़ाई लडूंगी और मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाऊंगी.’