अब मोदी सरकार में सृजन घोटाले की तर्ज पर सामने आया संस्कृति मंत्रालय का स्कॉलरशिप घोटाला

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net


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नई दिल्ली : भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन नई दिल्ली के द्वारका में चलने वाली ‘सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र’ के निदेशक जी.सी. जोशी पर गंभीर आर्थिक व प्रशासनिक अनियमितता बरतने के आरोप के बाद अब इसी केंद्र द्वारा दी जाने वाली ‘सांस्कृतिक प्रतिभा खोज स्कॉलरशिप’ में भारी घोटाले की कहानी सामने आई है.

इस मामले की कहानी बिहार में हुए ‘सृजन घोटाला’ से मिलती जुलती है. इस मामले में स्थिति के प्रारंभिक मूल्यांकन के बाद साईबर क्राईम सेल के साथ-साथ विस्तृत जांच पड़ताल के लिए द्वारका सेक्टर -9 पुलिस थाना द्वारा एफ़आईआर दर्ज किया जा चुका है.

आरोप है कि संस्कृति मंत्रालय के अधीन चलने वाले ‘सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र’ के एक भूतपूर्व संविदा कर्मचारी द्वारा ‘सांस्कृतिक प्रतिभा खोज स्कॉलरशिप’ की रक़म छात्रों को RTGS के माध्यम से समय पर न भेजकर उस राशि को ग़लत तरीक़े से स्वयं एवं अपने परिजनों के बैंक खातों में जमा कराया जाता रहा है. यह भी आरोप है कि इस मामले में इस केन्द्र के निदेशक भी शामिल हैं और उनकी देख-रेख में यह घोटाले हो रहे थे.

जब इस मामले में हमने इस केन्द्र के निदेशक जी.सी. जोशी से उनका पक्ष जानने की कोशिश की तो उनका कहना था, सारे आरोप बेबुनियाद हैं. जब रिपोर्ट मेरे पास आएगी तो मैं उसे पढ़ूंगा. आप मंत्रालय से ही इस संबंध में बात कीजिए. 

इस केन्द्र में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर काम कर चुके सिलवेस्टर बा बताते हैं कि, इस मामले की शिकायत (PMOPG/F/2017/0301596) खुद इस स्कॉलरशिप के लिए चयनित छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय में दर्ज कराई है. इस शिकायत के बाद जब इंटरनल जांच की गई, तब बच्चों के करोड़ो की स्कॉलरशिप की राशि यहां के उप-निदेशक एवं निदेशक के परिजनों के ही अकाउंट में जाने का भंडाफोड़ हुआ है. बावजूद इसके संस्कृति मंत्रालय यहां के निदेशक पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. जबकि इसी निदेशक पर पहले से ही करोड़ों के हेरफेर का आरोप है. खुद इंटरनल ऑडिट विंग से हासिल स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट बताती है कि, ‘सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र’ के निदेशक जी.सी. जोशी द्वारा गंभीर आर्थिक व प्रशासनिक अनियमितता बरती गई है.

ग़ौरतलब रहे कि इस मामले को लेकर संस्कृति मंत्रालय ने एक तीन सदस्यी कमिटी का भी गठन किया है. इस कमिटी को अपनी रिपोर्ट 05 अक्टूबर तक सौंपने को कहा गया है.  साथ ही केनरा बैंक को भी कहा गया है कि वो इन सारे अकाउंट्स को फ्रीज कर ले, जिन अकाउंट्स में पैसा ट्रांसफर किया गया है.

इस केन्द्र के निदेशक द्वारा कराए गए एक इंटरनल जांच में यह स्वीकार किया गया है कि घोटाले की बात सौ फ़ीसद सही है और क़रीब 50 लाख रूपयों का गबन किया गया है. जबकि सिलवेस्टर बा का कहना है कि यह घोटाला करोड़ों का है. संस्कृति मंत्रालय को इसकी जांच खुद करनी चाहिए, क्योंकि अभी जो लोग इसकी जांच कर रहे हैं, वो खुद इस मामले के आरोपी हैं.   

बताते चलें कि ये केन्द्र साल 1982 से राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक प्रतिभा खोज छात्रवृत्ति योजना को कार्यान्वित कर रहा है. इस योजना का उद्देश्य 10-14 साल के उत्कृष्ट प्रतिभाशाली बच्चों को 3600/- प्रति वर्ष दिया जाता है. इस प्रकार ये केन्द्र हर साल 650 नई छात्रवृत्तियां प्रदान करता है, जिनमें से 100 छात्रवृत्तियां जनजातीय संस्कृति के लिए आरक्षित हैं. 125 छात्रवृत्तियां पारम्परिक कला-शैलियों से जुड़े परिवारों के बच्चों के लिए, 20 छात्रवृत्तियां दिव्यांग बच्चों के लिए तथा 30 छात्रवृत्तियां सृजनात्मक लेखन से जुड़े बच्चों के लिए आरक्षित हैं और शेष 375 छात्रवृत्तियां सामान्य वर्ग के छात्रों को दी जाती हैं.

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