TwoCircles.net Staff Reporter
पटना : देश में दलितों पर हो रहे अत्याचारों और उनके उत्पीड़न का सिलसिला एक बढ़ोतरी की ओर है. गुजरात के ऊना से लेकर बिहार के पारू तक की घटनाएं इसकी बानगी पेश करती हैं.
देश में बढ़ती इन्हीं दलित उत्पीड़नों के तमाम पहलुओं पर व्यापक चर्चा के लिए ‘भारतीय खेत मजदूर यूनियन’ (बीकेएमयू) की बिहार इकाई 27 अगस्त 2016 को दोपहर 12 बजे से गांधी मैदान के पास स्थित आईएमए हॉल में एक राज्य-स्तरीय कन्वेंशन का आयोजन कर रही है. इसमें सूबे के सभी जिलों से दलित संघर्ष व सरोकारों से जुड़े विविध तबकों के सक्रिय प्रतिनिधि भाग लेंगे. इस कन्वेंशन को खासतौर पर जेएनयू के प्रो. हरीश वाणखेरे, प्रो. एस.एन. मालाकार, बीकेएमयू के महासचिव नागेन्द्र नाथ ओझा, सीपीआई बिहार के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह संबोधित करेंगे.
इनके अलावा पूरे देश से दलित सरोकारों से जुड़े लेखक, पत्रकार, बुद्धिजीवी, समाजसेवी और राजनैतिक कार्यकर्ताओं व नेताओं को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है, जो दलितों के विरूद्ध जारी शोषण, उत्पीड़न व अत्याचारों से मुक्ति हेतु साझा संघर्ष और जन-कार्रवाइयों का रोड मैप सुझाएंगे.
भारतीय खेत मजदूर यूनियन की बिहार राज्य इकाई के अध्यक्ष रामनरेश पाण्डेय मुताबिक़ उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्षा मायावती के ख़िलाफ़ भाजपा के एक सवर्ण सांसद द्वारा की गयी अभद्र टिप्पणी ने भी भाजपा-संघ परिवार की मनुवादी सोच व उनकी विभाजनकारी क्रियाकलापों की पोल खोल दी है. मामला कुछ इस क़दर बिगड़ा है कि देश के अनेक राज्यों से दलित उत्पीड़न की अनेकानेक घटनाएं समाचार पत्रों एवं न्यूज चैनलों की सुर्खियों में निरंतर बने हुए हैं.
भारतीय खेत मजदूर यूनियन की बिहार राज्य इकाई के महासचिव जानकी पासवान बताते हैं कि आईआईटी चेन्नई के पेरियार-अम्बेडकर स्टडी सर्किल को बंद करने से लेकर हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहिथ वेमुला की आत्महत्या तक के मामले, फिर पटना में पिछले दिनों दलित छात्रों के प्रदर्शन के खिलाफ़ बर्बर पुलिसिया हमले की घटनाएं स्थिति की गंभीरता के कुछेक ज्वलंत नमूने हैं. सत्ताधारी दल और गठबंधन भले ही अलग-अलग क्यों न हो? लेकिन दलित उत्पीड़न के मामले में सभी एक जैसे है यानी ‘हमाम में सभी नंगे खड़े हैं.’