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लखनऊ/अजमेर: बांग्लादेश में हुए आतंकी हमलों में शामिल आतंकवादियों पर जाकिर नाईक का प्रभाव मिलने से भारत के कई मुस्लिम संगठनों ने ज़ाकिर नाईक के संगठन और उनके टीवी चैनल पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग की है. ऐसे संगठनों में ताज़ा नाम ऑल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड व सदा-ए-सूफ़िया-ए-हिन्द का है. इन संगठनों ने ज़ाकिर के भाषणों और पीस टीवी के प्रसारण को भारत में बंद किये जाने की मांग की है.
बोर्ड ने कहा है कि ज़ाकिर नाईक के भाषण जहां आपत्तिजनक हैं, वहीं उनका चैनल पीस टीवी लगातार ऐसे कार्यक्रमों का प्रसारण करता है, जिसमें खुले तौर पर वहाबी/सलाफी/कट्टर विचारधारा का प्रचार और प्रसार होता है. ऐसे कार्यक्रमों से मुस्लिम युवा पीढ़ी में कट्टरता आने की पूरी संभावना है. इसका उदाहरण बांग्लादेश के ढाका के हमलावरों पर प्रभाव और केरल के गायब हुए लगभग 21 युवकों की ज़ाकिर नाईक के भाषणों से प्रेरणा हैं.
बोर्ड ने आगे कहा कि ज़ाकिर नाईक जिस विचारधारा को सऊदी तेल के इशारों पर भारतीय मुस्लिमों पर थोपने की निरंतर कोशिश कर रहे हैं, वह क़ुरान की शिक्षा के विरुद्ध है. ज़ाकिर बड़ी बेबाकी से क़ुरान और हदीस की गलत एवं निराधार व्याख्या करके न सिर्फ मुसलमानों को गुमराह करते हैं बल्कि इस्लाम, पैगम्बर मुहम्मद साहब और उनके पारिवारिक सदस्यों का अपमान करते हैं.
ज्ञात हो कि ज़ाकिर नाईक के खिलाफ़ कई बार भारतीय मुसलमानों ने विरोध प्रदर्शन किया है. उनके अनेक कार्यक्रम रद्द भी हो चुके हैं. 2008 में लखनऊ में उन पर प्रतिबन्ध भी लग चुका है. बिहार के किशनगंज में भी लाखों हिन्दुस्तानियों ने एक विशाल धरना प्रदर्शन किया लेकिन ज़ाकिर नाईक की विचारधारा से संतुष्ट नेताओं ने सरकारी तंत्र का प्रयोग करके अपनी ज़िद से कार्यक्रम का आयोजन कराया था. बोर्ड ने आगाह करते हुए कहा है कि यह सही समय है जब ऐसी विचारधारा के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करते हुए इस पर पूर्ण विराम लगाया जाए.
बोर्ड ने ज़ाकिर नाईक के समर्थन में उतरे लोगों से निवेदन किया है कि यह सचाई को स्वीकार करने का समय है. कब तक इस विचारधारा के जुर्मों और करतूतों की सफाई लोग देते रहेंगे? उन्होंने कहा कि ‘इस्लाम खतरे में है और आज एकता की आवश्यकता है’ के फार्मूले को कब तक भुनाते फिरोगे?
आखिर में बोर्ड ने कहा कि मीडिया ट्रायल का हवाल देकर हम सचाई से मुंह नहीं मोड़ सकते. मुसलमानों में सुन्नी और वहाबी गुटबंदी जगज़ाहिर है. और यह आज से नहीं, कई दशक से यह चली आ रही है.
बोर्ड के अजमेर व लखनऊ, दोनों अध्यायों ने यह मांग भी की है कि ज़ाकिर नाईक पर प्रतिबन्ध लगाने के साथ उनके चैनल पीस टीवी पर प्रतिबन्ध लगाया जाए और उनकी संस्था इस्लामिक रीसर्च फाउंडेशन और चैनल की फंडिंग की जांच की जाए. अमेठी में सदा-ए-सूफ़िया-ए-हिन्द द्वारा की गयी प्रेस कांफ्रेंस में संगठन ने भी ज़ाकिर नाईक के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई की मांग की है.