‘नवाज़ भाई आज जो कुछ भी हैं, वो मां की देन है…’

आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net

बुढ़ाना : ‘परिवार के कई लोग भाई नवाज़ुद्दीन के फ़िल्मों में जाने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ थे. अब्बू ने इस पर कई बार अपना एतराज जातया. लेकिन अम्मी ने भाई के इस फ़ैसले का हमेशा स्वागत किया. उन्हें इस काम के लिए मां का समर्थन हमेशा हासिल रहा.’


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ये बातें प्रसिद्ध अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी के भाई फ़ैज़ुद्दीन सिद्दीक़ी के हैं. फ़ैज़ुद्दीन Twocircles.net के साथ बातचीत में बताते हैं कि, परसों नवाज़ भाई का फोन आया था. उन्होंने बताया कि अम्मी को बीबीसी ने 100 प्रभावशाली महिलाओं में से चुना है. अब समझ नहीं आ रहा है कि अम्मी ने ऐसा क्या कर दिया है, यह बाहर वाले क्या जाने!’

फिर वो कुछ देर रूकते हुए कहते हैं कि, दरअसल घर में तालीम की फ़िज़ा न होने के बावजूद उन्होंने हालात से जूझते हुए तमाम मुश्किलों को पार करते हुए हमें जिस प्रकार स्टैंड कराया वो एक आदर्श है. और यक़ीनन तमाम महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है. वो हमेशा हमारे हर फ़ैसले का समर्थन किया, और उस वक़्त हमारा साथ दिया, जब सब हमारे ख़िलाफ़ थे. कोई नहीं चाहता था कि नवाज़ भाई फ़िल्म की दुनिया में जाएं, लेकिन मां ने उनके इस फ़ैसले पर भी उनके साथ खड़ी रहीं.

वो बताते हैं कि ये मां की ही देन है कि हम सब भाईयों ने उच्च स्तर की शिक्षा ली है. नवाज़ भाई तो पहले हरिद्वार में बीएससी करने गए और फिर गुजरात के बड़ोदरा में एमएससी करने गए.

फ़ैज़ुद्दीन के मुताबिक़, उनके 7 भाई और 2 बहने हैं. मां मेहरून निशा बिल्कुल पढ़ी लिखी नहीं हैं. मां के लिए एक वक़्त था कि घर चलाने के लिए रोज़ सिर्फ़ 20 रुपए मिलते थे. जिसमें से वो रोज़ 5 रुपए बचा लेती थी.

वो आगे बताते हैं कि, मेरी मां बागपत की बेटी हैं और बुढ़ाना की बहू. 50 साल पहले जब वो अब्बू नावबुद्दीन के पल्ले से बंधी तो सिर्फ़ 16 साल की थी. 20 जुलाई 2015 को अब्बू का इंतक़ाल हो गया.

बताते चलें कि पिछले दिनों बीबीसी ने देश में अलग मुक़ाम हासिल करने वाली महिलाओं पर एक सर्वे करवाया था, जिसमें प्रतिकूल परिस्थिति होने के बावुजूद अपनी शसक्त पहचान बनाने वाली 100  महिलाओं को चुना गया. बीबीसी की इस 100 सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में मशहूर अभिनेता नवाजुदीन सिद्दीक़ी की मां को भी जगह दी गई है. 66 साल की मेहरुन निशा को 33वें नम्बर पर रखा गया है. मुश्किल हालात से जूझकर अपने बच्चों को कामयाब बनाने के लिए वो आदर्श बन गई हैं.

ख़ास बात यह है कि मेहरून निशा न गणित जानती हैं और न कोई ज़बां लिखनी आती है, मगर फिर भी वो बेहतरीन मैनेजमेंट के लिए सराही गई हैं.

इस ख़बर के बाद से बुढ़ाना और आसपास के इलाक़ों में मेहरून निशा का ज़िक्र सबकी ज़बां पर चढ़ा हुआ है.

फ़ैज़ुद्दीन बताते हैं कि, पिछले साल इन्हीं दिनों नवाज़ भाई ख़बरों में रहे थे, जब यहां उन्हें रामलीला में अभिनय करने से रोक दिया गया था. अब बुढ़ाना में एक बार फिर उनकी बात हो रही है. सिर्फ़ उनकी नहीं, बल्कि उनसे ज़्यादा अम्मी की बात हो रही है. ये हम सबके लिए बहुत ख़ुशी की बात है.

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