भारतीय सीमाओं पर स्थित अस्पताल ही बीमार हैं…

मोहम्मद रियाज़ मलिक


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पुंछ (जम्मू कश्मीर) : आख़िरकार वह समय आ ही गया जब जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती ज़िला पुंछ की तहसील मंडी का अस्पताल सार्वजनिक सेवाओं से हाथ खड़े करने की तैयारी में है.

“गुलाम अहमद गिनाई मेमोरियल अस्पताल” के नाम से प्रसिद्ध यह अस्पताल 2011 की जनगणना के अनुसार 77947 लेकिन वर्ष 2017 में लगभग सवा लाख से अधिक जनता की उम्मीदों का केंद्र है.

37 वर्षीय हाजी मुहम्मद रफ़ीक़ के घर की एक महिला के पैर पर दिन के दस बजे किसी चीज़ से गंभीर चोट लगी थी. वो शाम 6 बजे मंडी अस्पताल पहुंची. जहां न हड्डी का डॉक्टर था न एक्स-रे की मशीन काम कर रही थी. अस्पताल में उपस्थित डॉक्टर ने जल्द से जल्द पुंछ के ज़िला अस्पताल ले जाने की राय दी. तब शाम 8 बजे ज़िला अस्पताल में उनकी मरहम पट्टी की गई.

मंडी उप-ज़िला अस्पताल द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. ना अधिकारी इसकी ज़िम्मेदारी लेने को तैयार हैं न ही राजनेता ध्यान दे रहे हैं. अस्पताल में तैनात ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर लगभग पिछले दो वर्षों से यहां अपनी डयूटी दे रहे हैं.

हाजी मुहम्मद रफ़ीक़ अस्पताल की वर्तमान स्थिति के बारे में बताते हैं कि, अभी स्थिति यह है कि केवल दो ही मेडिकल ऑफिसर काम कर रहे हैं. स्टाफ की भारी कमी है. मेडिकल ऑफिसर की 6, स्पेश्लिस्ट की पांच, नर्सिंग स्टाफ की दस और एमपी डब्ल्यू के 8 पद खाली हैं. स्टाफ की कमी के कारण अल्ट्रासाउंड मैं खुद करता हूं. एक डॉकटर था. उसका भी तबादला राजौरी ज़िला में कर दिया गया है.

बताते चलें कि मंडी तहसील के अन्य क्षेत्रों जैसे सवजियां उप केंद्र, बिदार प्राईमेरी हेल्थ सेंटर, अड़ाई सब-सेंटर, इत्यादि के स्वास्थ्य केन्द्र बिना डॉक्टरों के ही चल रहे हैं. कहीं-कहीं तो यह केंद्र बिना इमारत के भी चल रहे हैं.

इस संबंध में ब्लॉक मेडिकल ऑफ़िसर कहते हैं, यहाँ तैनात स्टाफ़ कम होते हुए भी बड़ी मेहनत और परिश्रम से काम करते हैं. फिर भी लोगो को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि बहुत सारे काम कुछ स्टाफ़ से पूरा हो जाना कठिन ही नहीं बल्कि असंभव है.

स्थानीय लोगों के अनुसार, ज़िला विकास आयुक्त पुंछ, विधायक हवेली शाह मोहम्मद तानतरे, एमएलसी शहनाज़ गिनाई, पूर्व एमएलसी जहांगीर हुसैन मीर, सुरनकोट के विधायक अकरम चौधरी, पूर्व एमएलसी यशपाल शर्मा और अब हाल ही में बनने वाले एमएलसी प्रदीप खन्ना, तहसीलदार मंडी आदि सभी को इस समस्या के बारे में सूचित किया गया है, लेकिन किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया.

मंडी व्यापार मंडल के अध्यक्ष शमीम अहमद गिनाई, मंडी के सरपंच तारिक़ मंज़ूर चौधरी, सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. गुलाम अब्बास हमदानी ने मंडी के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के कार्यालय में तहसीलदार मंडी की मौजूदगी में इस अस्पताल की दुर्दशा पर अफ़सोस और आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बाली भगत एक तरफ़ तो पूरे राज्य के स्वास्थ्य केन्द्रों में सुधार के साथ स्टाफ़ की कमी को पूरा करने और अन्य बेहतर सुविधा पहुंचाने की घोषणाएं और वादा कर रहे हैं ताकि मरीज़ों को स्वास्थ्य केन्द्रों पर किसी प्रकार की परेशानियों का सामना न करना पड़े. लेकिन मंडी के उप-ज़िला अस्पताल की हालत को देखकर लगता है कि इन वादों और ऐलान का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है.

उन्होंने कहा कि, दो साल पहले यहां अस्पताल की कठिनाइयों और समस्याओं को लेकर अस्पताल प्रबंध समिति के साथ विचार-विमर्श किया गया था. लेकिन अब हमारे प्रतिनिधि अचानक आते हैं, अस्पताल में मौजूद कुछ स्टाफ़ व अन्य लोगों से ही मिलकर चले जाते हैं. जिसका नतीजा यह हो रहा है कि यहां दस लाख की आबादी के लिए उप ज़िला अस्पताल में केवल दो ही डॉक्टर बचे हैं. उनके अलावा न कोई मेडिकल ऑफिसर है और न कोई महिला डॉक्टर.

यहां सवाल यह है कि जब अस्पताल खुद रोगी बनता जा रहा है तो सीमा पर बसे लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल कौन रखेगा. आवश्यक है कि इन लोगों के स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाए ताकि उन्हें सुरक्षित रखकर हम सीमा को सुरक्षित रख सकें. (चरखा फीचर्स)

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