TwoCircles.net Staff Reporter
महान स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व राज्यसभा सांसद व कई राज्यों में राज्यपाल रह चुके एखलाकुर रहमान क़िदवई को आज जामिया मिल्लिया इस्लामिया के क़ब्रिस्तान में पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ उनके भाई शफ़ीकुर रहमान क़िदवई की क़्रब के बग़ल में सुपुर्द-ए-ख़ाक कर दिया गया.
ग़म के इस मौक़े पर देश के उपराष्ट्रपति हामिद असांरी, पूर्व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के. रहमान खान, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के वाईस चांसलर तलत अहमद, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर ज़मीरूद्दीन शाह के साथ देश के अहम नेता, मिल्ली रहनुमा और जामिया व एएमयू के छात्र व प्रोफेसर शामिल रहें.
ज़नाजे की नमाज़ के पहले जामिया के जामा मस्जिद में ज़ुहर की नमाज़ अदा की गई. नमाज़ के बाद मस्जिद के इमाम ने ए. आर. क़िदवई का जामिया के साथ ख़ास संबंधों के बारे में तफ़्सील से बताया. उन्होंने बताया कि –‘उनके चले जाने से पूरा जामिया बिरादरी काफ़ी सदमें है. हम उनके मग़फ़रत की दुआ करते हैं. अल्लाह उन्हें जन्नत नसीब फ़रमाए. क़िदवई साहब जामिया के छात्र भी रहे हैं.’
ज़ुहर के नमाज़ के बाद उन्हें राष्ट्रीय सम्मान दिया गया. उनके ज़नाजे को सलामी दी गई. फिर उसके बाद उनके जनाज़े की नमाज़ पढ़ाई गई. इस मौक़े से यह भी बताया गया कि ए. आर. क़िदवई की याद में 28 अगस्त को जामिया के अंसारी ऑडिटोरियम में एक शोक-सभा का आयोजन किया गया है.
स्पष्ट रहे कि 96 वर्ष के ए. आर. क़िदवई का निधन दिल्ली के एस्कोर्ट हार्ट हॉस्पीटल में बुधवार को हुआ. इनके के दो बेटे और चार बेटियां हैं.
क़िदवई के निधन के बाद हरियाणा सरकार ने इनके सम्मान में प्रदेश भर में 24 से 26 अगस्त तक तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है. इस तीन दिवसीय शोक के दौरान प्रदेशभर में जहां पर राष्ट्रीय ध्वज नियमित रूप से फहराए जाते हैं, वहां पर राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे और इस अवधि के दौरान कोई भी सरकारी मनोरंजन नहीं होगा.
यहां यह भी स्पष्ट रहे कि जनाज़े में शामिल कुछ लोगों को शिकायत थी कि इनकी अंतिम विदाई में बीजेपी का कोई नेता या मंत्री शामिल नहीं हुआ. हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क़िदवई के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए @PMOIndia ट्वीटर हैंडल से एक ट्वीट ज़रूर किया है. उन्होंने लिखा है –‘डॉक्टर ए.आर. क़िदवई के निधन से मैं व्यथित हूं. उनके लंबे सार्वजनिक जीवन में कई भूमिकाएं एवं ज़िम्मेदारियां शामिल हैं. शिक्षा और समाज कल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वाले क़िदवई की आत्मा को ईश्वर शांति प्रदान करे’
बताते चलें कि ए. आर. क़िदवई का जन्म 01 जुलाई 1920 में उत्तर प्रदेश के बाराबंकी ज़िला के बड़ा गांव मसौली में हुआ था. इनके पिता का नाम शफ़िकुर रहमान किदवई और मां का नाम नसीमुन्निसा था. इनकी शिक्षा दिल्ली के जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी से हुई, बाद में ये शिक्षा ग्रहण करने के लिए अमेरिका चले गए, जहां इन्होंने एमएससी और पीएचडी की शिक्षा ली.
क़िदवई ने अपने करियर की शुरुआत बतौर प्रोफ़ेसर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से की. इनके क़ाबिलियत को देखते हुए ये बहुत ही जल्दी हेड ऑफ द डिपार्टमेंट बन गए. बाद में वह इसी अलीगढ़ यूनिवसिटी के 1983 में चांसलर भी बने.
क़िदवई 1974 में यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन के चेयरमैन बने. 1979 में पहली बार बिहार के गवर्नर बने, फिर 1993 में राष्ट्रपति ने इनको दुबारा फिर बिहार का गवर्नर नियुक्त किया गया. क़िदवई 1998 में पश्चिम बंगाल के गवर्नर नियुक्त हुए. सन् 2000 में राज्यसभा के सदस्य बनाये गए. 2004 में क़िदवई हरियाणा के गवर्नर बने. 2007 में इन्हें राजस्थान का गवर्नर बनाया गया.
क़िदवई ने 40 किताबें साइंस और रिचर्स पर लिखी हैं. 25 जनवरी 2011 को उन्हें पद्म-विभूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. इन्होंने गवर्नर रहते हुए शिक्षा पर बहुत जोर दिया, ख़ासतौर से मदरसों को मॉडर्न शिक्षा की तरफ़ ले गए. बिहार के वैशाली और नालंदा विश्वविद्यालय को शिक्षा के क्षेत्र में काफी आगे बढ़ाया और केंद्र सरकार से हर तरह की वित्तीय मदद करवाई. इन्होंने 1942 के भारत छोड़ों आंदोलन में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था.