सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net
वाराणसी : आज उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल में एक नाटकीय मोड़ आया. एक तरफ जहां माफिया मुख़्तार अंसारी की पार्टी ‘कौमी एकता दल’ का विलय समाजवादी पार्टी में हो गया, वहीं दूसरी ओर इसी फैसले की वजह से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव को मंत्री पद से हटा दिया.
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस विलय के फैसले के सख्त खिलाफ थे. माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव ही वह व्यक्ति थे, जिन्होंने क़ौमी एकता दल और सपा के इस विलय का रास्ता साफ़ किया था.
असल में इस पूरे विवाद की जड़ में अखिलेश परिवार के शिवपाल सिंह यादव हैं. क़ौमी एकता दल से विधायक और मुख़्तार अंसारी के छोटे भाई अफ़ज़ाल अंसारी को आज शिवपाल सिंह यादव ने आज पार्टी की सदस्यता दिलाई. उन्हें पार्टी में शामिल करने का प्लान शिवपाल सिंह यादव का ही बताया जा रहा है. वे क़ौमी एकता दल के माध्यम से प्रदेश के मुस्लिम वोट साधना चाह रहे हैं.
आरोप है कि बलराम यादव ने ही क़ौमी एकता दल के अफ़ज़ाल अंसारी से शिवपाल का संपर्क करवाया था, जिसकी कीमत उन्हें अपना पद खोकर चुकानी पड़ी.
वहीं आज पार्टी की सदस्यता ग्रहण करते ही क़ौमी एकता दल के विधायक अफ़ज़ाल अंसारी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जमकर निशाना साधा और केंद्र सरकार के वादों की जामकर आलोचना की.
हास्यास्पद यह है कि आज से दो दिनों पहले मंत्री बलराम यादव सपा का कार्यशैली की ताऱीफें करते रहे, वहीं अगले रोज़ उन्हें मुख्यमंत्री के गुस्से का शिकार होना पड़ गया.
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