अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने गठबंधन को लेकर एक चौंकाने वाला बयान दिया है.
TwoCircles.net के साथ सपा-कांग्रेस गठबंधन पर बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि, ‘गठबंधन मजबूरी में हुआ. सपा के अंदर जो दंगल चला, अगर ये सब नहीं होता तो अकेले सपा 250 सीटें जीतकर सरकार बनाती.’
किरणमय नंदा आगे बातचीत में यह भी बताते हैं कि, ‘उस दंगल से पब्लिक के अंदर कन्फ़्यूज़न पैदा हो गया. ख़ास तौर पर मुसलमानों के अंदर कम्फ़्यूज़न कुछ ज़्यादा ही हुआ. ऐसे में मुसलमानों ने खुद ही ये बात बोली कि आप कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ेंगे तो मुसलमान एकजूट हो जाएंगे, इसलिए हम लोग कांग्रेस के साथ गठबंधन किये.’
वहीं इसके जवाब में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर का कहना है कि, ‘किरणमय नंदा जी बंगाल के रहने वाले हैं. उन्होंने ‘ज़रूरी’ कहा होगा, गलती से ‘मजबूरी’ समझ लिया गया है.’
एक लंबी बातचीत में किरणमय नंदा का यह भी कहना है कि, ‘मुसलमान पूरी तरह से सपा-कांग्रेस गठबंधन के साथ है.’ लेकिन आपके पास इसका आधार क्या है? मायावती के पक्ष में तो कई मौलानाओं ने बयान दिया है? इसके जवाब में वो बताते हैं कि, ‘देखिए, अगर धर्म-गुरूओं के फ़तवे से चुनाव होता तो इससे पहले बुखारी ने 1993 में मुलायम का विरोध किया था. बावजूद इसके सपा जीती और मुलायम सिंह यादव सूबे के मुख्यमंत्री भी बने.’
वो आगे यह भी बताते हैं कि, ‘सारे मुसलमान इन ‘फ़तवों’ पर नहीं चलते. और वैसे भी धर्म गुरूओं का काम तो धर्म-सभा करना है, धर्म-चर्चा करना है, इनका चुनाव के साथ क्या संबंध…’
बहरहाल, सपा-कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर जो रोज़ नए पेंच खड़े हो रहे हैं, उस आग में किरणमय नंदा के इस बयान ने घी डालने का काम किया है.